विपक्षी सांसदों के निलंबन पर बोलीं मायावती- मजाक उड़ाने का वीडियो वायरल करना ठीक नहीं

लखनऊ, BNM News: बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati)ने इंडिया गठबंधन में सपा प्रमुख अखिलेश के रुख पर पलटवार किया है। मायावती ने विपक्षी दलों के गठबंधन को भी चेताया और लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई बार ‘ये ठीक नहीं है या ये उचित नहीं है’ कहकर निशाना साधा।  INDIA मीटिंग पर मायावती ने कहा, इस गठबंधन में बीएसपी समेत अन्य जो पार्टियां शामिल नहीं हैं, उनके बारे में किसी को भी बेफिजूल बात या कोई भी टीका टिप्पणी करना उचित नहीं है। इनसे अलायंस के नेताओं को बचना चाहिए। यही मेरी उनको सलाह भी है। बसपा प्रमुख ने सीधे सपा का भी जिक्र किया।

मायावती ने कहा, भविष्य में देश हित में कब- किसको, किसकी जरूरत पड़ जाए- ये कुछ कहा नहीं जा सकता है। फिर ऐसे लोगों और पार्टियों को शर्मिंदगी उठानी पड़ जाए- ये ठीक नहीं है। इस मामले में खासतौर पर समाजवादी पार्टी इसका जीता-जागता उदाहरण भी है। इसके अलावा, यहां मैं यह भी कहना चाहूंगी कि हमारी पार्टी पूर्ण रूप से धर्मनिरपेक्ष है। हमारे देश में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। उनके अपने अलग-अलग आस्था स्थल बने हैं, इन सभी स्थलों का हमारी पार्टी बीएसपी ने हमेशा सम्मान किया है। यूपी के अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर का जो अगले महीने उद्घाटन होने जा रहा है, उससे हमारी पार्टी को कोई ऐतराज नहीं है।

‘आरोप-प्रत्यारोप से काम नहीं चलेगा’

बसपा प्रमुख ने संसद की सुरक्षा में चूक और उपराष्ट्रपति की मिमिक्री किए जाने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, हाल ही में संसद की सुरक्षा में जो सेंध लगाई गई है, ये ठीक नहीं है। यह बेहद गंभीर और चिंता का विषय है। ऐसे में हमें मिलकर संसद की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने से काम नहीं चलेगा। आरोपियों और साजिशकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होना भी बेहद जरूरी है। ऐसे में खुफिया विभाग को सतर्क रहने की जरूरत है। आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो सके।

‘उपराष्ट्रपति का मजाक उड़ाना उचित नहीं है’

मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी का मानना ​​है कि मौजूदा संसद सत्र में करीब 150 सांसदों का निलंबन विपक्ष या सरकार के लिए कोई गुड वर्क या अच्छा कीर्तिमान नहीं है। इसके लिए कसूरवार कोई भी हो, लेकिन संसदीय इतिहास के लिए यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और जनता के विश्वास पर आघात पहुंचाने वाली है। संसद परिसर में निलंबित सांसदों द्वारा उपराष्ट्रपति का मजाक उड़ाने का वीडियो भी अनुचित और अशोभनीय है। सरकार और विपक्ष के बीच मतभेद की ऐसी घटनाओं से लोकतंत्र और देश की संसदीय परंपराओं को शर्मसार होने से बचाना बहुत जरूरी है। विपक्ष-विहीन संसद में जरूरी विधेयकों का पारित होना भी एक अच्छी परंपरा नहीं है। यहां संसदीय परंपराओं को बचाने की जिम्मेदारी किसी एक की नहीं है, बल्कि सभी की है। जिसे सभी को मिलकर निभाना चाहिए।