Kisan Andolan:केंद्र के बातचीत के प्रस्ताव के बावजूद बार्डरों से नहीं हटेंगे किसान, 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे

कुरुक्षेत्र में किसान महापंचायत

नरेन्‍द्र सहारण, खनौरी (संगरूर) : Kisan Andolan: पिछले 11 महीनों से खनौरी, शंभू और रत्नपुरा बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसान 14 फरवरी को केंद्र सरकार से बातचीत के प्रस्ताव के बावजूद अपने मोर्चों पर डटे रहने का निर्णय लिया है। इस दौरान देशभर में 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर मार्च का कार्यक्रम भी पूर्ववत् जारी रहेगा, जबकि 20 जनवरी को सांसदों के आवास पर प्रदर्शन का कार्यक्रम वापस ले लिया गया है।

दोनों किसान फोरम की बैठक

 

21 जनवरी को शंभू बार्डर से दिल्ली की ओर कूच करने की योजना को लेकर निर्णय लिया जाएगा। यह निर्णय सोमवार को दोनों किसान फोरम की बैठक में होगा। इसी बैठक में 13 फरवरी को आंदोलन की वर्षगांठ मनाने और 21 फरवरी को युवा किसान शुभकरण की पहली बरसी की रूपरेखा को भी तैयार किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि शुभकरण की मृत्यु गोली लगने से हुई थी, जोकि दिल्ली कूच के दौरान हुई थी।

मेडिकल ट्रीटमेंट लेना शुरू कर दिया

 

इस बीच 55 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने शनिवार मध्यरात्रि से मेडिकल ट्रीटमेंट लेना शुरू कर दिया है। खनौरी बार्डर पर हरियाणा-राजस्थान सीमा में अनशन पर बैठे 121 किसानों ने डल्लेवाल के आग्रह पर अपना मरणव्रत समाप्त कर दिया और वापस लौट आए हैं। भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के महासचिव काका सिंह कोटड़ा ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि केंद्र ने केवल किसानों की मांगों पर बातचीत का प्रस्ताव दिया है, लेकिन कोई समाधान नहीं किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं।

कोटड़ा ने यह भी कहा कि बार्डर हरियाणा सरकार ने बंद किए हैं, न कि किसानों ने। यदि हरियाणा सरकार चाहेगी, तो वह बार्डरों को खोल सकती है। किसानों के अनशन की समाप्ति के बाद खनौरी बार्डर पर किसानों ने अपनी स्थिति को मजबूत करते हुए डल्लेवाल से मिलने का निर्णय लिया। यह ध्यान देने वाली बात है कि डल्लेवाल ने केंद्र सरकार से मांग की है कि 14 फरवरी की बैठक चंडीगढ़ में हो और अगली बैठक दिल्ली में होनी चाहिए, क्योंकि एमएसपी गारंटी कानून और अन्य मांगें केवल पंजाब के किसानों से ही नहीं, बल्कि देशभर के किसानों से जुड़ी हुई हैं।

पुलिस द्वारा नोटिस भेजे गए

 

किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने इस बातचीत में उल्लेख किया कि 23 फरवरी 2024 को किसान आंदोलन के समर्थन में हिसार के खेड़ी चौपटा पर इकट्ठा हुए सैकड़ों किसानों पर हरियाणा पुलिस ने कार्रवाई की थी। इस घटना में कई किसान घायल हुए और उन पर झूठे मुकदमे भी दर्ज किए गए थे। अब किसानों को पुलिस द्वारा नोटिस भेजे गए हैं, जिसमें 17 मई 2025 को होने वाली पेशी में अदालत में उपस्थित होने के लिए कहा गया है। कोहाड़ ने किसानों को यह सलाह दी है कि वे इन नोटिसों पर कोई प्रतिक्रिया न दें और अदालत में उपस्थित न हो।

दोनों फोरमों की जिम्मेदारी

 

उन्होंने कहा कि उन मुकदमों को रद्द करवाना एसकेएम (अराजनीतिक) और केएमएम दोनों फोरमों की जिम्मेदारी है। इस विषय पर किसान आंदोलन के नेताओं और केंद्र सरकार के बीच होने वाली बैठक में चर्चा की जाएगी, ताकि किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को रद्द कराया जा सके।

किसान संगठनों ने फिर से स्पष्ट किया है कि वे केंद्र सरकार की ओर से दी गई किसी भी प्रस्ताव का स्वागत करते हैं, लेकिन जब तक उनकी बुनियादी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। किसान नेताओं ने यह भी सुनिश्चित किया है कि उनका एकजुटता बनी रहेगी और वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहेंगे।

एकजुटता और संघर्ष  जारी

 

आंदोलन के समर्थन में किसानों का यह जोरदार इरादा दर्शाता है कि वे अपनी मांगों को लेकर कितने गंभीर हैं। केंद्र सरकार की ओर से बातचीत के प्रस्ताव के बावजूद, किसानों ने यह सुनिश्चित किया है कि उनका एकजुटता और संघर्ष तभी तक जारी रहेगा जब तक सभी मुद्दों का समाधान नहीं किया जाता।

इस प्रकार, किसान आंदोलन की गूंज अब केवल पंजाब और हरियाणा तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे देश में फैल चुकी है। किसानों के लिए यह समय महत्वपूर्ण है क्योंकि वे अपनी मांगों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं और सरकार के प्रति अपना संदेश स्पष्ट करने में जुटे हैं। जिस तरह से किसान संगठन एकजुटता से आगे बढ़ रहे हैं, वह निश्चित रूप से आने वाले समय में राजनीतिक और सामाजिक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

किसानों का यह संघर्ष दर्शाता है कि जब वे एकजुट होते हैं, तो उनकी आवाज़ सुनी जाती है और उनकी मांगों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि केंद्र सरकार इस आंदोलन का कैसे जवाब देती है और क्या किसानों की मांगों को सुनकर कोई सकारात्मक बदलाव लाने में सहमत होती है।

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