‘राम मंदिर आंदोलन के कारसेवक अराजक तत्व…’ स्वामी प्रसाद मौर्य बोले- गोलियां चलवाकर मुलायम सरकार ने निभाया कर्तव्य

कासगंज, BNM News: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने एक बार फिर हिंदुओं को लेकर आग उगला है। इस बार उन्होंने राम मंदिर आंदोलन के कारसेवकों को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कारसेवकों को अराजक तत्व बताया और कहा कि तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने कानून की रक्षा के लिए और अमन-चैन कायम करने के लिए उन पर गोलियां चलवाईं। उत्तर प्रदेश के कासगंज में एक कार्यक्रम में कहा कि जिस समय अयोध्या में राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir)पर घटना घटी थी, बिना न्यायपालिका के किसी निर्देश के, बिना किसी आदेश के अराजक तत्वों ने जो तोड़-फोड़ की थी, उसपर तत्कालिन सरकार ने संविधान की, कानून की रक्षा के लिए उस समय जो गोली चलवाई थी वह सरकार का अपना कर्तव्य था, उन्होंने अपना कर्तव्य निभाया था।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने ये बयान ऐसे समय में दिया है, जब अयोध्या के निर्माणाधीन राम मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली हैं। बता दें कि साल 1990 में तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार के दौरान अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चलने से 5 लोगों की मौत हो गई थी।

अब जब राम मंदिर आंदोलन समापन के कगार पर है और अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां चल रही हैं, तब भी यदा-कदा बीजेपी नेताओं की ओर से मुलायम सरकार के इस गोलीकांड का जिक्र किया जा रहा है। इसी पर बोलते हुए बसपा से बीजेपी के रास्ते सपा में आए वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिस समय अयोध्या में राम मंदिर पर यह घटना घटी थी, वहां पर किसी न्यायपालिका या प्रशासनिक आदेश के बड़े पैमाने पर अराजक तत्वों ने तोड़फोड़ की थी।

सरकार का कर्तव्य थाः मौर्य

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि तत्कालीन (मुलायम सिंह यादव) सरकार ने संविधान और कानून की रक्षा के लिए अमन-चैन कायम करने के लिए गोली चलवाई थी। वो सरकार का अपना कर्तव्य था और उसने अपना कर्तव्य निभाया। बता दें कि इससे पहले भी स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस पर सवाल उठाकर चर्चा में आए थे। साथ ही हिंदू मंदिरों के बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए जाने के अपने दावों के कारण भी वह हाल ही में विवादों में रहे हैं।

कारसेवक गोलीकांड क्या है

साल 1990 में भारी मात्रा में साधु-संत और कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे। तत्कालीन यूपी सरकार ने अयोध्या में कर्फ्यू लगा दिया था। बाबरी मस्जिद के विवादित इलाके में डेढ़ किमी के दायरे में बैरिकेडिंग भी लगा दी गई थी। ऐसे में वहां पहुंची कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई। इसके बाद 30 अक्टूबर 1990 को पुलिस ने कारसेवकों की भीड़ पर गोलियां चला दीं, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद पूरे देश में माहौल तनावपूर्ण हो गया था। मुलायम सिंह ने अपनी सरकार के इस फैसले पर कहा था कि उस समय उनके सामने देश की एकता का सवाल था। मुलायम सिंह ने कहा था, ‘बीजेपी वालों ने अयोध्या में 11 लाख की भीड़ कारसेवा के नाम पर खड़ी कर दी थी। देश की एकता के लिए मुझे गोली चलवानी पड़ी जिसका मुझे अफसोस है लेकिन इसका कोई विकल्प नहीं था।’

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