Modi Cabinet Ministers Portfolio: मोदी कैबिनेट में हरियाणा, हिमाचल और पंजाब के मंत्रियों को क्या मंत्रालय मिला, जानें इस भागीदारी का महत्व

मनोहर लाल खट्टर, राव इंद्रजीत सिंह, कृष्णपाल गुर्जर।

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Modi Cabinet Ministers Portfolio: मोदी कैबिनेट में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा सोमवार को दिया गया है। इस बार हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश से मंत्री बनाए गए हैं और मंत्रिमंडल में उम्मीद के मुताबिक मिला है। हरियाणा से कैबिनेट मंत्री बनाए गए मनोहर लाल को आवास एवं शहरी विकास और ऊर्जा मंत्री बनाया गया है। मनोहर लाल वर्तमान में करनाल से सांसद हैं। वह दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

हरियाणा के मंत्रियों को मिले विभाग

हरियाणा से राज्य मंत्री राव इंद्रजीत को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन और योजना मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। इसके अलावा संस्कृति मंत्रालय में राव इंद्रजीत कैबिनेट मंत्री गजेंद्र शेखावत के साथ बतौर राज्यमंत्री काम करेंगे। राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर को सहकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री लगाया गया है। वे कैबिनेट मंत्री अमित शाह के साथ इस विभाग में काम करेंगे।

हिमाचल और पंजाब के मंत्रियों के मिले विभाग

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश से इकलौते मंत्री जेपी नड्‌डा को स्वास्थ्य एवं परिवार विभाग और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय सौंपा गया है। पंजाब से राज्य मंत्री रवनीत बिट्‌टू को रेलवे और खाद्य प्रस्कंरण उद्योग का राज्य मंत्री लगाया गया है। रेलवे में वे कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव और खाद्य प्रस्कंरण उद्योग में कैबिनेट मंत्री चिराग पासवान के साथ काम करेंगे। खास बात यह है कि जब पंजाब से अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल केंद्र सरकार में मंत्री थी तो उन्हें खाद्य प्रस्कंरण उद्योग मंत्रालय दिया गया था।

मोदी सरकार में हरियाणा से 3 मंत्री क्यों बनाए?

 

भाजपा ने मोदी सरकार में हरियाणा के 5 लोकसभा सांसदों में से 3 को मंत्री बनाकर सबको चौंका दिया। लोकसभा चुनाव में भाजपा राज्य की 10 में से 5 सीटें हार गई और 5 ही जीत पाई। इसके बावजूद केंद्रीय कैबिनेट में करनाल के सांसद मनोहर लाल, गुड़गांव के राव इंद्रजीत सिंह और फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर को जगह दी गई। ऐसे में सब जानना चाहते हैं कि आखिर भाजपा की क्या राजनीति है, जो हरियाणा में पार्टी की सीटें घटने के बावजूद पिछली सरकार के मुकाबले मंत्रियों की संख्या 2 से बढ़ाकर 3 कर दी गई। इसकी सबसे बड़ी वजह 5 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। 3 सांसदों को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल कर भाजपा ने हरियाणा के पंजाबी, अहीर और गुर्जर समुदाय के साथ-साथ जीटी रोड और अहीरवाल बेल्ट को साधते हुए 90 सीटों वाली विधानसभा में 46 के बहुमत वाले आंकड़े के जुगाड़ की कोशिश की है।

3 मंत्री बनाकर भाजपा की किस पर है नजर

 

1. मनोहर लाल के जरिये जीटी रोड बेल्ट की 30 सीटों पर आंख​​​​​

 

मनोहर लाल खट्‌टर पंजाबी समुदाय से आते हैं। उनकी करनाल लोकसभा सीट हरियाणा की जीटी रोड बेल्ट में आती है। इस बेल्ट में करनाल, अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत, यमुनानगर, पंचकूला और कैथल जिलों की तकरीबन 30 विधानसभा सीटें आती हैं। यहां पंजाबी वोटरों के अलावा जनरल कैटेगरी का वोट बैंक है जो अमूमन भाजपा के साथ रहता है। मनोहर लाल को केंद्रीय मंत्री बनाने की यही बड़ी वजह है। अगर यह दांव कामयाब रहा तो पार्टी जीटी रोड बेल्ट में बढ़त मिलने की उम्मीद लगा सकती है। इसके अलावा फरीदाबाद, रोहतक, रेवाड़ी और गुरुग्राम के पंजाबी वोटरों में भी अच्छा संदेश जा सकता है।

2. अहीरवाल बेल्ट की 11 सीटों पर पकड़ बनाए रखने की कोशिश

 

राव इंद्रजीत दक्षिण हरियाणा के बड़े नेता हैं। दक्षिण हरियाणा में आने वाली अहीरवाल बेल्ट में 14 विधानसभा सीटें हैं। इनमें 3 मुस्लिम बाहुल्य नूंह जिले की सीटें हैं, जहां कांग्रेस का दबदबा है। इन्हें छोड़ भी दें तो 2014 में भाजपा ने अहीरवाल बेल्ट की बची हुई सभी 11 सीटें जीतकर राज्य में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी। 2019 में भाजपा को अहीरवाल बेल्ट की 11 में से 8 सीटें मिली थी, तब 40 विधायक होने के कारण जजपा के 10 विधायकों की मदद से सरकार बनानी पड़ी। इस लोकसभा चुनाव में गुड़गांव सीट पर कांग्रेस की ओर से पंजाबी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले राजबब्बर को उतारने के बाद यहां राव इंद्रजीत को जीतने में पसीने छूट गए। ऐसे में भाजपा ने लगातार दूसरी बार राव इंद्रजीत सिंह को मंत्री बनाकर अहीरवाल बेल्ट को साथ जोड़े रखने की कोशिश की है।

