दिल्ली चुनाव में हार को लेकर प्रशांत भूषण और अन्ना हजारे की अरविंद केजरीवाल पर तीखी प्रतिक्रियाएं, कहा-यह आप के अंत की शुरुआत है

अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण!
नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) की हार को लेकर पार्टी के निष्कासित सह-संस्थापक अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। भूषण ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में केजरीवाल को हर चीज के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी के मूल सिद्धांतों से भटकने का काम किया है। उनके मुताबिक, आम आदमी पार्टी का उद्देश्य वैकल्पिक राजनीति के लिए एक पारदर्शी और लोकतांत्रिक मंच बनाना था, लेकिन केजरीवाल ने इसे एक सुप्रीमो की पार्टी में बदल दिया, जिसमें अपारदर्शिता और भ्रष्टाचार को जगह मिली।
आप के अंत की शुरुआत
भूषण ने केजरीवाल पर अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए 45 करोड़ रुपये का महल बनवाने, लक्जरी कारों में यात्रा करने और आप के तहत बनी विशेषज्ञ समितियों की 33 विस्तृत नीति रिपोर्टों को दरकिनार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “केजरीवाल को लगता था कि राजनीति केवल धौंस और प्रचार से की जा सकती है। यह आप के अंत की शुरुआत है।” उन्होंने अपने पोस्ट में 2015 में लिखे एक 10 साल पुराने खुला पत्र को भी साझा किया, जिसमें उन्होंने केजरीवाल के द्वारा स्टालिनवादी तरीके से असंतुष्टों को निकालने पर प्रकाश डाला।
भूषण के बयान न केवल पार्टी के अंदर घटित घटनाओं का परिणाम हैं, बल्कि इसे ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखने का एक प्रयास भी माना जा सकता है। वे अन्ना हजारे के नेतृत्व में हुए इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे और उन्होंने 2012 में आप की स्थापना में केजरीवाल का साथ दिया था।
इस बीच, अन्ना हजारे, जो पहले केजरीवाल के सहयोगी रहे हैं, ने हाल ही में दिए गए एक बयान में कहा कि केजरीवाल समाज सेवा की परिभाषा को नहीं समझ पाए। उन्होंने कहा कि “यदि केजरीवाल समाज के लिए अच्छा काम करने का मतलब समझ पाते, तो वह महल नहीं बना रहे होते।” हजारे ने उस समय की याद दिलाई जब केजरीवाल शराब से नफरत करते थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने शराब के लाइसेंस देना शुरू कर दिया। हजारे ने कहा कि शराब समाज को नष्ट कर देती है और राजनीति में आने वाले ऐसे लोग गलत होते हैं, जो पैसे के लिए आते हैं। हजारे का यह कहना कि अच्छे लोगों की कमी नहीं है, जो समाज और देश के बारे में सोचते हैं, एक संकेत है कि वह केजरीवाल की सत्ता के बाद किए गए निर्णयों से नाखुश हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि अन्ना हजारे का यह बयान एक ऐसे व्यक्ति का है जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए एक जन आंदोलन खड़ा किया था। वह चाहते थे कि राजनीति में नैतिकता और जनता के हित को प्राथमिकता दी जाए।
भ्रष्टाचार के मामलों पर चुप रहने पर सवाल
संजय राउत ने अन्ना हजारे पर पिछले कुछ वर्षों में चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों पर चुप रहने के लिए भी सवाल उठाया। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि केजरीवाल की हार से हजारे खुश प्रतीत होते हैं, लेकिन उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कथित भ्रष्टाचार पर चुप्पी साधने की भी आलोचना की है। राउत ने बताया कि कैसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तहत भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं, लेकिन हजारे ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
यहां तक कि राउत ने यह भी दावा किया कि हाल के चुनाव में मतदाता सूची में गड़बड़ी है, जो एक समान पैटर्न की ओर इशारा करता है। उन्होंने कहा कि हजारे को ऐसे मुद्दों पर चुप रहने का अधिकार नहीं है जब देश की सम्पत्ति का दुरुपयोग किया जा रहा है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की हार ने न केवल पार्टी को एक नया मोड़ दिया है, बल्कि यह उन नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए भी एक सबक साबित हो सकता है जो राजनीति में नैतिकता और मूल्यों को भूल जा रहे हैं। प्रशांत भूषण और अन्ना हजारे की टिप्पणियां यह स्पष्ट करती हैं कि पार्टी के भीतर अब गहरा असंतोष और प्रदर्शन हो रहा है। यदि आप अपने मूल सिद्धांतों से भटकती रहेगी, तो उसके लिए आगे का रास्ता कठिन होगा।
इस प्रकार दिल्ली चुनाव में हार और उस पर आई प्रतिक्रियाएं यह दर्शाती हैं कि आम आदमी पार्टी की यात्रा आसान नहीं रही है। अब यह देखना होगा कि क्या पार्टी अपने सिद्धांतों को पुनःस्थापित कर पाती है या यह असंतोष और आवाजें इसके अंत की कहानी लिख रही हैं।
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