आतिशी ने बाप ही बदल लिया, प्रियंका गांधी के बाद रमेश बिधूड़ी के दिल्ली की सीएम पर बिगड़े बोल

नई दिल्ली: दिल्ली के कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी की प्रियंका गांधी वाड्रा के बारे में की गई विवादास्पद टिप्पणी ने राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी है। हाल ही में एक जनसभा में बिधूड़ी ने कहा कि वह कालकाजी क्षेत्र की सड़कों को “प्रियंका गांधी के गालों की तरह” बनाएंगे। यह बयान तुरंत वायरल हो गया और कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा कड़ी निंदा का कारण बना।
ये है BJP का प्रत्याशी इसकी भाषा सुनिए ये है BJP का महिला सम्मान।
क्या ऐसे नेताओं के हाथ में दिल्ली की महिलाओं का सम्मान सुरक्षित है? pic.twitter.com/sLKSBjSbQi— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) January 5, 2025
ओछी और अपमानजनक भाषा बताया
इस वीडियो बयान में रमेश बिधूड़ी ने अपने भाषण में कहा, “लालू ने वादा किया था कि बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों जैसा बना दूंगा, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ, जैसे ओखला और संगम विहार की सड़कें बना दी हैं, वैसे ही कालकाजी में सारी सड़कें प्रियंका गांधी के गाल जैसी बना दूंगा।” बिधूड़ी के इस बयान को कई नेताओं ने ओछी और अपमानजनक भाषा बताया है।
ये व्यक्ति तो लगातार नीचे गिरता जा रहा.है
पहले संसद में गाली दी फिर प्रियंका गांधी पर घटिया बयान दिया अब आतिशी पर सुनिए
मोदी जी को विधायक नहीं उपप्रधानमंत्री बना देना चाहिए…अच्छी टक्कर दे रहा है ! pic.twitter.com/9w4DOBjqCb
— Nigar Parveen (@NigarNawab) January 5, 2025
अल्का लांबा ने की निंदा
कांग्रेस पार्टी ने इस बयान की निंदा में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी अल्का लांबा ने अपने एक्स अकाउंट पर एक वीडियो शेयर कर कहा कि बिधूड़ी की यह टिप्पणी न केवल अपमानजनक है, बल्कि यह भाजपा की सोच और महिला विरोधी मानसिकता को भी दर्शाती है। उन्होंने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से सवाल किया कि वह इस तरह की बयानबाजी को लेकर क्या सोचता है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि बिधूड़ी का बयान “घोर निंदनीय” है और इसे समग्र नारी जाति का अपमान माना जाना चाहिए।
आतिशी ने भी दी प्रतिक्रिया
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने रमेश बिधूड़ी की टिप्पणी को भाजपा की महिला विरोधी मानसिकता का प्रतीक बताते हुए कहा कि आने वाले चुनाव में जनता भाजपा को करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा, “भाजपा के हाथ में महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, लेकिन उनके पास ऐसे व्यक्ति को प्रत्याशी बनाने का साहस है। यह सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसी टिप्पणियों के खिलाफ खड़े हों।”
बिधूड़ी ने खेद व्यक्त किया
बिधूड़ी ने विवाद बढ़ने के बाद खेद व्यक्त करते हुए कहा, “अगर किसी को मेरे बयान से कष्ट हुआ हो, तो मैं अपने शब्द वापस लेता हूं और खेद प्रकट करता हूं।” हालांकि, उन्होंने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को सलाह दी कि वे पहले अपने गिरेबां में झांकें, यह कहते हुए कि “सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को भ्रष्टाचारी कहा है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आप के सांसद संजय सिंह सिनेमा हाल में टिकट में ब्लैक करते थे।
अजय माकन और संदीप दीक्षित की चुप्पी
इस विवाद ने कुछ और गहराई तब पकड़ी जब आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस नेताओं अजय माकन और संदीप दीक्षित की चुप्पी पर हैरानी जताई। आप के नेता संजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को अपनी नेता प्रियंका का बचाव करने के लिए चुप्पी तोड़नी चाहिए। इसके अलावा, आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी रमेश बिधूड़ी द्वारा दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी पर की गई टिप्पणियों की कड़ी निंदा की। केजरीवाल ने कहा, “भाजपा के नेताओं ने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी हैं। दिल्ली की महिलाएं इसका बदला लेंगी।”
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस प्रकार की बयानबाजी केवल किसी एक नेता या पार्टी का मामला नहीं है, बल्कि यह समूचे राजनीतिक माहौल में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण को दर्शाती है। पिछले कुछ वर्षों में, महिलाओं के प्रति ऐसी असंवेदनशील और आपत्तिजनक टिप्पणियों की घटनाएं बढ़ी हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि राजनीतिक दल अपने नेताओं की भाषा और बयानों पर ध्यान दें, खासकर जब मामला महिलाओं से संबंधित हो।
राजनीतिक बयानबाजी की सीमा
यह सब देखते हुए, बिधूड़ी की टिप्पणी ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा किया है कि क्या राजनीतिक बयानबाजी की सीमा होनी चाहिए। क्या यह सही है कि चुनावी प्रचार के दौरान ऐसी टिप्पणियों को सामान्य माना जाए? या फिर ऐसे बयानों का कड़ा विरोध किया जाना चाहिए?
निर्णय स्पष्ट है कि भारतीय राजनीति को अपनी भाषा और शैली में बदलाव की आवश्यकता है, विशेष रूप से महिलाओं के प्रति सम्मान और आदर के मामले में। बिधूड़ी के बयान ने एक बार फिर ये सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या सार्वजनिक जीवन में महिलाओं का सम्मान सही मायनों में सुनिश्चित किया गया है या नहीं।
राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी
हर बार जब ऐसे विवाद होते हैं, यह राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है कि वे ये सुनिश्चित करें कि उनके नेता न केवल अपनी बात कहें, बल्कि यह भी समझें कि उनके शब्दों का प्रभाव क्या हो सकता है। इसलिए, इस मामले में पार्टी और नेताओं को एक सशक्त संदेश भेजने की आवश्यकता है कि महिला विरोधी बयानबाजी को न केवल बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसके ऊपर खुलकर बात की जानी चाहिए।
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते हैं, इस प्रकार की बयानबाजी और विवादों का खेल जारी रह सकता है। लेकिन अंततः यही जनता है जो इन बयानों की गंभीरता को समझेगी और अपने वोट के माध्यम से इस मानसिकता का जवाब देगी। राजनीतिक दलों को यह ध्यान में रखना होगा कि महिलाएं केवल वोट देने वाली नहीं बल्कि समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और उनका सम्मान आवश्यक है।
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