ओमप्रकाश चौटाला की विरासत संभालेंगे अभय सिंह, परिवार में एकता के सारे दरवाजे बंद

अभय सिंह चौटला और अजय सिंह चौटाला।

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़ : हरियाणा की राजनीति में एक नई दास्तान की शुरुआत हो रही है। ओमप्रकाश चौटाला, जो कि पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके थे, का निधन अब उनके छोटे पुत्र अभय सिंह चौटाला को इस राजनीतिक विरासत का भार उठाने के लिए प्रेरित कर रहा है। अपने पिता की गहरी छाया में रहने वाले अभय सिंह ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी राजनीतिक पहचान बनाई है, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि वे अपने पिता की राजनीतिक धरोहर को आगे बढ़ाने के लिए सक्षम हैं।

ओमप्रकाश चौटाला की अंतिम यात्रा

 

ओमप्रकाश चौटाला की अंतिम यात्रा में, जहां परिवार के सभी सदस्य इकट्ठा हुए थे, वहां पर अभय सिंह चौटाला ने अपने पिता की सभी क्रियाओं का संचालन किया। उनकी इच्छा के अनुरूप, अभय को परिवार के बड़े-बुजुर्गों ने सम्मान के साथ पगड़ी बांधकर उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया। इसके साथ ही, यह स्पष्ट हो गया कि राजनीतिक उत्तराधिकार केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह समाज में उनके प्रति विश्वास और सम्मान का प्रतीक भी है।

अभय सिंह चौटाला का राजनीतिक सफर

 

अभय सिंह चौटाला ने हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई है। वर्तमान में, वे इनेलो के प्रधान महासचिव हैं। उनकी राजनीतिक सक्रियता और लगातार खड़े रहने की क्षमता ने उन्हें पार्टी में एक महत्त्वपूर्ण स्थान दिलाया है। वह हाल ही में ऐलनाबाद विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, परंतु व्यक्तिगत हार के बावजूद, उनके बेटे अर्जुन चौटाला ने रानियां से और चचेरे भाई आदित्य देवीलाल ने डबवाली से जीत हासिल करके अभय सिंह की नेतृत्व क्षमता को साबित किया।

वंश परंपरा और राजनीतिक जटिलताएं

 

ओमप्रकाश चौटाला के निधन के बाद की घटनाओं ने स्पष्ट कर दिया है कि अभय सिंह चौटाला और उनके बड़े भाई अजय सिंह चौटाला के बीच राजनीतिक एकता की संभावनाएँ क्षीण हैं। एक शोक सभा के दौरान भाकियू अध्यक्ष राकेश टिकैत ने परिवारों के एकजुट होने की आशा जताई, परंतु उपस्थित अन्य नेताओं ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की। इस संदर्भ में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि परिवार के दो धड़ों का एक साथ होना अब संभव नहीं है, खासकर जब यह स्पष्ट हो गया है कि अभय सिंह चौटाला पार्टी और राजनीति में अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

युवा पीढ़ी का भविष्य

 

अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला और अजय सिंह के बेटे दुष्यंत चौटाला के बीच भी राजनीतिक मतभेद स्पष्ट हैं। शोक सभा में दोनों परिवारों के युवा सदस्यों के बीच की दूरी ने इस बात को और मजबूती दी है कि पारिवारिक राजनीतिक एकता अब एक सुस्त संभावना मात्र है। दिग्विजय चौटाला, जो जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के प्रधान महासचिव हैं, ने खनौरी बार्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का हालचाल जानने में सक्रियता दिखाई, जबकि अभय सिंह ने स्वयं डल्लेवाल से कुछ समय पहले मुलाकात की थी। यह स्थिति इस बात का प्रमाण है कि राजनीतिक संबंधों में परिवर्तन के साथ-साथ व्यक्तिगत संबंधों में भी बदलाव आना अनिवार्य है।

अभय सिंह: एक चुनौतीपूर्ण भूमिका

 

अब अभय सिंह चौटाला को न केवल अपने पिता की विरासत को संभालना है, बल्कि उन्हें अपनी पार्टी की चुनौतियों का सामना भी करना है। हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला और पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की राजनीतिक धरोहर को आगे बढ़ाना आसान कार्य नहीं होगा। यहां पर अभय सिंह के नेतृत्व में इनेलो को अपने मौजूदा राजनीतिक समीकरणों में सुधार लाने की जरूरत होगी।

कृषि कानूनों के विरोध में आवाज

 

अभय सिंह चौटाला का एक प्रमुख कार्य यह था कि उन्होंने तीन कृषि कानूनों के विरोध में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने का साहस प्रस्तुत किया था। यह कार्य उनकी राजनीतिक इच्छाशक्ति और किसानों के प्रति उनकी समर्पण का प्रतीक है। इस कदम ने उन्हें न केवल हरियाणा में बल्कि देशभर में किसान आंदोलन का प्रतीक बना दिया। अब, अभय को अपने समुदाय की आवाज़ को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है, जो कि उनके पिता की राजनीतिक विरासत के लिए एक बड़ा कदम होगा।

राजनीतिक यात्रा में कई बाधाएं

 

ओमप्रकाश चौटाला का जाना हरियाणा की राजनीति में एक युग का अंत है, लेकिन अभय सिंह चौटाला की नई यात्रा इसके एक नए आरंभ का संकेत देती है। वे अपनी राजनीतिक यात्रा में कई बाधाओं का सामना करेंगे, लेकिन उनकी प्रतिबद्धता और नेतृत्व कौशल उन्हें आगे बढ़ाने में मदद करेगा। इस नए युग में, अभय सिंह चौटाला को केवल अपने पिता की विरासत नहीं संभालनी है, बल्कि नई पहचान भी बनानी है जो हरियाणा की राजनीति में स्थायी रूप से एक नया अध्याय जोड़े। परिवार में अलगाव और राजनीतिक विविधता अब इस बात का प्रमाण हैं कि हरियाणा की राजनीतिक रंगत बदल रही है और इसे आगे बढ़ाने के लिए अभय सिंह को दृढ़ संकल्प से कार्य करने की आवश्यकता होगी।

 

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