Parliament Attack: कलर बम का पता चलते ही बाहर फेंकने वाले सांसद गुरजीत औजला ने सुनाई पूरी दास्तान
अमृतसर, बीएनएम न्यूज। Parliament Attack: भारतीय संसद पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी पर सदन के अंदर दो लोगों ने कलर बम फेंका, जिसे अमृतसर के कांग्रेस सांसद गुरजीत औजला ने उठाकर बाहर फेंका। संसद में बनी अफरातफरी के बीच जैसे ही कलर बम सांसद औजला के पास आकर गिरा, उन्होंने बिना कोई पल गंवए उसे उठाकर सदन से बाहर फेंक दिया। बम से निकला पीला रंग उनके हाथ पर लग गया था। जांच एजेंसियों की पड़ताल और सैंपल लेने के बाद ही उन्होंने अपना हाथ धोया। बकौल औजला सभी की सुरक्षा के लिए उन्होंने अपनी परवाह नहीं की।
सदन में कूद कर जूता उतारने लगा
औजला ने फोन पर बातचीत में बताया कि आज सदन में जीरो आवर चल रहा था, तभी दो युवक ऊपर दर्शक दीर्घा से सदन में कूदने लगे। हम बीच की सीटों पर बैठे थे, इसलिए हमें उसका पता नहीं चला, लेकिन जब पिछली कतार में बैठे सांसदों और मार्शलों ने शोर मचाया तो सभी अलर्ट हो गए। तब तक एक आदमी सदन में कूद चुका था और उसका दूसरा साथी हमारे सामने ही नीचे कूदा। पहले कूदने वाला युवक सांसदों की टेबल के ऊपर से सीधा स्पीकर की तरफ बढ़ा और जूता उतारना शुरू कर दिया। उसके जूते में कुछ था।
बिना कुछ सोचे-समझे धुआं निकलने वाली चीज को उठाया और सदन से बाहर फेंक दिया
जब वो टेबल से ऊपर से होते हुए सांसद बेनीवाल के पास पहुंचा तो उन्होंने उसे पकड़ लिया। उन्होंने बताया कि तब तक समझ आ चुका था कि उसका दूसरा साथी हमारे पीछे ही है। उसने पीछे से ही कोई चीज फेंकी, जिससे धुआं और रंग निकल रहा था। धुआं पीले रंग था। औजला ने कहा कि मैंने बिना कुछ सोचे-समझे तुरंत उस चीज को उठाया और सदन से बाहर फेंक दिया। सभी सांसदों और सदन की सुरक्षा का मामला था, इसलिए मैंने बिना पल गंवाए उसे बाहर की तरफ फेंक दिया। तब तक मार्शल भी आ गए और उस दूसरे शख्स को भी पकड़ लिया गया।”
नई संसद में सांसदों की सुरक्षा पर सवाल उठाए
उन्होंने बताया कि विजिटर गैलरी से सदन में कूदने वाले युवक तानाशाही बंद करो के नारे लगा रहे थे। उनके नारे सदन में मचे शोर के बीच दब गए और तुरंत ही दोनों को पकड़ लिया गया। उन्होंने इस घटनाक्रम के बाद नई संसद में सांसदों की सुरक्षा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ये बहुत बड़ी सुरक्षा चूक है। जब से नया संसद बना है, इसमें दिक्कतें आ रही हैं। यहां आने-जाने का एक ही रास्ता है। कोई भी संसद में पहुंच जाता है। कैंटीन के अंदर भी सांसदों से लेकर विजिटर्स तक, सब इकट्ठे बैठ रहे हैं। पुरानी संसद में ऐसा नहीं था।