Parliament Attack: साजिश के तार जोड़ने में जुटी एजेंसियां, नक्सली कनेक्शन की आशंका से भी इन्कार नहीं

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। Parliament Attack: सुरक्षा एजेंसियां संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के पीछे की साजिश और इसमें शामिल आरोपितों की कुंडली खंगालने में जुट गई हैं। लेकिन यह साफ हो गया है कि संसद पर 2001 में हुए आतंकी हमले की बरसी पर स्वाभाविक सतर्कता और खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की धमकी के बावजूद हमले की साजिश का पता लगाने में खुफिया तंत्र बुरी तरह विफल रहा। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जिस तरह से एक-दूसरे से हजारों किलोमीटर दूर रह रहे आरोपितों ने एक साथ योजना बनाकर संसद के भीतर और बाहर एक-साथ प्रदर्शन किया, वह बड़ी साजिश का संकेत है। उन्होंने इसके पीछे नक्सली कनेक्शन की आशंका से भी इन्कार नहीं किया। इसकी जांच एनआइए को दिए जाने पर भी विचार किया जा रहा है, लेकिन अंतिम फैसला ठोस सुबूत जुटाने के बाद ही लिया जाएगा।

किसी बड़ी साजिश का हिस्सा

सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि संसद के सुरक्षा घेरे में सेंध लगाकर सदन के भीतर कूदना और हल्के-पीले रंग की गैस छोड़ने को सिर्फ विरोध प्रदर्शन नहीं माना जा सकता। यह बड़ी साजिश का हिस्सा है और इसके पीछे कई लोग शामिल हो सकते हैं। उनके अनुसार भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा से गैलरी पास बनवाना भी इसी साजिश का हिस्सा है, ताकि इसमें भाजपा को भी लपेटा जा सके। इंटरनेट मीडिया पर इसके प्रयास भी किए गए। सुरक्षा एजेंसियां इसके पैटर्न की भी जांच रही हैं।

आरोपितों की पृष्ठभूमि की पड़ताल

वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार साजिश की तह तक जाने के लिए आरोपितों की पृष्ठभूमि की पड़ताल की जा रही है। उनके इंटरनेट मीडिया प्रोफाइल से उनके संपर्कों, वैचारिक रुझान और अन्य गतिविधियों का पता लगाया जा रहा है। संसद के भीतर और बाहर प्रदर्शन करने वाले चारों आरोपित अपना मोबाइल फोन तक नहीं लेकर आए थे, पुलिस उन्हें तलाश रही है। संसद के भीतर जाने वाले आरोपितों का मोबाइल फोन नहीं ले जाना तो समझ में आता है क्योंकि संसद में मोबाइल ले जाने की मनाही है। लेकिन बाहर प्रदर्शन कर रहे दोनों आरोपित भी अपना मोबाइल नहीं ले गए थे जो पूर्व नियोजित साजिश की आशंका को और पुष्ट करता है।

इंटरनेट मीडिया पर एक-दूसरे के संपर्क में आने के आरोपितों के दावे में दम नहीं

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनके मोबाइल फोन की रिकवरी के बाद काल डाटा रिकार्ड से उनके आने-जाने के स्थानों के साथ ही यह भी पता लगाया जा सकेगा कि किन-किन लोगों से उनकी बातचीत होती थी। जाहिर है कि आने वाले दिनों में उन लोगों से भी पूछताछ होगी। इंटरनेट मीडिया पर पिछले एक-डेढ़ वर्ष से संपर्क में आने के आरोपितों के दावे सुरक्षा एजेंसियों के गले नहीं उतर रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि संसद जैसे त्रि-स्तरीय सुरक्षा घेरे को भेदने की साजिश इंटरनेट मीडिया पर नहीं बनाई जा सकती। सुरक्षा जांच की बारीकियों और उन्हें भेदने का तरीका सिर्फ वही बता सकता है, जो इसे पहले भी कई बार देख चुका हो। बताया जाता है कि जूते के सोल को मोडिफाई कर आरोपितों ने रंगीन गैस का कैन छुपाया था। साजिश की तह तक पहुंचने के लिए संसद की सुरक्षा की बारीकियों से वाकिफ उनके साथी की पहचान काफी अहम होगी।

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