Kaithal News: कलायत रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के ठहराव के लिए सांसद से मुलाकात

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: कलायत, जो अपनी धार्मिक महत्ता और कृषि उत्पादकता के लिए जाना जाता है, अब रेल परिवहन की सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में एक नई पहल की जा रही है। देवभूमि रेल यात्री अधिकार संघर्ष समिति ने प्रमुख ट्रेनों के ठहराव के लिए आवाज बुलंद की है। यह मांग पिछले कुछ समय से क्षेत्र के यात्रियों की आवश्यकता बन चुकी है। इस विषय को लेकर समिति के सदस्यों ने शुक्रवार रात कैथल में कुरुक्षेत्र सांसद नवीन जिंदल से मुलाकात की और अपनी इच्छाओं को स्पष्ट किया।

मुलाकात के दौरान, समिति के संस्थापक रामकुमार नायक, प्रधान रोहताश धानियां, मुख्य सलाहकार रवि शंकर कौशिक, महासचिव शंकर गर्ग, सतबीर नायक, सुरेंद्र धानियां, दीपक अठवाल समेत अन्य सदस्यों ने सांसद जिंदल से आग्रह किया कि कुछ ट्रेनों का कलायत रेलवे स्टेशन पर ठहराव सुनिश्चित किया जाए। इनमें प्रमुखत: ट्रेन संख्या 54039 और 54042 शामिल हैं, जो कोरोना महामारी के दौरान मार्च 2020 से बंद हो गई थीं। इसके साथ ही, साबरमती एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 19411 और 19412) के भी कलायत में ठहराव की आवश्यकता है, जिससे यात्रियों को आने-जाने में सहूलियत हो सके।

ठहराव की आवश्यकता

सोशल मीडिया में चर्चा के अनुसार, अगर इन ट्रेनों का ठहराव कलायत में नहीं किया गया, तो स्थानीय यात्रियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। सांसद को बताया गया कि कुरुक्षेत्र से जींद और जींद से कुरुक्षेत्र जाने वाली गाड़ियों का मेल कलायत में होता था, जिससे यात्रियों को आसानी हो रही थी। लेकिन एक जनवरी से रेलवे द्वारा सारणी में किए गए बदलाव के बाद, यह गाड़ी अब सुबह 4 बजे जींद जंक्शन से चलती है, जिससे दैनिक यात्रियों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा।

इसके अलावा,सवारी गाड़ी संख्या 54048 को रोहतक जंक्शन से चलाने की भी मांग की गई। जींद जंक्शन पर यह गाड़ी काफी समय तक खड़ी रहती है, जिससे यात्रियों को कठिनाई होती है। यदि इसे रोहतक से चलाया जाए, तो आने-जाने वाले यात्रियों को एक बेहतर विकल्प मिल सकेगा।

धार्मिक महत्व और ठहराव की आवश्यकता

कलायत का धार्मिक महत्व सभी के लिए स्पष्ट है। यह स्थान न केवल अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां पर विभिन्न धार्मिक मेले भी आयोजित होते हैं। किसानों द्वारा पवित्र स्थलों की यात्रा और यहां के धार्मिक स्थलों की भक्ति के मद्देनजर, एक्सप्रेस ट्रेनों का कलायत में ठहराव अत्यंत आवश्यक है। इससे न केवल स्थानीय लोगों को लाभ होगा, बल्कि पर्यटकों के लिए भी यह एक बेहतर विकल्प साबित होगा।

साबरमती एक्सप्रेस का कलायत में ठहराव करने की मांग लंबे समय से चली आ रही है। इसके माध्यम से कुरुक्षेत्र, चंडीगढ़ पीजीआई, हिमाचल और रोहतक पीजीआई जैसे महत्वपूर्ण स्थलों पर आसानी से पहुंचा जा सकेगा। समिति ने इस मुद्दे को उठाने के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया है, जिसमें क्षेत्र के निवासियों ने समर्थन दिया है।

सांसद का आश्वासन: विकास की ओर एक कदम

कुरुक्षेत्र सांसद नवीन जिंदल ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कहा कि देवभूमि रेल यात्री अधिकार संघर्ष समिति द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन में कई महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि इन मांगों को पूरा करने के लिए वे समर्पित रहेंगे। सांसद ने यह बताते हुए उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय रेल मंत्री इस सेवा को लेकर सकारात्मक निर्णय लेंगे।

जिंदल ने कहा कि अगर इन मांगों को पूरा किया जाता है, तो यह न केवल क्षेत्र का विकास करेगा, बल्कि यात्री सुविधाओं का ढांचा भी मजबूत होगा। वे इस दिशा में काम करने के लिए खुद को पूरी तरह से तैयार कर चुके हैं।

समुदाय की आवाज़: भविष्य की संभावनाएं

समिति के सदस्यों ने विभिन्न समस्याओं को उठाते हुए इस बात पर जोर दिया कि कलायत रेलवे स्टेशन पर ठहराव होने से स्थानीय बाजारों और धार्मिक स्थलों की विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी। इससे न केवल यात्री संख्या में इजाफा होगा, बल्कि क्षेत्र के छोटे व्यवसायियों को भी लाभ होगा।

एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव स्थानीय लोगों के लिए एक सुनहरा अवसर साबित हो सकता है, जिससे वे धार्मिक स्थलों की भक्ति के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक कार्यों के लिए भी यात्रा कर सकेंगे।

नतीजा: स्थानीय आर्थिक स्थिति में सुधार

कलायत रेलवे स्टेशन पर ठहराव की मांग जोरों पर है और इसे स्थानीय समुदाय का समर्थन मिला हुआ है। यह न केवल एक यात्री सुविधा होगी, बल्कि इससे क्षेत्र की आर्थिक प्रगति में भी उचित योगदान मिलेगा। इससे उम्मीद की जाती है कि सांसद और रेलवे मंत्रालय का सहयोग मिलने पर कलायत का रेलवे स्टेशन जल्द ही एक महत्वपूर्ण ट्रांजिट पॉइंट बन सकेगा।

कलायत और आसपास के लोगों की यह मांग सरकार और रेलवे प्रबंधन के लिए एक चुनौती एवं अवसर दोनों है। यदि इस मुद्दे को सही दिशा में ले जाया गया, तो यह न केवल जनहित में होगा बल्कि आने वाले समय में इलाके के विकास की नींव भी रखेगा।

अंत में, कलायत रेलवे स्टेशन पर ठहराव की मांग एक सकारात्मक बदलाव की प्रतीक है जो केवल यात्री सुविधाओं को नहीं, बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी नया आयाम देने का प्रयास करती है। इस दिशा में सभी संबंधित पक्षों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि स्थानीय निवासियों के अधिकारों और आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

 

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