जानें- कितना खतरनाक होता है सर्वाइकल कैंसर, जिससे मॉडल पूनम पांडेय की चली गई जान

सर्वाइकल कैंसर से हर दिन दम तोड़ रही हैं 211 महिलाएं
नई दिल्ली, BNM News: Cervical cancer Death: अभिनेत्री पूनम पांडेय की मौत की खबर आ रही है। पूनम ने वर्ल्ड कप जीतने पर इंडियन क्रिकेटर्स के सामने न्यूड होने का ऑफर दिया था और हमेशा ही ऐसे सनसनीखेज बयानों के चलते सुर्खियों में रहती थीं। बताया जा रहा है कि पूनम पांडेय सर्वाइकल कैंसर से जूझ रही थीं और आखिरकार उन्होंने दम तोड़ दिया। दिलचस्प है कि 1 फरवरी को अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देशभर में 9-14 साल की बच्चियों को निशुल्क सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन लगवाने का भी बड़ा फैसला किया था, ताकि महिलाओं को इस कैंसर से बचाया जा सके. आइए जानते हैं कितना खतरनाक होता है सर्वाइकल कैंसर?
बता दें कि सर्वाइकल कैंसर भारत में महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे खतरनाक कैंसर है। जिसकी वजह से हर साल हजारों महिलाओं की जान चली जाती है। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर की भारत को लेकर रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर साल करीब 1 लाख 30 हजार महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर डिटेक्ट होता है और इनमें से हर साल करीब 74 हजार महिलाओं की जान चली जाती है जो कि संक्रमण का लगभग 62 फीसदी है। ऐसे में यह ब्रेस्ट कैंसर के बाद दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला और भारत का पहला सबसे ज्यादा मृत्यु दर वाला कैंसर है।
9-14 साल की लड़कियों को फ्री वैक्सीन
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि देशभर में 9-14 साल की लड़कियों को मुफ्त में HPV वैक्सीन लगाई जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार मुख्य मकसद सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम करना है। उन्होंने कहा कि इस मिशन की शुरुआत मिशन इंद्रधनुष के जरिए किया जाएगा। सर्वाइकल कैंसर के कारण हर साल हजारों महिलाओं की जान जा रही है।
वैक्सीन से बचेगी जान
उल्लेखनीय है कि सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। अगर सही उम्र में इस वैक्सीन को लगवा लिया जाए तो इस गंभीर बीमारी को 98 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। यूट्रस के सर्विक्स में होता है। ये बीमारी कितना खतरनाक है ये आप इससे समझ सकते हैं कि इसके कोई लक्षण भी जल्दी नहीं दिखते हैं। बाद में केवल जांच पर ही इस बीमारी का पता चलता है। दुनिया के कई देशों में इस बीमारी से बचने के लिए मुफ्त वैक्सीन लगवाई जाती है।
सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते मामले
महिलाओं के लिए दूसरी सबसे खतरनाक बीमारी सर्वाइकल कैंसर है। महिलाओं में हर तरह के कैंसर के करीब 18 प्रतिशत मामले सामने आते हैं। हर साल करीब 1 लाख 20 हजार नए मामले सर्वाइकल कैंसर के आते हैं। जिसमें 77 हजार से ज्यादा महिलाओं की मौत हो जाती है। यानी हर रोज करीब 211 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से जान गंवाती हैं। देश में सर्वाइकल कैंसर की जांच महज एक फीसदी महिलाएं कराती हैं। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि कम से कम 70 प्रतिशत महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की जांच होनी चाहिए।
टीका के लिए 9-14 साल की उम्र ही क्यों समझिए
सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एचपीवी का टीका बहुत असरदार है। यह खासकर 9 से 13 साल के बच्चियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही वो उम्र होती है जब वो बड़ी हो रही होती हैं। हालांकि, 25 से 45 साल तक की महिलाओं को भी ये टीका लगवाया जा सकता है। सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर) भारत में महिलाओं में सबसे आम कैंसर और दुनिया भर में महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है। यह मुख्य रूप से ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) के संक्रमण की वजह से होता है। सर्वाइकल कैंसर को रोकने के कई तरीके हैं। उनमें वैक्सीनेशसन सबसे ज्यादा कारगर है।
क्यों होता है सर्वाइकल कैंसर, क्या है लक्षण
सर्वाइकल कैंसर मुख्य रूप से हाई रिस्क ह्यूमन पैपिलोमा वायरस समूह टाइप्स के इन्फेक्शन की वजह से होता है और शारीरिक संपर्क के बाद एक दूसरे में ट्रांसमिट होता है। डाक्टर की माने तो सर्वाइकल कैंसर का पता हेल्थ एक्सपर्ट स्क्रीनिंग से ही लगा सकते हैं। इसका कोई प्रकट लक्षण नहीं दिखाई देता। यही वजह है कि यह सालों-साल छुपा रहता है और भारत में खासकर तीसरी या चौथी स्टेज पर जाकर महिलाओं में यह डिटेक्ट हो पाता है. तब तक काफी देर हो चुकी होती है और अधिकांश महिलाएं जान गंवा देती हैं।
ऐसे बच सकती है जान
डॉक्टरों का कहना है कि यह कैंसर 100 फीसदी प्रिवेंटेवल है और इस बात को सभी को समझ लेना चाहिए। हालांकि इससे बचाव का उपाय भी सिर्फ वैक्सीन ही है जो कि छोटी बच्चियों और बच्चों को इसके इन्फेक्शन फेज से पहले ही लगवा देनी चाहिए। भारत में बनी सर्वाइकल कैंसर की सीरम इंस्टीट्यूट की सर्वावैक वैक्सीन 98 फीसदी कारगर है, लेकिन इसके लिए बेहद जरूरी है कि इसे फिजिकल इंटरकोर्स या शारीरिक संबंध बनाने से पहले लगा देना चाहिए। लड़कियों में इसे 9 से 14 साल की उम्र तक लगा देना बेस्ट है, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके बाद टीका नहीं लगवाया जा सकता। 46 साल की उम्र तक यह टीका लगवा सकते हैं और यह निश्चित रूप से बचाव करेगा। इसके अलावा समय समय पर स्क्रीनिंग कराना भी इस कैंसर से बचने के लिए एक विकल्प हो सकता है।
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