मनुष्य के खून के नमूने से बैक्टीरिया की 35 नई प्रजाति मिली, चल रहा रिसर्च

ज्यूरिख, एजेंसी। स्विटजरलैंड के एक अस्पताल में मरीजों की जांच के लिए एकत्रित खून के नमूने में बैक्टीरिया की 30 से अधिक नई प्रजातियों को खोजने का दावा किया। बीएमसी माइक्रोबायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, इन नए बैक्टीरिया से नए शोध किए जाएंगे और इसके कारण होने वाले संक्रमण के उपचार की प्रक्रिया पर भी शोध की जाएगी।

संक्रमण का उपचार होगा आसान

अध्ययन के मुख्य लेखक डॉक्टर डेनियल गोल्डनबर्गर ने कहा, ‘बैक्टीरिया की इन नई प्रजातियों और इनके क्लिनिकल पहलुओं के बीच संबंध को लेकर इस तरह का अध्ययन पहले प्रकाशित नहीं किया गया है।’ अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया है कि यदि किसी पैथोजन यानि बैक्टीरिया के बारे में पूरी जानकारी है तो उससे होने वाले संक्रमण और बीमारी का उपचार करना काफी आसान होता है।

मरीजों के नमूने पर किया गया शोध

 

2014 से गोल्डनबर्गर और उनकी टीम मरीजों से लिए गए नमूने एकत्रित कर उनका अध्ययन करने में जुटी है। इस क्रम में पूरी टीम 61 अज्ञात बैक्टीरिया के पैथोजन का अध्ययन कर रही है जो विभिन्न रोग से ग्रस्त मरीजों के नमूने से लिए गए हैं। पुराने तरीकों से इन नए बैक्टीरिया के जीन सिक्वेंसिंग में वैज्ञानिकों को कठिनाई हो रही थी इसलिए उन्होंने इसके लिए नया तरीका अपनाया। इसके तहत अब तक पहचान की गई पुराने सभी स्ट्रेन और नई 35 प्रजातियों के स्ट्रेन के बीच तुलना की।

रक्त में घुसने पर हो सकते हैं नुकसानदेह

 

इनमें से 7 ऐसे बैक्टीरिया की पहचान हुई, जिनसे संक्रमण हो सकता है। वहीं अन्य 26 की पहचान में काफी दिक्कत हुई। अध्ययन में दावा किया गया कि अधिकतर नए बैक्टीरिया दो वर्ग से हैं। गोल्डनबर्गन ने बताया, ‘ये बैक्टीरिया हमें सामान्य तौर पर मनुष्यों की त्वचा और म्यूकोसा में मिल सकते हैं।’ साथ ही उन्होंने चेताया कि एक बार ये शरीर में प्रवाहित होने वाले रक्त में घुस गए तो नुकसानदेह हो सकता है।

कुत्ते के काटने से हुए जख्म में नया बैक्टीरिया मिला

 

इसके अनुसार, कुत्ते के काटने के बाद मरीज के अंगूठे में हुए जख्म से मिले बैक्टीरिया को समझने में कठिनाई हुई जिससे वैज्ञानिक इसे नई प्रजाति का पैथोजन बता रहे हैं। साल 2022 में एक कनाडाई समूह ने कुत्ते या बिल्ली के काटने से हुए जख्म से मिले बैक्टीरिया को पहली बार आइसोलेट किया था। फिलहाल टीम का यह शोध जारी है। अध्ययन के लेखकों ने अपने निष्कर्ष में लिखा, ‘सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध क्लिनिकल और जीनोम से संबंधित आंकड़े से बैक्टीरिया की भूमिका को समझने में मदद मिल सकती है।’

 

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