Kisan Andolan : डल्लेवाल का अनशन खत्म कराने को मध्यस्थता करेगी नायब सरकार, दो घंटे में किसानों की 13 मांगों पर हुई सकारात्मक चर्चा

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: Kisan Andolan : हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के साथ दो घंटे तक चली वार्ता के बाद किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन को समाप्त कराने का भरोसा दिया है। यह वार्ता दिल्ली जाने की अनुमति, फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी कानून बनाने सहित किसानों की कई महत्वपूर्ण मांगों पर केंद्रित थी।
किसानों की चिंताएं और आग्रह
किसान नेता डल्लेवाल ने अनशन के माध्यम से फसलों पर एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने की आवश्यकता जताई। उनके अनशन का मुख्य कारण यह था कि किसानों को एमएसपी के तहत उनकी फसल का सही मूल्य नहीं मिल रहा है। सचिवालय में हुई इस वार्ता में किसानों ने मुख्यमंत्री से मांग की कि कोई भी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर न बिके, जिसके लिए कानून बनाना अनिवार्य है। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने सभी फसलों के लिए एमएसपी पर खरीद की अधिसूचना जारी कर दी है, जो एक प्रकार से समर्थन है।
मुख्यमंत्री की मध्यस्थता की पेशकश
मुख्यमंत्री ने किसानों के प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि वे इन मुद्दों को केंद्र सरकार के समक्ष उठाने के लिए मध्यस्थता करेंगे। वार्ता के दौरान, उन्होंने कहा कि अगर किसान प्रतिनिधि अपने सुझाव 10 जनवरी तक लिखित में प्रस्तुत करें, तो वह उन्हें केंद्र सरकार के समक्ष पेश करेंगे। यह स्पष्ट है कि दोनों पक्षों के बीच संवाद का एक सकारात्मक माहौल बना हुआ है और सरकार किसानों के मुद्दों को गंभीरता से ले रही है।
गन्ना और अन्य फसलों की समस्याएं
किसान प्रतिनिधियों ने गन्ने की फसल की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि चीनी मिलें अधिकतर एक-दूसरे से गन्ना खरीद रही हैं और गन्ने के भाव में कमी आई है, जिसके कारण अगली फसल की बिजाई कम होने की संभावना है। किसानों ने गन्ने का MSP 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की, जिस पर मुख्यमंत्री ने सभी चीनी मिलों से बातचीत करने का आश्वासन दिया।
वित्तीय सुरक्षा के लिए सुझाव
किसानों ने यह सुझाव भी दिया कि किसान क्रेडिट कार्ड और अन्य लोन के लिए बीमा किया जाए। ताकि किसानों के साथ किसी भी प्रकार की अनहोनी होने पर उनके परिवार पर आर्थिक बोझ न पड़े। मुख्यमंत्री ने इस मांग का समर्थन किया और समस्या के समाधान का भरोसा दिलाया।
सहकारी समितियों की स्थिति
सहकारी समितियों में नए खातों का न बनना और लोन की लिमिट में वृद्धि न होना भी किसानों के महत्वपूर्ण मुद्दे रहे। किसान संगठनों ने बताया कि खेती की लागत लगातार बढ़ रही है, जबकि सहकारी समितियों में प्रक्रियाएं ठप हैं। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार को निर्देश देने का आश्वासन दिया।
मनरेगा और कृषि
मनरेगा को खेती से जोड़ने का सुझाव भी किसानों ने सरकार के सामने रखा। इससे मजदूरों की कमी को पूरा किया जा सकेगा। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने सूखा प्रभावित किसानों के लिए मुआवजा देने की घोषणा की थी, लेकिन कई किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला। इस मामले में भी कार्रवाई का आश्वासन दिया गया।
लंबित भुगतान की मांग
हरियाणा के किसानों को उत्तराखंड की इकबालपुर शुगर मिल से 2017-18 का 34 करोड़ रुपये गन्ने का बकाया भी वसूल करने की मांग की गई। इसके अतिरिक्त, सरसों, सूरजमुखी और बाजरा की औसतन पैदावार को 10 से 12 किवंटल प्रति एकड़ खरीद में सुनिश्चित करने का प्रमुख वादा मुख्यमंत्री ने किया।
सकारात्मक संवाद का माहौल
गुरनाम सिंह चढूनी ने मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक को सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि हर मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुई और मुख्यमंत्री ने सभी मांगों को गंभीरता से सुना। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार किसानों की समस्याओं पर गंभीरता से विचार कर रही है।
मैं किसान परिवार से आता हूं और खुद खेत में हल चलाया है।हर कदम पर किसान भाइयों को होने वाली समस्याओं को समझता हूं और संवाद द्वारा समाधान का प्रयास करता हूं।
आज श्री गुरुनाम सिंह चढूनी की अगुवाई में विभिन्न किसान संगठनों के नेताओं के साथ किसान हित के कई मुद्दों पर विस्तृत चर्चा… pic.twitter.com/y3q06ENemk
— Nayab Saini (@NayabSainiBJP) December 30, 2024
नायब सिंह सैनी का दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि वह स्वयं किसान परिवार से आते हैं और किसानों की समस्याओं को समझते हैं। उन्होंने बताया कि वह लगातार किसानों के संवाद में रहेंगे और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए काम करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उनकी सरकार का प्रयास है कि किसान समृद्ध बने और देश प्रगतिशील हो।
आशा की किरण
हरियाणा में किसानों और सरकार के बीच एक संवाद का सकारात्मक फलक तैयार हो रहा है। किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर सख्त हैं, जबकि सरकार उन्हें सुनने के लिए तैयार है। यह वार्ता आशा की किरण है कि किसानों की समस्याओं का समाधान समय पर किया जाएगा। यदि दोनों पक्षों के बीच इस तरह का सकारात्मक संवाद बना रहा, तो निश्चित रूप से कृषि क्षेत्र में सुधार देखने को मिलेगा। बहरहाल, कठिनाईयों का समाधान निकालने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना है और दोनों पक्षों को मिलकर इस दिशा में आगे बढ़ना होगा।
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