Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस की चुप्पी के बीच भाजपा ने दिनेश सिंह को रायबरेली से बनाया प्रत्याशी

लखनऊ, बीएनएम न्यूजः रायबरेली लोकसभा सीट (Rae Bareli Lok Sabha Seat ) से नामांकन की तारीख खत्म होने के एक दिन पूर्व भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। 2019 के चुनाव में दिनेश प्रताप सिंह सोनिया गांधी के खिलाफ इसी सीट से ताल ठोंक चुके हैं। इस बार ऐसा माना जा रहा था कि प्रियंका गांधी के लड़ने की दशा में भाजपा कोई बड़ा चेहरा उतार सकती है। भाजपा ने यूपी की दो सीटों कैसरगंज और रायबरेली को छोड़कर सभी सीटों पर प्रत्याशी भी घोषित कर दिए थे।  टिकट में हो रही देरी के पीछे यह बात मानी जा रही थी कि पार्टी कांग्रेस के टिकट का इंतजार कर रही है।

कांग्रेस में अभी भी रहस्य

रायबरेली सीट पर नामांकन की अंतिम तारीख 3 मई है लेकिन अभी तक पार्टी की ओर से कोई प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि दो मई की देर शाम तक प्रत्याशी की घोषणा हो सकती है।

कम हुआ था सोनिया की जीत का अंतर

प्रदेश के राज्यमंत्री दिनेश प्रताप सिंह को दूसरी बार भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा है। इससे पूर्व 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दिनेश प्रताप सिंह को ही भाजपा ने टिकट दिया था। 2019 लोकसभा का चुनाव भले ही दिनेश जीत न पाएं हों, लेकिन उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी को कड़ी टक्कर दी थी। इससे सोनिया गांधी की जीत का अंतर कम हो गया था।

रायबरेली लोकसभा सीट पर चुनाव जीतने के लिए भाजपा इस बार शुरुआती दौर से ही जोर आजमाइश कर रही है। काफी समय से टिकट घोषणा को लेकर असमंजस की स्थिति चल रही थी। कभी वरुण गांधी तो कभी पूर्व मंत्री मनोज कुमार पांडेय समेत अन्य दावेदारों के चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थी। इन अटकलों पर बृहस्पतिवार को पूर्ण विराम लग गया।

2019 में सोनिया गांधी के सामने लड़ चुके हैं चुनाव

भाजपा में शामिल होने के बाद इन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के सामने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और करीब पौने 4 लाख वोट हासिल किए, लेकिन चुनाव हार गए। तब इन्होंने ही सोनिया गांधी को इटालियन मैडम एंटोनियो माइनो कहकर कटाक्ष किया था। सोनिया गांधी ने दिनेश प्रताप सिंह को 1,67,178 वोटों से हराकर रायबरेली की अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाबी हासिल की थी। वहीं उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार का जब दूसरा टर्म शुरू हुआ तो, इन्हें स्वतंत्र राज्य मंत्री बनाया गया और इस वक्त उत्तर प्रदेश सरकार के स्वतंत्र राज्य मंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं।

रायबरेली अब कांग्रेस का गढ़ नहीं: दिनेश प्रताप

टिकट मिलने के बाद दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि भाजपा ने मुझ जैसे छोटे से कार्यकर्ता पर भरोसा किया है, उसके लिए मैं पार्टी का धन्यवाद देता हूं। मैं भरोसा दिलाता हूं कि इस भरोसे को हारने नहीं दूंगा और इसे कायम रखूंगा। रायबरेली कांग्रेस का गढ़ कभी रहा होगा। लेकिन जब से मोदी जी ने देश की कमान संभाली है, तब से मैं कह सकता हूं कि रायबरेली में कांग्रेस का एक ग्राम प्रधान, जिला पंचायत तक चुनाव नहीं जीत पाए। अब रायबरेली भाजपा का गढ़ है और सबसे ज्यादा वोट भाजपा के पास हैं।

समाजवादी पार्टी से शुरू किया राजनीतिक करियर

ब्लॉक प्रमुख की राजनीति से शुरुआत करने वाले दिनेश प्रताप सिंह वर्तमान में योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री हैं। वह पहली बार 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधान परिषद का चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा के प्रत्याशी से चुनाव हार गए। बाद में 2007 में बसपा के प्रत्याशी के तौर पर तिलोई विधानसभा से विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन वहां भी इन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा। उसके बाद दिनेश प्रताप ने कांग्रेस में किस्मत आजमाई। कांग्रेस पार्टी में दिनेश प्रताप को कद, पद और ख्याति, तीनों ही मिले। पहली बार 2010 एमएलसी बने और 2011 में उनकी भाभी जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। फिर 2016 में दोबारा एमएलसी बने और इनके भाई जिला पंचायत अध्यक्ष बने। उनके एक भाई 2017 में हरचंदपुर से कांग्रेस पार्टी से विधायक बने। फिर 2019 के आते-आते इनका कांग्रेस पार्टी से मोह भंग हो गया और ये भाजपा में शामिल हो गए ।
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