Kisan Andolan: शंभू बॉर्डर से 101 किसानों का जत्था 21 जनवरी को पैदल दिल्ली कूच का करेगा प्रयास

नरेन्‍द्र सहारण, राजपुरा (पटियाला) :  Kisan Andolan:  संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) का संघर्ष एक बार फिर से तेज होता दिख रहा है, जब उन्होंने 21 जनवरी को शंभू से 101 किसानों का जत्था दिल्ली कूच करने का ऐलान किया। किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने इस निर्णय की पुष्टि करते हुए बताया कि केंद्र सरकार को हमारी 12 मुख्य मांगों पर गौर करना होगा। इनमें सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कानूनी गारंटी शामिल है, साथ ही किसानों और मजदूरों के कर्ज का प्रभावी समाधान भी आवश्यक है।

जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन

इस बीच, खनौरी में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन जारी है। यह अनशन अब 52वें दिन में प्रवेश कर चुका है। डल्लेवाल के समर्थन में हरियाणा सीमा पर 111 किसानों ने भी अनशन शुरू किया है। बुधवार से चल रहे इस अनशन को लेकर किसान नेताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया और अपनी आवाज को केंद्र सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया।

डॉक्टरों की एक टीम, जो पटियाला के राजिंदरा अस्पताल से आई थी, ने जगजीत सिंह डल्लेवाल का स्वास्थ्य परीक्षण किया। डॉक्टर हरिंदर सिंह ने कहा कि डल्लेवाल का वजन 20 किलो 500 ग्राम घट चुका है, जो कि कुल 23.59 प्रतिशत है। उनकी अबतक की वजन की स्थिति चिंताजनक है!  अनशन शुरू करने के समय उनका वजन 86.900 किलोग्राम था, जबकि अब ये 66.400 किलोग्राम तक गिर चुका है। स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान, डा. हरिंदर ने बताया कि डल्लेवाल की सेहत में सुधार की बात कहने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कई सवाल उठाए हैं, जिससे स्थिति और गंभीर होती जा रही है।

पंजाब सरकार की भूमिका पर सवाल

खनौरी के किसान नेता काका सिंह कोटड़ा ने पंजाब सरकार पर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि पंजाब सरकार जानबूझ कर डल्लेवाल की मेडिकल रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं कर रही और सुप्रीम कोर्ट में गलत जानकारियाँ प्रस्तुत कर रही है। इस प्रकार की नीतियों से न केवल किसानों का संघर्ष प्रभावित हो रहा है बल्कि न्याय प्रणाली पर भी संदेह उत्पन्न हो रहा है।

अनशन पर बैठे किसानों की सेहत

जींद से मिली जानकारी अनुसार, अनशन पर बैठे 111 किसानों में से एक प्रीतपाल सिंह की तबीयत गुरुवार को अचानक बिगड़ गई। वहां उपस्थित चिकित्सक टीम ने तुरंत उनकी स्थिति का आकलन किया। ज्ञात हो कि अनशन के दूसरे दिन सभी किसानों का रक्तचाप और शुगर स्तर चेक किया गया। इस तरह के स्वास्थ्य परीक्षण से यह पता चलता है कि अनशन पर बैठे किसानों की सेहत बेहद चिंताजनक स्थिति में है, जो कि उनके दृढ़ संकल्प को चुनौती दे रहा है।

किसानों का हक कोई अनदेखा नहीं कर सकता

किसानों का यह अभियान उनके हक और अधिकारों के लिए है। हर भारतीय किसान की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सरकार की नीतियों को पारदर्शिता के साथ लागू किया जाना चाहिए। मौजूदा समय में जब पूरे देश में किसान आंदोलन की आग धधक रही है, ऐसे में केंद्र सरकार को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। किसानों का यह क़दम केवल उनकी भलाई के लिए नहीं, बल्कि देश की कृषि प्रणाली के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आंदोलन की प्रेरणा

किसानों का यह आंदोलन केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भारतीय कृषि व्यवस्था की रीढ़ को मजबूती देने का प्रयास है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और उनके समर्थकों का अनशन इस बात का प्रतीक है कि किसान अपने हक के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं, चाहे इसके लिए उन्हें कितने ही दिन अनशन करना पड़े।

भविष्य की संभावनाएं

किसान नेताओं का यह स्पष्ट कहना है कि वे अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। अगर कृषि के लिए कानूनी समर्थन नहीं मिलता है, तो किसान आंदोलन और तेज हो सकता है। 21 जनवरी को होने वाले दिल्ली कूच से यह स्पष्ट होगा कि किसानों की आवाज कितनी बलवान है और वे किन हद तक अपने हक के लिए लड़ने को तैयार हैं।

इस प्रकार, यह आंदोलन न केवल किसानों के लिए बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए एक जागरूकता का साबुत है कि उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट रहना कितना आवश्यक है। सरकार को चाहिए कि वह किसानों की मांगों पर विचार करे और एक सकारात्मक समाधान की दिशा में कदम उठाए, वरना कृषि क्षेत्र में विद्यमान समस्या और गंभीर हो सकती है।

किसान और मजदूरों की आवाज को सुनना, उनकी समस्याओं का समाधान करना, और एक सकारात्मक दिशा में कदम उठाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। 21 जनवरी को होने वाला यह कूच यह साबित करेगा कि किसान एकजुट हैं और वे अपने हक के लिए किसी भी कीमत पर लड़ने के लिए तैयार हैं।

 

You may have missed