Kisan Andolan: केंद्र सरकार ने दिया वार्ता प्रस्ताव, जगजीत सिंह डल्लेवाल उपचार का अनशन जारी

नरेन्‍द्र सहारण, खनौरी (संगरूर) : Kisan Andolan: किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने अपनी अनवरत सामूहिक भूख हड़ताल को 54 दिन तक जारी रखते हुए केंद्र सरकार की बातचीत के आमंत्रण को स्वीकार कर लिया है, जो 14 फरवरी को चंडीगढ़ में आयोजित की जाएगी। केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रियरंजन खनौरी ने शनिवार को डल्लेवाल से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य पर चिंता जताई। मुहैया कराए गए प्रस्ताव के तहत, डल्लेवाल ने चिकित्सा सहायता लेने की सहमति दी, लेकिन यह स्पष्ट किया कि उनका आमरण अनशन तब तक जारी रहेगा जब तक कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर उनकी मांग पूरी नहीं की जाती।

स्वास्थ्य का मुद्दा और बातचीत की तैयारी

हालात की गंभीरता को देखते हुए, डल्लेवाल की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही है। शुक्रवार मध्यरात्रि को वह फिर से उल्टी करने लगे, जिसके बाद चिकित्सकों ने उन्हें इलाज की सलाह दी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। अनशन के कारण उनका वजन 20 किलो तक कम हो चुका है। इसी बीच, हरियाणा की सीमा पर आमरण अनशन पर बैठें 111 किसानों में से बठिंडा के किसान बादल सिंह भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रियरंजन खनौरी ने डल्लेवाल से बातचीत के दौरान किसानों की चिंताओं को सुना और यह सुनिश्चित किया कि उनके स्वास्थ्य की देखभाल की जा रही है। किसानों की ओर से अभिमन्यु कोहाड़ ने यह भी सुझाव दिया कि डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए, ताकि वह 14 फरवरी की बैठक में पूरी तरह से तैयार रह सकें।

चंडीगढ़ में प्रस्तावित बातचीत

यह बातचीत 14 फरवरी को चंडीगढ़ के महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, पंजाब (MGSPAP) में होगी, जिसमें केंद्र और पंजाब सरकार के मंत्री भी उपस्थित रहेंगे। पिछले साल 8, 12, 15 और 18 फरवरी को किसानों के संगठनों से केंद्र सरकार ने बातचीत की थी, और अब एक साल बाद एक नई तिथि तय की गई है।

किसानों की दृढ़ता

डल्लेवाल ने स्पष्ट किया है कि उनकी लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक कि सरकार MSP को लेकर कानून नहीं बनाती।

पूरे देश में किसानों का एक बड़ा आंदोलन जारी है, जिसमें पंजाब और हरियाणा के किसान प्रमुखता से शामिल हैं। 13 फरवरी को, किसानों ने शंभू और खनौरी में प्रदर्शन करना शुरू किया था जिससे यह संकेत मिलता है कि वे अपनी मांगों पर गंभीर हैं और किसी भी हालात में पीछे हटने का इरादा नहीं रखते।

किसान नेताओं की एक बैठक में, पातड़ा में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेताओं ने एकजुटता की बात की, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सभी गुट एकजुटता के लिए सहमति नहीं बना पाए। सरवान सिंह पंधेर ने कहा कि मोर्चा एकता आधारित है और सभी दरवाजे खुले हैं। यह एक महत्वपूर्ण समय है, और किसान अपनी आवाज को मजबूती से उठाने के लिए तैयार हैं।

राजनीतिक गुटों का दृष्टिकोण

राजनीतिक गुटों के नेता बलवीर सिंह राजेवाल और जोगिंदर सिंह उगराहां ने भी एकता के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि दोनों मोर्चों के नेताओं में साझा कार्यक्रम पर सहमति बनी है। खेत कानूनों को संशोधित करने के लिए केंद्र सरकार कृषि विपणन नीति पर काम कर रही है, और इस पर 24 जनवरी को दिल्ली में होने वाली जनरल बॉडी की बैठक में चर्चा की जाएगी।

इस बीच किसानों की स्थिति पर चिंता असामान्य नहीं है। पिछले कुछ महीनों में किसान आंदोलनों ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया है, खासकर जब से तीन कृषि कानूनों को लागू किया गया था।

किसानों की चिंता इस बात को लेकर है कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो आंदोलन और तेज होगा। उनकी एकजुटता और दृढ़ता ही उनकी शक्ति है, और इसी कारण वे अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

अंतिम विचार

डल्लेवाल व अन्य किसानों की तबीयत की चिंता, आगामी बातचीत और किसानों की एकजुटता के बीच यह स्पष्ट है कि भारतीय किसान आंदोलन एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। इस संघर्ष की अभी समाप्ति नहीं हुई है और अब सभी की नजरें 14 फरवरी की बातचीत पर हैं।

किसानों का आमरण अनशन उनके संघर्ष की गूंज को पूरे देश में फैलाने के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम है। अगर केंद्र सरकार इस बार किसान संगठनों की मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो यह आंदोलन और भी बड़े रूप में उभर सकता है, जिससे सरकार को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का साहस और समर्पण देशभर के किसानों के लिए प्रेरणादायक है। उनकी लड़ाई सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि समस्त किसान समुदाय के लिए है, जो न्याय और अधिकार की मांग कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह आंदोलन किस दिशा में आगे बढ़ता है।

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