Kisan Andolan: किसानों के दोनों गुटों ने पंजाब और हरियाणा में महापंचायत कर किया शक्ति प्रदर्शन

नरेन्द्र सहारण, खनौरी(संगरूर)/टोहाना(फतेहाबाद) : शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और राजनीतिक ने महापंचायत का आयोजन किया, जिसका मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार की कृषि नीतियों के खिलाफ अपना प्रदर्शन करना था। यह महापंचायत पंजाब के संगरूर जिले के खनौरी और हरियाणा के फतेहाबाद जिले के टोहाना में आयोजित की गई, जहाँ किसानों की बड़ी संख्या ने भाग लिया और अपनी आवाज उठाई।
संगरूर की महापंचायत: डल्लेवाल का संदेश
पंजाब के संगरूर जिले में खनौरी गाँव की महापंचायत में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार जब तक सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी कानून नहीं बनाती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। डल्लेवाल, जो पिछले 40 दिनों से आमरण अनशन पर हैं, ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट को उनकी चिंता है, लेकिन उन्हें देश के हर किसान की चिंता है। उन्होंने यह आंकड़ा प्रस्तुत किया कि देश में चार लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं, जबकि असली संख्या करीब सात लाख हो सकती है।
उन्होंने आगे कहा, “केंद्र सरकार चाहे जितना भी दबाव डाल ले, वह इस आंदोलन को दबा नहीं पाएगी। अगर हमें अपनी जान भी देनी पड़ती है, तो हम इसके लिए तैयार हैं। हमारी मांग स्पष्ट है – हमें एमएसपी गारंटी कानून चाहिए।”
खनौरी में आयोजित इस महापंचायत में बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया, जो घनी धुंध के बावजूद वहां पहुंचे। डल्लेवाल ने मंच पर विशेष रूप से तैयार किए गए केबिन में अपने विचार साझा किए और आंदोलन के प्रति किसानों के दृढ़ संकल्प को उजागर किया। किसानों के दो अन्य नेता, सरवन सिंह पंधेर और काका सिंह कोटड़ा ने भविष्य में केंद्र सरकार के पुतले जलाने का निर्णय भी किया।
टोहाना महापंचायत: टिकैत की आवाज
हरियाणा के फतेहाबाद जिले के टोहाना में आयोजित महापंचायत को किसान नेता राकेश टिकैत ने संबोधित किया। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि उनके संगठन का खनौरी में चल रहे आंदोलन से कोई संबंध नहीं है। टिकैत ने कहा कि यह आंदोलन केवल पंजाब तक सीमित रह गया है और इसका लाभ केवल केंद्र सरकार को हो रहा है।
टिकैत ने आगे कहा कि खनौरी में आमरण अनशन कर रहे डल्लेवाल की चिकित्सा सुविधा के संबंध में फैसला उनकी कमेटी और सरकार को करना होगा। उन्होंने यह भी चिंता व्यक्त की कि अगर डल्लेवाल की मृत्यु हो जाती है, तो उनकी कमेटी उनका पार्थिव शरीर भी आसानी से नहीं देगी।
टिकैत ने कहा, “सात जनवरी को देशभर में पंचायत होगी। हमें यह सुनिश्चित करना है कि हमें केंद्र सरकार की गलत नीतियों का सामना करना है।” उन्होंने कहा कि सरकार农业 कानूनों को फिर से लागू करने के बारे में विचार कर रही है, लेकिन यह स्वीकार नहीं किया जाएगा।
किसान आंदोलन का महत्व
महापंचायतों में भाग ले रहे किसानों ने अपने-अपने मुद्दों को उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ जो आंदोलन पिछले वर्ष चला था, उसका लाभ अभी भी किसानों को नहीं मिला है। डल्लेवाल और टिकैत दोनों ने यह स्पष्ट किया कि किसानों के लिए एमएसपी गारंटी कानून अनिवार्य है और इसे किसी भी हालत में कमजोर नहीं होने दिया जाएगा। टिकैत ने कहा, “हरियाणा के मुख्यमंत्री दावा करते हैं कि किसानों की फसलें एमएसपी पर खरीदी जा रही हैं, लेकिन यह सच नहीं है। हमें अपनी आवाज को सशक्त करना है और इस बारे में सच्चाई उजागर करनी है।”
महापंचायतों के तरीके
भूमिहीन किसानों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए दोनों महापंचायतों में संवाद, संवाद दर संवाद का निर्णय लिया गया। यह महत्वपूर्ण है कि किसानों को यह समझ में आए कि उनकी एकजुटता से ही उनकी आवाज को सुना जाएगा।
संगठनों ने यह भी घोषणा की कि वे आगामी महीनों में और अधिक महापंचायतें आयोजित करेंगे, ताकि किसानों के मुद्दों को जनता के सामने लाया जा सके। इस तरह की घटनाएं न केवल किसानों के रूप में एकजुटता को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी साबित करती हैं कि वे केंद्र सरकार की नीतियों को बदलने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अंत में
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और राजनीतिक ने जो महापंचायतें आयोजित की थीं, वे न केवल किसानों की एकजुटता को प्रदर्शित करती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि वे अपनी और अपने अधिकारों की रक्षा के प्रति कितने गंभीर हैं। दोनों नेताओं के विचार और रणनीतियाँ यह संकेत देती हैं कि किसान आंदोलन अभी समाप्त नहीं हुआ है और यह आगे भी जारी रहेगा।
किसानों की इस कही गई आवाज और उनके निरंतर प्रयासों से यह स्पष्ट है कि वे अपने अधिकारों के लिए अंत तक लड़ते रहेंगे। उनका एकजुट होना और अपनी मांगों के प्रति दृढ़ रहना यह दर्शाता है कि कृषि क्षेत्र में सुधार और एमएसपी गारंटी कानून की मांग कितनी आवश्यक है।