जानें क्यों सर्दियों में वायु प्रदूषण से बढ़ जाता है हृदय रोग का जोखिम
उत्तर भारत में वायु प्रदूषण बढ़ गया है। ऐसे में हृदय रोग का खतरा भी बढ़ गया है। एक अध्ययन मे पाया गया है कि गर्मियों की तुलना में सर्दी के मौसम में दिल का दौरा व सीने में दर्द के चलते अस्पताल में भर्ती होने की दर बढ़ जाती है। अध्ययन में पाया गया कि इस मौसम में गर्मियों की अपेक्षा पीएम 2.5 की हवा में अधिकता से वायु प्रदूषण बढ़ जाता है, जिससे हार्ट अटैक का जोखिम 10 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
शोधकर्ताओं का निष्कर्ष
इस साल 11 से 13 नवंबर को होने वाले अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के विज्ञान सत्र में पेश किया जाएगा। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 22 हजार लोगों के हेल्थ रिकार्ड का मूल्यांकन किया गया, इनकी औसत उम्र 66 वर्ष थी। ये लोग 1999 से 2022 के बीच हार्ट अटैक और अस्थिर सीने के दर्द से पीड़ित रहे। पीएम 2.5 हवा में मौजूद धूल के छोटे कण होते हैं, जो वायु गुणवत्ता का स्तर बताते हैं। ये पीएम10 की अपेक्षा अधिक खतरनाक होते हैं। यानी ये कण जितने छोटे होते हैं उतने अधिक हानिकारक होते हैं।
अध्ययन में ग्रीन लेवल वायु गुणवत्ता सूचकांक और ओरेंज लेवल वायु गुणवत्ता सूचकांक की तुलना कर पीएम 2.5 के जोखिम को उद्घाटित किया गया। शोध दल ने बताया कि ओरेंज-लेवल वायु गुणवत्ता हृदय और श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए संवेदनशील है, खासतौर पर बाहर जाने वाले बच्चों, किशोरों व बुजुर्गों के लिए।
वहीं, ग्रीन-लेवल वायु गुणवत्ता सूचकांक को स्वास्थ्य के लिए मामूली नुकसानदेह बताया गया। जाड़े में मोटर वाहनों, कारखाने के उत्सर्जन व लकड़ी आदि जलाने से हवा में पीएम2.5 का स्तर बढ़ जाता है। भारत में दिल्ली व उसके आसपास वायु प्रदूषण बढ़ने के बीच यह शोध महत्वपूर्ण है।