तेज ठंड और वन्यजीवों के बीच 3 दिन तक जंगल में भटकी ढाई साल की मासूम, जानें फिर क्या हुआ
उदयपुर, बीएनएम न्यूज। जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय। यह कहावत आदिवासी क्षेत्र झाड़ोल के राजपुरा गांव की ढाई साल की मासूम भाविका पर पूरी तरह लागू होती है। जो तीन दिन पहले अपने दादा के पीछे-पीछे जंगल में पहुंच गई और रास्ता भटक गई। जिसके बाद दो दिन तक परिजन उसे तलाशते रहे। जब वह नहीं मिली तो निराश होकर पुलिस के पास पहुंचे तथा उसके लापता होने की शिकायत दर्ज कराई।
परिजनों ने पुलिस और वनकर्मियों के जिंदाबाद के नारे लगाए
निराश परिजन आशंका जता रहे थे कि उनकी मासूम बिटिया के साथ अनहोनी तो नहीं हो गई। ऐसा नहीं होता वह मिल जाती। बुधवार सुबह पुलिस ने वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलकर उसकी तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया और वह छातरड़ी के पास जंगल में जीवित ही नहीं मिली, बल्कि पूरी तरह सुरक्षित मिल गई। तेज ठंड और जंगली जानवरों के बीच उसके तीन दिन तक उसे सुरक्षित पाकर परिजन ही नहीं, बल्कि ग्रामीण इतने खुश हुए और इसके लिए पुलिस और वनकर्मियों के प्रति कृतज्ञता जताते हुए उनके जिंदाबाद के नारे लगाने लगे।
यह थी बालिका के लापता होने की कहानी
बताया गया कि झाड़ोल उपखंड में पहाड़ी की तलहटी में राजपुरा गांव स्थित है। यहां शंकरलाल गायरी की ढाई साल की बेटी भाविका अपने दादा, जो बकरियां चराने जंगल के लिए निकले थे, उसके पीछे—पीछे सोमवार सुबह निकल गई थी। जिसकी भनक उसके दादा को नहीं लगी और वह जंगल में भटक गई। मां को जब बेटी का खयाल आया तो वह उसकी तलाश में जुटी। घर तथा आसपास नहीं मिली तो परिजनों को इसकी जानकारी दी। परिजनों ने समूचे गांव में उसकी तलाश की लेकिन वह नहीं मिली। जिसके बाद गांव के दूसरे लोगों ने सोमवार तथा मंगलवार दोनों दिन उसे तलाशा लेकिन बालिका नहीं मिली। इधर, मां का रो—रोकर बुरा हाल था। पूरी तरह निराश होकर वह पुलिस के पास पहुंचे तथा उसके लापता होने की सूचना दी। यहां तक परिजनों और ग्रामीणों ने बेटी के साथ अनहोनी की आशंका जताई थी।
चमत्कार से कम नहीं
परिजन और ग्रामीणों ने बालिका को जीवित और सुरक्षित पाने के बाद इसे चमत्कार बताया। उनका कहना है कि जंगल में जंगली जानवर भी हैं और ऐसे में रात को बच्चा तो दूर बड़े लोग भी अकेले जंगल से नहीं गुजरते। ऐसे में उसका सुरक्षित मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं। इधर, पुलिस ने वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों की भी मदद ली। सिविल डिफेंस की टीम, डॉग स्कवॉड और ग्रामीणों ने गांव तथा आसपास क्षेत्र के सभी कुओं, नदी के किनारों को तलाशा लेकिन बालिका नहीं मिली। लोगों ने आशंका जताई कि जंगल में तेंदुए का मूवमेंट रहता है और हो सकता है कि तेंदुआ उसे उठाकर ले गया और शिकार बना लिया। बुधवार को जब उसका रेस्क्यू किया जा रहा था कि एक झाड़ी से बालिका के रोने की आवाज आई। जंगल में बच्ची के जिंदा और सही सलामत देखकर लोगों को आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। भाविका को देखकर परिजन भाव-विह्वल हो उठे। पुलिस बालिका को पहले अस्पताल लेकर पहुंची तथा उसके स्वास्थ्य का परीक्षण कराया। बताया गया कि बच्ची पूरी तरह स्वच्छ है।
जंगल में वन्यजीवों और भीषण सर्दी में बची बच्ची
ग्रामीणों का कहना है कि राजपुरा गांव की पहाड़ी और पास का जंगल तेंदुए का मूवमेंट एरिया है। इसके अलावा जंगल में अन्य वन्यजीव भी हैं, जिससे बालिका का जीवन संकट में पड़ सकता था। ऐसे में जंगल में मासूम बालिका का भयंकर सर्दी के बीच जिंदा पाना किसी चमत्कार से कम नहीं। ग्रामीण इसे ईश्वर की कृपा मान रहे ।