कैथल में फसल रजिस्ट्रेशन में धांधलेबाजी: हड़प रहे सरकारी पैसा, गिरोह कर रहा ठगी

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल: Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले के गांव दुब्बल में एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें एक आरोपी ने अपनी अन्य साथियों के साथ मिलकर कृषि सरकार की ‘मेरी फसल- मेरा ब्योरा’ स्कीम का दुरुपयोग किया है। आरोपी ने एक स्थानीय किसान की फसल का फर्जी पंजीकरण अपने नाम पर करवा लिया, जिससे उस किसान को न केवल वित्तीय हानि हुई, बल्कि उसके समस्त सरकारी लाभ भी समाप्त हो गए।

धोखाधड़ी की शुरुआत

इस मामले का मुख्य पात्र गांव दुब्बल का किसान रोहताश है, जो अपने नाम पर लगभग 5 एकड़ कृषि भूमि का मालिक है। जब उसने अपने खेतों की फसल का पंजीकरण करवाने का प्रयास किया, तो उसे पता चला कि उसके खेतों का पहले से ही पंजीकरण दूसरे व्यक्ति, धर्मबीर नामक आरोपी के नाम पर हो चुका है। यह जानकारी रोहताश के लिए चौंकाने वाली थी, क्योंकि धर्मबीर एक व्यवसायी है, जो किसान नहीं है और जो असल में कृषि कार्यों से दूर ही रहता है।

 व्यापक ठगी का खेल

जांच में यह भी पता चला कि आरोपी ने केवल रोहताश की फसल का ही नहीं, बल्कि दुब्बल और बालू गांवों में कुल 50 एकड़ भूमि का फर्जी पंजीकरण करवा रखा है। इस प्रकार, आरोपी ने एक ऐसा नेटवर्क स्थापित किया है, जिसमें वह हरियाणा के किसानों से धोखाधड़ी करके सरकारी योजनाओं के लाभ का फायदा उठा रहा है। आरोपी न केवल अपनी फसल का पंजीकरण करा रहा है बल्कि वह पंजाब और अन्य राज्यों से सस्ती दामों पर फसल खरीदकर हरियाणा में उसे बेचना भी कर रहा है।

सरकारी लाभ का दुरुपयोग

 

हरियाणा सरकार द्वारा किसानों को पंजीकरण के माध्यम से 2000 रुपए की राशि दी जाती है। लेकिन इस मामले में, यह राशि सीधे आरोपी के खाते में जा रही है, जिससे सरकारी सहायता पाने वाले असली किसान रोहताश और अन्य प्रभावित हो रहे हैं। यह आरोप रोहताश ने अपने बयान में साफ तौर पर लगाया है।

जब रोहताश ने पंजीकरण वेबसाइट खोली, तो उसके स्थानीय भूखंडों का पंजीकरण नीटू जिंदल के नाम पर दिखाई दिया। इस प्रकार के फर्जी पंजीकरण से न केवल किसानों को नुकसान हो रहा है, बल्कि यह धोखाधड़ी का एक गंभीर मामला बनता जा रहा है।

जान से मारने की धमकी

 

जब रोहताश ने इस मुद्दे पर धर्मबीर और उसके साथियों से बात करने का प्रयास किया, तो उसे जान से मारने की धमकी मिली। इस धमकी ने किसानों के बीच डर का माहौल बना दिया है और कई अन्य किसान भी इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में रोहताश ने न केवल स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, बल्कि इस मामले को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में भी पहुंचाने का निर्णय लिया।

पुलिस की कार्रवाई

चीका थाना के जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर विजेंद्र सिंह ने इस मामले पर गंभीरता से ध्यान दिया है। उन्होंने मीडिया को बताया कि आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है और मामले की आगामी जांच जारी है। पुलिस का कहना है कि जांच में जो तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

किसानों के अधिकार की सुरक्षा

इस मामले ने न केवल रोहताश के अधिकारों का उल्लंघन किया है, बल्कि यह सभी किसानों के लिए चिंता का विषय बन गया है। किसान अक्सर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और जब ऐसे मामलों में फर्जी पंजीकरण से उनके अधिकारों का हनन होता है, तो यह एक बड़ी समस्या बन जाती है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि किसानों को अपनी भूमि और फसल के अधिकारों की रक्षा के लिए और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।

सरकारी नीतियों पर सवाल

 

यह मामला केवल एक धोखाधड़ी नहीं है, बल्कि यह किसानों के प्रति सरकारी नीतियों की प्रभावशीलता पर भी प्रश्न खड़ा करता है। जब तक इस प्रकार की धोखाधड़ी पर सख्त नियम और कानून लागू नहीं किए जाते, तब तक इस तरह के मामलों की पुनरावृत्ति होना तय है। किसानों को जागरूक करना और उन्हें अपनी फसल और भूमि के पंजीकरण की प्रक्रिया में सही जानकारी प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है।

रोहताश का यह संघर्ष इस बात का उदाहरण है कि किसान हमेशा अपनी जमीन और अधिकारों के लिए संघर्षरत रहते हैं। ऐसे मामलों में सरकारी तंत्र की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है कि वह असली किसानों को उनकी हक की राशि और लाभ समय पर पहुंचाए और ऐसे गिरोह के खिलाफ ठोस कदम उठाए।

हरियाणा में होने वाली इस तरह की धोखाधड़ी से न केवल रोहताश जैसे किसान पीड़ित हो रहे हैं, बल्कि यह पूरे कृषि समुदाय को प्रभावित कर रही है। इसलिए, इस मामले की बारीकी से जांच आवश्यक है ताकि भविष्य में इस तरह की गतिविधियों को रोका जा सके और किसानों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।

 

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