Loksabha Election 2024: बिहार दौरे में भाजपा कार्यकर्ताओं को 4 बिंदुओं पर चुनावी सीख दे गए अमित शाह, जानें क्या दिए सुझाव
पटना, बीएनएम न्यूज। भाजपा प्रदेश कोर ग्रुप की बैठक रविवार की शाम भेंट-मुलाकात तक सिमट कर रह गई। थोड़े समय में भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार भाजपा के नेताओं को बड़ी बात समझा गए। उन्होंने कहा कि किसी जाति-जमात का विरोध किए बिना भाजपा को पूर्व निर्धारित चुनावी रणनीति पर आगे बढ़ना है। बात मात्र जनहित की होगी और उसका सुफल तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान) के चुनाव परिणाम की तरह बिहार में भी मिलेगा।
पार्टी नेताओं को विशेष प्रयास का निर्देश दिया
शाह अपने इस भरोसे का आधार जनता के बीच विरोधियों की विश्वसनीयता का कम होना और उनका आपसी मनमुटाव बता गए। 27 लोगों से विचार-विमर्श की संभावना थी, लेकिन शाह मिले 20 लोगों से।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लगातार तीसरी चुनावी जीत के लिए शाह बिहार विजय को अत्यंत आवश्यक बता गए। अपेक्षाकृत कठिन प्रतीत होने वाले लोकसभा क्षेत्रों में उन्होंने पार्टी नेताओं को विशेष प्रयास का निर्देश दिया है। समझाया है कि पिछली जीत के समय नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे। जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को साथ लेकर नीतीश की कमी की भरपाई का प्रयास है, लेकिन लोजपा के दोनों (पशुपति कुमार पारस व चिराग) धड़ों में सामंजस्य की कठिन चुनौती है। भाजपा नेताओं से चर्चा का पहला बिंदु विपक्ष और विश्वसनीयता रहा।
नेतृत्व को लेकर विपक्ष में अनबन बढ़ने की आशंका
उन्होंने समझाया कि हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में जातिवार गणना शोशा-मात्र बनकर रह गया। बिहार में हुई गणना में भी जनता को गड़बड़ी की आशंका है। जनता में विरोधियों की विश्वसनीयता कम हुई है, इसलिए भाजपा को परेशान होने की आवश्यकता नहीं। इसके बावजूद यादव मतदाताओं से पूरी तरह से निराश नहीं होना है।
मुसलमानों का वोट न मिले, लेकिन यादव बिरादरी के वोट की आशा रखनी होगी
मुसलमानों का वोट भले ही भाजपा को न मिले, लेकिन यादव बिरादरी के कुछ वोट की आशा रखनी ही होगी। वोटिंग पैटर्न में यादवों को मुसलमानों के समतुल्य नहीं मानना है। यह दूसरी सीख रही। तीसरी बात यह कि जन-अपेक्षाओं पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले की तरह खरे नहीं उतर रहे। नेतृत्व को लेकर विपक्ष में अनबन बढ़ने की आशंका है। यह भाजपा के पक्ष में जाएगा। हालांकि, विधानमंडल में महिला और मांझी के संदर्भ में नीतीश की अप्रिय टिप्पणी को सभी ने दुर्योग मात्र माना। कभी निकटस्थ रहे भाजपा नेताओं ने भी स्पष्ट कहा कि उससे पहले नीतीश द्वारा कभी अनर्गल और आपत्तिजनक बात करने का कोई रिकार्ड नहीं। अलबत्ता उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई गई और विधानमंडल की अप्रिय टिप्पणी भी उसी की परिणति बताई गई। चौथी बात यह कि चुनावी तैयारी पहले की तरह जारी रहेगी और अपेक्षा के अनुरूप उसमें समय-समय पर परिर्वतन होता रहेगा।