Sonipat News: रैगिंग के आरोप में 6 एमबीबीएस की सीनियर छात्राएं कक्षाओं से निष्कासित, किया हंगामा

नरेन्द्र सहारण, सोनीपत : Sonipat News: गोहाना के गांव खानपुर में स्थित भगत फूल सिंह महिला मेडिकल कॉलेज की स्थिति हाल ही में एक विवाद के कारण सुर्खियों में आ गई है। यहां एमबीबीएस की प्रथम वर्ष की जूनियर छात्राओं ने रैगिंग के खिलाफ शिकायत की है, जिसके परिणामस्वरूप कॉलेज प्रशासन ने छह सीनियर छात्राओं को कक्षाओं से निष्कासित कर दिया है। इस घटना ने न केवल कॉलेज के अंदर एक तनावपूर्ण माहौल पैदा किया है, बल्कि छात्राओं के बीच के संबंधों में भी दरार डाल दी है।
रैगिंग की शिकायत
प्रारंभिक घटनाक्रम में, एक जूनियर छात्रा ने अपने अभिभावकों को बताया कि सीनियर छात्राएं उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान कर रही हैं। अभिभावकों ने तुरंत इस जानकारी को कॉलेज प्रशासन के पास पहुंचाया, जिससे कॉलेज ने एक प्राथमिक जांच के आदेश दिए। जांच के उपरांत, प्रशासन ने पाया कि रैगिंग के मामलों में संलिप्तता के आरोप सही हैं। इसके बाद, कॉलेज ने कार्रवाई करते हुए छह सीनियर छात्राओं पर कक्षाओं में भाग लेने पर रोक लगा दी।
सीनियर छात्राओं की प्रतिक्रिया
इन सीनियर छात्राओं ने रैगिंग के आरोप को नकारते हुए कॉलेज के निदेशक के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने समर्थन में कहा कि वे जूनियर छात्राओं से नेशनल मेडिकल कौंसिल की गाइडलाइन्स के अनुसार बातचीत कर रही थीं। उनका कहना है कि बिना उचित जांच के उन्हें निष्कासित करना गलत है। छात्राओं ने कहा, “हमारे साथ कोई सुनवाई नहीं हुई। हमें सजा दी गई है जबकि हमारी गलती क्या है, यह किसी को नहीं पता।”
मेडिकल कॉलेज प्रशासन की स्थिति
मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. धीरज ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा, “हमें एमबीबीएस की प्रथम वर्ष की छात्रा से रैगिंग की शिकायत मिली थी। हमने इस पर कार्रवाई की और छह सीनियर छात्राओं को कक्षा से निष्कासित किया गया है। मामले की जांच के लिए एक एंटी रैगिंग समिति गठित की गई है। समिति की रिपोर्ट के आधार पर हम आगे की कार्रवाई करेंगे।”
छात्राओं के बीच के संबंध
यह घटना न केवल छात्राओं के लिए व्यक्तिगत रूप से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि यह कॉलेज के वातावरण पर भी असर डालेगी। जूनियर छात्राओं की शिकायत पर सीनियर छात्राओं का निष्कासन, एक सामाजिक असंतुलन का संकेत है। इससे उत्साही नए छात्राओं में डर का माहौल है और वे अपनी पढ़ाई के प्रति प्रभावी नहीं हो पा रही हैं।
रैगिंग की परिभाषा और कानूनी पहलू
रैगिंग एक गंभीर अपराध है जिसे शैक्षणिक संस्थाओं में बेहद कड़े कानूनों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। भारत में, रैगिंग के मामलों को सरकार ने गंभीरता से लिया है और इसके लिए सख्त सज़ा का प्रावधान है। नेशनल मेडिकल कौंसिल ने भी रैगिंग पर ध्यान केंद्रित करते हुए गाइडलाइन्स जारी की हैं, जिनका पालन सभी मेडिकल कॉलेजों को करना अनिवार्य है।
निष्पक्ष न्याय की मांग
छात्राओं ने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि उन्हें सुनवाई का अधिकार है और बिना पूछताछ के किसी को सजा नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया कि जो आरोपी हैं, उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए, ताकि सही निर्णय लिया जा सके। इसके साथ ही, नए बैच की छात्राओं ने भी इस मामले में भाग लेते हुए प्रशासन के निर्णय पर सवाल उठाए।
कॉलेज प्रशासन का ध्यान
महिला मेडिकल कॉलेज प्रशासन का फोकस इस समय मामले की निष्पक्षता पर है। छात्राओं की सुरक्षा और उनकी भावनाओं का सहारा लेना प्रशासन की प्राथमिकता बन गई है। कॉलेज प्रशासन ने सुनिश्चित किया है कि भविष्य में ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
भविष्य की दिशा
इस घटना के बाद, कॉलेज प्रशासन ने यह निश्चय किया है कि रैगिंग की रोकथाम के लिए एक विशेष समिति का गठन किया जाएगा, जो ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग, जांच और समाधान पर काम करेगी। इससे न केवल रैगिंग पर प्रभावी नियंत्रण होगा, बल्कि ये कॉलेज के वातावरण को भी सुरक्षित बनाएगा।
चेतावनी की घंटी
गोहाना के भगत फूल सिंह महिला मेडिकल कॉलेज में हुई रैगिंग की घटना ने सभी के लिए चेतावनी की घंटी बजाई है। यह जरूरी है कि सभी छात्राएं एक सुरक्षित और सहायक वातावरण में पढ़ाई कर सकें, जिसमें रैगिंग की कोई जगह न हो। कॉलेज प्रशासन और कॉलेज के सभी छात्राओं को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचा जा सके।
इस तरह की घटनाओं पर न केवल कॉलेज प्रशासन, बल्कि माता-पिता और समाज को भी ध्यान देना चाहिए ताकि छात्राओं के लिए एक सुरक्षित और सकारात्मक माहौल सुनिश्चित किया जा सके।