Article 370 Verdict Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, राज्य में अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला सही

नई दिल्ली, एजेंसी: Article 370 Verdict Supreme Court जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ सोमवार को फैसला सुनाया। इस पीठ ने 16 दिन तक सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। SC के फैसले को देखते हुए जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 370अस्थायी था। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले में 3 जजमेंट आएगा। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार का अनुच्छेद 370 हटाने का केंद्र सरकार फैसला सही था।

जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव कराने का आदेश

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बरकरार रखा जाएगा। केंद्र सरकार ने इस बारे में बयान दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश के तौर पर बरकरार रहेगा। कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वो जम्मू-कश्मीर में चुनाव की तैयारी करे। ताकि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिल जाए। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने साथ ही चुनाव आयोग को 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का आदेश दिया। लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बना रहेगा।

सभी जज एकमत से  दिया फैसला

तीन जज जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस गवई और चीफ जस्टिस साथ में जजमेंट लिखा है। बाकी दो जजों ने अलग-अलग लिखा है फैसला। हालांकि सभी जज एकमत से दे रहे हैं फैसला। कोर्ट ने कहा कि प्रेसिडेंशियल प्रोक्लेमेशन वैध था या नहीं इसपर हम विचार ही नहीं कर रहे हैं क्योंकि इसे किसी ने चुनौती नहीं दी थी। चीफ जस्टिस ने केंद्र की तरफ से लिया गया हर फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र के फैसले से किसी तरह की मुश्किल की बात हो तब इसे चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 356 के बाद केंद्र केवल संसद के द्वारा कानून ही बना सकता है, ऐसा कहना सही नहीं होगा।

कोर्ट ने कहा,  आर्टिकल 370 अस्थायी था

चीफ जस्टिस ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने जब भारत में शामिल हुआ तो उसकी संप्रभुता नहीं रह जाती है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि आर्टिकल 370 अस्थायी था। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 में साफ कहा गया था कि ये अस्थायी था और ट्रांजिशन के लिए था। कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा की बैठक नहीं बुलाई गई थी ताकि संविधान में बदलाव को मंजूरी दी जा सके। राष्ट्रपति के आदेश से पहले राज्य विधानसभा को बदलाव को मंजूरी देना जरूरी थी। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आर्टिकल 370 की शक्तियों के 3 के तहत राष्ट्रपति का फैसला सही था। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा करना सही नहीं है। कोर्ट ने राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक-एक टिप्पणी के जरिए अपनी राय रख रही है।

महबूबा मुफ्ती को नजरबंद कर दिया गया

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय सुनाने से पहले पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को सोमवार को नजरबंद कर दिया गया। पीडीपी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनाए जाने से पहले ही पुलिस ने पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के आवास के दरवाजे सील कर दिए हैं और उन्हें अवैध तरीके से नजरबंद कर दिया है।

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने पत्रकारों को नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के गुपकर स्थित आवास के पास एकत्र होने की अनुमति नहीं दी।गुपकर रोड के प्रवेश स्थानों पर पुलिस कर्मियों का एक दल तैनात किया गया है और पत्रकारों को नेकां नेताओं के आवास के आसपास जाने की अनुमति नहीं है। अक्टूबर 2020 में अपना आधिकारिक आवास खाली करने के बाद से उमर अब्दुल्ला अपने पिता के साथ रहते हैं। श्रीनगर से सांसद फारूक अब्दुल्ला मौजूदा संसद सत्र के लिए दिल्ली में हैं और उनका बेटा कश्मीर घाटी में है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि फैसला जम्मू-कश्मीर के लोगों के पक्ष में होगा…हम शांति के पक्ष में हैं। जम्मू-कश्मीर अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मुजफ्फर अहमद ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि फैसला देश के संविधान के अनुसार होगा।

सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त

कश्मीर में शांतिपूर्ण माहौल सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध किए गए हैं। कश्मीर जोन के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) वी के बिरदी ने कहा कि यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि घाटी में हर परिस्थिति में शांति बनी रहे। बिरदी ने पिछले दो हफ्ते में घाटी के 10 जिलों में से अधिकतर में सुरक्षा समीक्षा बैठकें कीं। उन्होंने कहा कि हम सभी सावधानियां बरत रहे हैं और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कश्मीर में शांति भंग न हो।यह पूछे जाने पर कि क्या सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट के अपेक्षित फैसले से संबंधित है, उन्होंने कहा कि कुछ तत्वों द्वारा लोगों को भड़काने की कोशिश करने की कई घटनाएं हुई हैं। बिरदी ने कहा कि हाल में कई ऐसे पोस्ट साझा किए गए हैं, जिनमें लोगों को भड़काने की कोशिश की गई है। ऐसे तत्वों के खिलाफ पहले भी कार्रवाई की गई है और आगे भी की जाएगी।

 

 

 

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