Punjab Loksabha Election: सुखबीर बादल, भगवंत मान और कैप्टन अमरिंदर सिंह के गढ़ में कांटे की टक्कर

सुखबीर बादल, भगवंत मान और कैप्टन अमरिंदर सिंह।

चंडीगढ़, बीएनएम न्यूज। Punjab Loksabha Election: पंजाब की राजधानी बेशक चंडीगढ़ हो लेकिन राजनीतिक तौर पर सभी पार्टी के प्रमुख नेताओं ने अपने-अपने गढ़ या राजधानियां स्थापित कर रखी हैं। दिलचस्प बात यह है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला, मुख्यमंत्री भगवंत मान संगरूर और सुखबीर बादल बठिंडा में फंसे नजर आ रहे हैं। हालांकि ये तीनों नेता इस बार संसदीय चुनाव में नहीं उतरे लेकिन साख इन्हीं की दांव पर लगी हुई है। कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर पटियाला से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी हैं तो बठिंडा से सुखबीर बादल का एड़ी चोटी का जोर पत्नी हरसिमरत बादल को जितवाने में लगा रहा। इसी तरह संगरूर संसदीय क्षेत्र मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए साख का सवाल है। संगरूर सीट वह दो बार 2014 और 2019 में जीत चुके हैं लेकिन 2022 में विधानसभा का चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बनने के बाद जब उन्होंने लोकसभा के सांसद के रूप में इस्तीफा दिया और इसी सीट पर संसदीय उपचुनाव हुआ तो उनका प्रत्याशी चुनाव हार गया। इस हार ने उनका मनोबल काफी गिराया। अब एक बार फिर उनकी संगरूर सीट पर सांस अटकी हुई है। इस सीट पर कैबिनेट मंत्री मीत हेयर चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी साख इसलिए भी दांव पर है क्योंकि इस सीट के अधीन आते विधानसभा क्षेत्र दिड़वा में वित्तमंत्री हरपाल चीमा और सुनाम में अमन अरोड़ा विधायक हैं।

पटियाला में डा. गांधी हर विस क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वियों को टक्कर देते नजर आए

 

पटियाला में कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पत्नी परनीत कौर के लिए मतदान भी नहीं कर सके क्योंकि अस्वस्थ होने के कारण वह पटियाला नहीं आए। वह दिल्ली में उपचाराधीन हैं। उनकी बेटी जय इंद्र कौर यादविंदरा पब्लिक स्कूल के पास बने मतदान केंद्र पर जब अपने समर्थकों का मनोबल बढ़ा रही थीं तो उन्होंने यह जानकारी दी। साथ ही कहा कि हर तरफ से अच्छा समर्थन मिल रहा है, खासतौर पर गांवों से उन्हें उम्मीद से ज्यादा समर्थन मिल रहा है। पटियाला की डेराबस्सी, बनूड़, पटियाला शहरी, नाभा आदि सीटें जिनमें शहरी मतदाता भी हैं, उनको समर्थन दे रहे हैं। हालांकि ग्रामीण हलकों में कांग्रेस के डा. धर्मवीर गांधी ही आगे दिखाई दिए। हर विधानसभा सीट पर डा. गांधी लड़ाई में दिखाई पड़ रहे थे। गांवों में उन्हें आम आदमी पार्टी के डा. बलबीर सिंह से टक्कर मिल रही थी वहीं डेरा बस्सी में उनका मुख्य मुकाबला शिरोमणि अकाली दल के एनके शर्मा से था।

संगरूर में हेयर, खैहरा, सिमरनजीत मान व अरविंद खन्ना में बहुकोणीय मुकाबला

 

मुख्यमंत्री भगवंत मान की सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प नजर आया। यहां सचमुच बहुकोणीय मुकाबला था। यहां कांग्रेस के सुखपाल खैहरा, आप के मीत हेयर और शिरोमणि अकाली दल अमृतसर के सिमरनजीत सिंह मान के बीच कांटे की टक्कर दिखाई पड़ी। सबसे दिलचस्प स्थिति मालेरकोटला में नजर आई जो पंजाब का एकमात्र मुस्लिम बहुल शहर है। यहां आम तौर पर सिरमनजीत सिंह मान को अक्सर बढ़त मिलती है लेकिन इस बार यह वोट बैंक कांग्रेस के सुखपाल खैहरा की ओर जाता दिखाई दिया। यहां तक कि धूरी जो मुख्यमंत्री भगवंत मान की अपनी सीट है पर भी इस बार भाजपा के पांव फैलाने के चलते सीट फंसी हुई नजर आ रही है। अगर यहां से मुख्यमंत्री अपने उम्मीदवार को बढ़त नहीं दिला पाए तो उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं क्योंकि कांग्रेस के सुखपाल खैहरा को हर सीट पर लड़ाई में देखा गया। धूरी में पहली बार भाजपा को भी अच्छी खासी वोट मिलनी तय है। इसके दो कारण हैँ… संजय अग्रवाल बताते हैं कि भाजपा प्रत्याशी अरविंद खन्ना धूरी और संगरूर विधानसभा सीट को दो बार जीत चुके है। उनकी उम्मीद फाउंडेशन गांव-गांव में स्वास्थ्य सेवाएं देने का अच्छा काम करती रही है। दूसरा, राम मंदिर के कारण इस बार हिंदू वोटर संगठित है। जय गोपाल गर्ग की राय भी लगभग यही है। यहां आप का वोट घटना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीट मुख्यमंत्री भगवंत मान की अपनी सीट है और हर बार वह इसे बड़े अंतर से जीतते रहे हैं।

बठिंडा में परमपाल कौर को मिला समर्थन बिगाड़ सकता है शिअद का गणित

 

बठिंडा ही एक ऐसी सीट है जहां शिरोमणि अकाली दल जबरदस्त तरीके से लड़ता नजर आया है। यह सीट शिअद के प्रधान सुखबीर बादल के लिए अहम है। सीट पर आम आदमी पार्टी के मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां और कांग्रेस के जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू के साथ उनका मुकाबला माना जा रहा था लेकिन मतदान के दिन भाजपा प्रत्याशी परमपाल कौर जो चुनाव प्रचार के दौरान काफी पिछड़ती नजर आ रही थीं, अचानक आज काफी मुकाबले में दिखाई पड़ीं। मानसा के गुरदेव सिंह ने बताया कि उनके गांवों में डेरा प्रेमी भाजपा को वोट दे रहे हैं। इस बार डेरे ने खुले तौर पर किसी का समर्थन नहीं किया लेकिन मानसा, बठिंडा के गांवों में डेरा प्रेमियों का अच्छा आधार है। उनका वोट बैंक बेशक परमपाल कौर को जीत की लाइन तक न ले जा सके लेकिन यह तय है कि वह तीनों प्रमुख पार्टियों में किसी का खेल जरूर बिगाड़ देंगी और कहीं उन्होंने हरसिमरत का खेल बिगाड़ा तो शिअद के लिए यह बड़ी मायूसी वाली स्थिति होगी।

 

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