जानें क्यों वो रात जिसे नहीं भूल सकते हैं निर्देशक और संगीत निर्देशक विशाल भारद्वाज

मुंबई। विशाल भारद्वाज ने अपना फिल्मी सफर गुलजार के साथ मिलकर छोटे पर्दे पर द जंगल बुक, एलिस इन वंडरलैंड और गुब्बारे के साथ शुरू किया था। इसके बाद उन्होने गुलजार निर्देशित फिल्म माचिस का संगीत दिया था। इस फ़िल्म के गीतों ने अपार लोकप्रियता हासिल की। इसके बाद विशाल भारद्वाज रातों रात सुर्खियों में आ गए।

फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लगभग हर व्यक्ति की इस पेशे में आने को लेकर अपनी-अपनी कहानियां होंगी। किसी की कहानी में बहुत संघर्ष होगा, तो किसी की कहानी अनोखी होगी। बात करें अगर मकबूल और हैदर फिल्मों के निर्देशक विशाल भारद्वाज की तो उनकी कहानी दिलचस्प होने के साथ ही कुछ सीखा भी जाती है। विशाल कहते हैं कि मुझे वह रात याद है, जब दिल्ली से मुंबई आ रहा था। दिल्ली से निकलने से पहले मैं और रेखा (विशाल की पत्नी और गायिका रेखा भारद्वाज) अपने स्कूटर पर कई लोगों को अलविदा कहने और उनका धन्यवाद करने निकले थे। उस दिन सुबह से खाना नहीं खाया था। कहीं पानी या चाय पी लिया था, बस। बिस्किट तक नहीं खाई थी। कई बार लगा अब खा लेंगे, तब खा लेंगे, लेकिन नहीं हो पाया। फिर सोचा फ्लाइट में कुछ न कुछ खा लूंगा। लेकिन इतना थका हुआ था कि जब तक खाना आया, मैं सो चुका था। उठा तो भूख लगी थी। फिर जब हम सब फ्लाइट से निकलने लगे, तो मैंने एयरहोस्टेज के पास जाकर कहा कि मैंने कुछ खाया नहीं है। क्या आप मेरा वाला खाने का डिब्बा मुझे दे देंगी।

उन्होंने मुझे दो डिब्बे दे दिए। जब मैंने इतनी देर बाद खाना खाया, तो पता लगा कि खाने की अहमियत क्या होती है। जिंदगी का शुक्रगुजार हूं कि जिसने मुझे इस मुकाम पर पहुंचाया है। जिस घर में पैदा हुआ, वहां शिक्षा मिली, इसलिए आज अपने पैरों पर खड़ा हूं। उस दिन यही सीखा कि जो नहीं मिला, उसका दर्द नहीं होना चाहिए। जो मिल गया, उसकी खुशी होनी चाहिए। खुद को यह बातें आज भी याद दिलाता हूं।

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