Lohri Puja Muhurat: लोहड़ी पूजा मुहूर्त 2025, इस समय लोहड़ी जलना होगा शुभ और मंगलकारी

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूजः  लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी 2025 को पूरे देश में मनाया जा रहा है। यह पर्व मूल रूप से सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश का पर्व है यानी सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का पर्व है। यह ऋतु परिवर्तन औऱ रबी की फसल कटकर आने का भी पर्व है जो हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है।

दरअसल यह सूर्य के उत्तरायण होने की खुशी में और रबी फसल के घर के आने की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व। लोहड़ी वह अंतिम दिन होता है जब सूर्य दक्षिणायन होते हैं और देवताओं की रात समाप्त होने वाली होती है। इसलिए नई सुबह के स्वागत में और शीत ऋतु को विदा करने की खुशी में भी लोग उत्साह सहित लोहड़ी का पर्व मनाते हैं।

लोहड़ी की पौराणिक मान्यता

वैसे लोहड़ी को लेकर कई मान्यताएं भी हैं जिसके अनुसार द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए कंस की भेजी गई एक राक्षसी आयी जो लोहिता कहलाती थी। भगवान श्रीकृष्ण ने पूतना की भांति ही इस राक्षसी का भी अंत कर दिया और इसके उपलक्ष्य में लोगों ने अग्नि जलाकर गायन वादन और नर्तन किया। इस समय से ही लोहिया के मारे जाने की खुशी में लोहड़ी का पर्व मनाया जाने लगा।

पंजाब की लोहड़ी की खास बातें

इसमें फिर पंजाब का एक नया रंग शामिल हो गया जो दुल्ला भट्टी की बहादुरी और दिलेरी का रंग है। दुल्ला भट्टी एक बांका बहादुर था जो जुल्म के खिलाफ लाचार और कमजोरों की मदद करता था। इन्होंने सुंदरी और मुंदरी नाम की दो ब्राह्मण कन्याओं का विवाह करवाया था।

इन कन्याओं का विवाह कहीं और होना था लेकिन वहां का मुगल सूबेदार उनसे शादी करना चाहता था। ऐसे में दुल्ला भट्टी ने लड़के के परिवार वालों को मनाकर लोहड़ी वाली रात में जंगल में आग जलाकर सुंदरी और मुंदरी की शादी करवाई थी और उनका कन्यादान भी किया था। और विदाई में कन्याओं को शक्कर दिया था। तब से भी मकर संक्रांति के एक दिन पहले दिलेर दुल्ला भट्टी को याद करके अग्नि के फेरे लेते हुए लोग दुल्ला भट्टी के गीत गाते हैं और गिद्दा और भंगड़ा नृत्य करते हैं।

लोहड़ी के दिन की मान्यता है कि इस दिन लोहड़ी की आग में रबी की फसल, मूंगफली, गेहूं की बालियां, मक्के का लावा, रेवड़ियां डालते हैं। पके हुए गेहूं की बालियों को लोग प्रसाद के तौर पर खाते हैं। साथ ही इस दिन पंजाब में गन्ने के रस के खीर बनाकर अगले दिन खाते हैं। माना जाता है कि इससे आरोग्य और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

लोहड़ी पूजन और लोहड़ी की आग जलाने का मुहूर्त

लोहड़ी की अग्नि प्रदोष काल में प्रज्वलित करना शुभ माना जाता है। इस साल लोहड़ी के दिन शाम 5 बजकर 45 मिनट पर सूर्यास्त होगा। ऐसे में सूर्यास्त से लेकर दो घंटे तक का समय लोहड़ी पूजन और लोहड़ी की अग्नि प्रज्वलित करने के लिए अत्यंत शुभ रहेगा। इस वर्ष शुभ चौघड़िया जिसमें लोहड़ी पूजन करना शुभ रहेगा वह है शाम 5 बजकर 44 मिनट से शाम 7 बजकर 25 मिनट।

लोहड़ी पूजा की विधि जानें

सबसे पहले लोहड़ी के दिन लकड़ियों को इकट्ठी कर लें। इसके बाद इसे अच्छे से सजाकर इसके ऊपर गंगाजल या पवित्र जल छिड़ककर शुद्ध कर लें। इसके बाद लोहड़ी की के लिए इकट्ठी की गई लकड़ियों पर हल्दी, अक्षत, कुमकुम अर्पित करें। इसके बाद अग्नि को प्रज्वलित करके इसकी परिक्रमा करें।

अग्नि में गेहूं की बालियां, गजक, मूंगफली, मक्का डालें। इसके साथ ही साथ पवित्र अग्नि की परिक्रमा करें। फिर ईश्वर से सुख शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें। घर में छोटे बच्चों को इस अग्नि का धुआं जरूर लगाना चाहिए मान्यता है कि इससे नजर दोष हट जाता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

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