DAP Price: जनवरी से बढ़ सकती है डीएपी की कीमत, किसानों और उद्योग पर पड़ सकता है प्रभाव

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: DAP Price: खेती में उर्वरकों का महत्वपूर्ण स्थान होता है, और इनमें डीएपी (डायामॉनियम फास्फेट) का उपयोग बहुत अधिक होता है। वर्तमान में, किसानों को 50 किलोग्राम का एक बैग डीएपी 1350 रुपये में मिल रहा है। लेकिन, अगले महीने डीएपी की कीमतों में दो सौ रुपये की वृद्धि का अनुमान लगाया जा रहा है। यह बढ़ोत्तरी विभिन्न कारकों, विशेषकर कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि और सरकार की सब्सिडी की समाप्ति से संबंधित है।
डीएपी की वर्तमान स्थिति
केंद्र सरकार ने किसानों के लिए सस्ती दर पर डीएपी उपलब्ध कराने के लिए लगभग 3500 रुपये प्रति टन की दर से विशेष सब्सिडी प्रदान की है। लेकिन, यह सब्सिडी 31 दिसंबर 2023 को समाप्त हो जाएगी। इस समय, डीएपी बनाने में प्रयुक्त फास्फोरिक एसिड और अमोनिया के मूल्यों में 70 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है, जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव खाद की कीमतों पर पड़ रहा है।
सब्सिडी और किसानों पर प्रभाव
फास्फेट और पोटाश युक्त (पीएंडके) उर्वरकों के लिए, केंद्र सरकार ने पोषक-तत्त्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना की शुरुआत अप्रैल 2010 से की है। इसके अंतर्गत, वार्षिक आधार पर निर्माता कंपनियों को सब्सिडी दी जाती है। एनबीएस योजना के चलते कंपनियां बाजार के अनुसार उर्वरकों का उत्पादन और आयात कर सकती हैं। लेकिन अगर विशेष अनुदान की अवधि का विस्तार नहीं किया गया, तो पहली जनवरी से डीएपी की कीमतों में बढ़ोतरी निश्चित प्रतीत होती है।
इस वर्ष खरीफ मौसम में डीएपी पर प्रति टन सब्सिडी 21,676 रुपये थी, जिसे रबी (2024-25) के मौसम के लिए 21,911 रुपये कर दिया गया है। ये आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि सरकार किसानों की मदद के लिए कैसे काम कर रही है, फिर भी अगर विशेष सब्सिडी को जारी नहीं रखा गया, तो इसका सीधा असर उद्योग और किसानों दोनों पर होगा।
वित्तीय चुनौतियों का सामना
हाल के दिनों में रुपये का डालर के मुकाबले अवमूल्यन हो रहा है, जिसके कारण आयात की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। वर्तमान वैश्विक बाजार में डीएपी का मूल्य 630 डालर प्रति टन है। डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी के चलते आयात लागत में लगभग 1200 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी हुई है। यदि सब्सिडी भी समाप्त कर दी गई, तो प्रति टन लगभग 4700 रुपये की बढ़ोतरी संभव है, जिसका परिणामस्वरूप प्रत्येक बैग की कीमत में लगभग 200 रुपये की वृद्धि होने की संभावना है।
याद रहे कि दो वर्षों पहले, किसान एक बैग डीएपी केवल 1200 रुपये में खरीदते थे, जिसमें पिछले समय में 150 रुपये की बढ़ोतरी के बाद अब यह मूल्य 1350 रुपये हो गया है। ऐसे में, यदि भविष्य में कीमतों में और वृद्धि होती है, तो यह किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है, खासकर छोटे और मध्यम किसान जो पहले से ही आर्थिक दबाव में हैं।
आयात की स्थिति
इस वर्ष देश में 93 लाख टन डीएपी की आवश्यकता थी, जिसमें से 90 प्रतिशत आयात द्वारा पूरी की गई। वैश्विक बाजार में जब डीएपी की कीमतें बढ़ीं, तो उत्पादन में घाटे के कारण आयात प्रभावित हुआ, जिससे देश में डीएपी संकट उत्पन्न हुआ। हालांकि, सरकार की पहल से बाद में आयात में तेजी आई और किसानों को समय पर डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित की गई।
सरकार की भूमिका और आगे की राह
सरकार के प्रयासों से किसानों को खाद की आपूर्ति सुनिश्चित की गई, लेकिन आने वाले समय में इसे बनाए रखना एक चुनौती हो सकती है। खासकर ऐसे समय में जब फसल उत्पादन और खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए खाद की उपलब्धता बेहद महत्वपूर्ण है।
किसानों को डीएपी और अन्य उर्वरकों की बढ़ती हुई कीमतों के प्रभाव को समझने तथा अपनी फसल बुवाई की योजना को इसी अनुरूप तैयार करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, सरकार को भी विशेष अनुदान की व्यवस्था को जारी रखने और बाजार की मांग के अनुरूप सब्सिडी को बढ़ाने पर विचार करने की आवश्यकता है।
किसानों के लिए चिंता का विषय
संपूर्ण कृषि क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए आगामी महीनों में डीएपी खाद की कीमतों में अपेक्षित वृद्धि किसानों के लिए चिंता का विषय बन सकती है। अगर विशेष सब्सिडी को जारी नहीं रखा गया तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। किसानों की मदद और उर्वरक की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए सरकार और उद्योग को मिलकर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। कृषि उत्पादकता और किसानों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह बेहद आवश्यक है कि खाद की कीमतों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जाए।
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