प्रदूषित पर्यावरण में शहरी बच्चों के शुरुआती विकास में आती है बाधा , बढ़ रहा खतरा

मेलबर्न, एजेंसी। Child Devlopment: एक नए शोध में दावा किया गया है कि बच्चों के शुरुआती विकास पर प्रदूषित पर्यावरण का तेजी से नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। आस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने बच्चों के विकास के लिए शुरुआती दो हजार दिनों (करीब पांच वर्ष) को एक महत्वपूर्ण अवधि के रूप में पहचान की है। कहा, यह अवधि बच्चों के शारीरिक, संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक विकास की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। लेकिन शहरों में सीमित हो रहे हरियाली क्षेत्र, वायु व ध्वनि प्रदूषण इनके विकास को बाधित कर रहे हैं। इससे बच्चों में अस्थमा जैसी श्वसन समस्याओं का जोखिम तेजी से बढ़ा है। आस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलाजी सिडनी के शोधकर्ताओं ने 41 देशों के 235 शोध का विश्लेषण कर बच्चों के विकास पर पड़ने वाले पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया।

शहरों के पर्यावरण सुधार के लिए बनेगी रूपरेखा

यह शोध पब्लिक हेल्थ रिसर्च एंड प्रैक्टिस जर्नल में हाल ही में प्रकाशित हुआ है। शोध दल ने बच्चों के विकास में वातावरण, विभिन्न रसायन व मेटल की उपलब्धता, सामुदायिक समर्थन व आवासीय पर्यावरण की खास भूमिका पर प्रकाश डाला। अध्ययन से शहरों में स्वास्थ्य जोखिम को समझने में सहायता मिलेगी। इसके अनुसार पर्यावरण सुधार की रूपरेखा बनाई जा सकेगी।

वायु प्रदूषण से बच्चों को बड़ा खतरा

एक आकलन के अनुसार, 2030 तक 60 प्रतिशत आबादी शहरों में रह रही होगी। यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलाजी सिडनी के अध्ययन की प्रमुख लेखिका इरिका मैकलिनटायर ने कहा शहरी योजनाकार और नीति निर्माताओं को अपनी भूमिका निर्धारित करनी होगी, जिससे बच्चों के स्वास्थ्य जोखिम को कम किया जा सके।
शोध की लेखिका एरिना ने कहा कि शहरी जीवन में बच्चों के लिए सबसे बड़ा जोखिम कारक वायु प्रदूषण है। ये उनके न्यूरोलाजिकल विकास पर असर डालते हैं, साथ ही अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं को जन्म देते हैं। शहरों में पार्क, गार्डेन और प्राकृतिक वातावरण के ह्रास से भी बच्चों के विकास पर प्रभाव पड़ रहा है।

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