3. गुर्जर के जरिए हरियाणा, यूपी व राजस्थान पर भी फोकस

 

फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर की गिनती समुदाय के बड़े नेताओं में होती है। फरीदाबाद जिले की 4 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां गुर्जर समुदाय का वोट निर्णायक फैक्टर है। इसके अलावा गुरुग्राम, सोहना, रेवाड़ी, और नांगल चौधरी विधानसभा सीट पर भी गुर्जर वोटबैंक का अच्छा खासा असर है। यही नहीं, फरीदाबाद से सटे वेस्ट यूपी के गाजियाबाद, नोएडा और राजस्थान से सटे इलाके भी गुर्जर बाहुल्य हैं। ऐसे में भाजपा ने कृष्णपाल गुर्जर को लगातार तीसरी बार उन्हें मंत्री बनाया है।

4. 2019 के मुकाबले इस बार क्या अंतर

 

2019 की मोदी सरकार में भाजपा ने हरियाणा से 2 मंत्री बनाए थे। इनमें गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत और फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर शामिल थे। इस बार इन दोनों के अलावा पहली बार सांसद बने मनोहर लाल को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। खास बात यह है कि भाजपा ने 2019 में हरियाणा की सभी 10 सीटें और 2014 में 10 में से 7 लोकसभा सीटें जीती थीं। इस बार सीटें घटने के बावजूद मंत्रियों की संख्या बढ़ गई है। मनोहर लाल खट्‌टर को पीएम नरेंद्र मोदी से करीबी का फायदा भी मिला।

पहले जानिए, हरियाणा से 3 मंत्री क्यों बनाए?

1. मोदी मैजिक दिखाने की तैयारी

लोकसभा चुनाव में भाजपा इस बार अपने बूते बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटें नहीं जीत पाई और 240 पर सिमट गई। ऐसे में न केवल केंद्र में बिहार की जेडीयू और आंध्र प्रदेश की टीडीपी से गठबंधन मजबूरी बन गया बल्कि नरेंद्र मोदी की साख भी दांव पर लग गई। मोदी ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अपने नाम पर वोट मांगे थे। अगर भाजपा 5 महीने बाद होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत जाती है तो फिर से माहौल बन सकेगा। ऐसा होने पर कहा जाएगा कि हिंदी बेल्ट में मोदी मैजिक बरकरार है। इससे गठबंधन में मोदी और पार्टी की पोजिशन मजबूत होगी। एनडीए में शामिल बाकी दलों के बीच यह संदेश पहुंच जाएगा कि अगर भाजपा का साथ छोड़ा तो आगे की राह मुश्किल हो सकती है।

2. विधानसभा चुनाव की मजबूरी

 

भाजपा लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 10 में से 5 सीटें ही जीत पाई। 2019 में पार्टी ने क्लीन स्वीप किया था। अब 5 महीने बाद राज्य विधानसभा के चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों को विधानसभा चुनाव से पहले का ट्रेलर माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव नतीजों का अगर विधानसभा सीटवाइज विश्लेषण करें तो राज्य की 90 सीटों में से 46 पर कांग्रेस और 44 पर भाजपा आगे रही। ऐसे में भाजपा नेतृत्व विधानसभा चुनाव को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता।

 

3. फिलहाल अति आत्मविश्वास से तौबा

 

हरियाणा में भाजपा साढ़े 9 साल से सत्ता में है। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी अति आत्मविश्वास का शिकार थी और सभी 10 लोकसभा सीटें जीत लेने का दम भर रही थी। मगर, चुनाव नतीजे आए तो रोहतक और सिरसा सीट बड़े अंतर से हार गई। गुड़गांव में राव इंद्रजीत सिंह और कुरुक्षेत्र में नवीन जिंदल आखिर तक करीबी मुकाबले में फंसे नजर आए। पांच सीटें पार्टी के हाथ से निकल गईं। जब समीक्षा की गई तो पता चला कि पार्टी ने अपने गढ़ रहे जीटी रोड बेल्ट और अहीरवाल जैसे इलाकों को कुछ समय में तरजीह देना बंद कर दिया था। यही कारण है कि भाजपा अब राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए अपने गढ़ को सुरक्षित कर लेने की कोशिश करती दिख रही है।

 

4. क्षेत्रीय संतुलन साधा, नॉन जाट राजनीति बरकरार

 

मोदी सरकार में भाजपा ने हरियाणा को लेकर क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश की है। मनोहर लाल के जरिए जीटी रोड बेल्ट और राव इंद्रजीत के जरिए दक्षिण हरियाणा को साधने का प्रयास किया गया है। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इन्हीं दोनों बेल्ट से राज्य में सबसे ज्यादा सीटें मिली। इसके साथ ही भाजपा ने एक तरह से यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह हरियाणा में नॉन-जाट की राजनीति के सहारे ही आगे बढ़ेगी। जाट बिरादरी से आने वाले भाजपा सांसद चौधरी धर्मबीर भी इस बार मंत्रिपद के दावेदार थे लेकिन लगातार तीसरी बार जीतने के बावजूद उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। हरियाणा में गैरजाट की राजनीति की शुरुआत भाजपा ने 2014 में ही पंजाबी समुदाय के मनोहर लाल को सीएम बनाकर कर दी थी। 2019 में भी मनोहर लाल ही सीएम बने।

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