किसानों के हित में केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण निर्णय: सस्ती दर पर मिलती रहेगी डीएपी और फसल बीमा योजना का होगा विस्तार

नरेन्‍द्र सहारण, नई दिल्ली/चंडीगढ़: DAP Price: केंद्र सरकार ने नववर्ष के पहले दिन किसानों के लिए दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जो कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाएंगे। ये निर्णय न केवल किसानों के आर्थिक हितों की रक्षा करेंगे, बल्कि कृषि उत्पादन को भी बढ़ावा देंगे।

डीएपी पर विशेष सब्सिडी की घोषणा

 

पहला निर्णय डाय-अमोनियम फास्फेट (डीएपी) पर विशेष सब्सिडी को जारी रखने का है, जिसे भारत में खेती में यूरिया के बाद सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। सरकार ने यह निर्णय लिया है कि डीएपी की कीमतें नहीं बढ़ेंगी, जिससे किसान पूर्ववत सस्ती दरों पर खाद प्राप्त कर सकेंगे। वर्तमान में, किसानों को 50 किलो की एक बोरी डीएपी 1,350 रुपये में मिलती है। हाल ही में, सरकार को पिछले वर्ष प्रति टन 3,500 रुपये की विशेष सब्सिडी देने की व्यवस्था करनी पड़ी थी, जिसे 31 दिसंबर 2023 को समाप्त किया जाना था। यदि सब्सिडी न जारी की जाती, तो डीएपी की एक बोरी का मूल्य 175 रुपये तक बढ़ जाता।

लेकिन कैबिनेट ने नए वर्ष में किसानों के हित में यह फैसला लिया कि विशेष पैकेज की संशोधित दर 3,850 रुपये प्रति टन के साथ अगले आदेश तक जारी रहेगी। सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यदि सब्सिडी का विस्तार नहीं किया जाता, तो 50 किलो डीएपी की बोरी की कीमत 1,350 रुपये से बढ़कर 1,525 रुपये हो जाती। कृषि क्षेत्र में दी जाने वाली यह सब्सिडी विशेष रूप से फास्फेट और पोटास युक्त उर्वरकों के लिए केंद्र सरकार की पोषक-तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना का हिस्सा है, जो 2010 से लागू है।

विशेष पैकेज के उद्देश्य

 

विशेष पैकेज योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को सस्ती दरों पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। सरकार का मानना है कि इससे कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होगी और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। भारत में लगभग 90 प्रतिशत डीएपी का आयात किया जाता है, जिससे वैश्विक बाजारों में हुए उतार-चढ़ाव का प्रभाव यहां के किसानों पर पड़ता है। हाल ही में डालर के मुकाबले रुपये में अवमूल्यन और फास्फोरिक एसिड एवं अमोनिया के मूल्य में अचानक वृद्धि ने किसानों के लिए डीएपी की कीमतों को लेकर चिंता बढ़ा दी थी।

फसल बीमा योजना का विस्तार

 

दूसरा महत्वपूर्ण निर्णय प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को 2025-26 तक जारी रखने का है। इस योजना के लिए 69,515.71 करोड़ रुपये का प्रबंध किया गया है, जिसमें तकनीकी सुधार और नवाचार के लिए 824.77 करोड़ रुपये का आवंटन भी शामिल है। यह निर्णय किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले फसल नुकसान से सुरक्षा प्रदान करने में मदद करेगा।

सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, यह देश की सबसे बड़ी बीमा योजना है जिसमें 23 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के किसान जुड़े हुए हैं। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि मंत्रिमंडल ने भारत के सहकारिता मंत्रालय और इंडोनेशिया के व्यापार मंत्रालय के बीच गैर-बासमती सफेद चावल के व्यापार पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को भी मंजूरी दी है।

सुझाव और सुधार

 

सरकारी योजनाओं की सफलता के लिए एक मजबूत और पारदर्शी कार्यान्वयन तंत्र का होना आवश्यक है। बीमा योजना के कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकी के सहारे दावों की गणना और निपटारे में सुधार हो सकता है। इसके अलावा, निधि का उपयोग अनुसंधान और विकास संबंधी अध्ययनों के लिए किया जाएगा, जिससे कृषि उत्पादकता में और अधिक वृद्धि हो सकेगी।

प्रधानमंत्री की चर्चाएं

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर कहा, “नए वर्ष का पहला निर्णय हमारे देश के करोड़ों किसान भाई-बहनों को समर्पित है। हमने फसल बीमा के लिए आवंटन बढ़ाने को मंजूरी दी है। इससे हमारे अन्नदाताओं की फसलों को और अधिक सुरक्षा मिलेगी, साथ ही नुकसान की चिंता भी कम होगी। डीएपी पर विशेष पैकेज बढ़ाने के निर्णय से किसानों को किफायती दरों पर खाद उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।”

किसानों को लाभ पहुंचाने वाला दृष्टिकोण

 

केंद्र सरकार के ये कदम स्पष्ट रूप से किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उठाए गए हैं। बढ़ती लागत और प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसान हमेशा चिंता में रहते हैं। लेकिन इस प्रकार की सब्सिडी और बीमा योजनाओं से उन्हें राहत मिलेगी और वे बिना किसी चिंता के खेती कर सकेंगे।

इस योजनाओं का सही तरीके से कार्यान्वयन एवं अनुसंधान से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने से न केवल खेती की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि भारतीय कृषि आर्थिक रूप से सशक्त भी होगी।

अंत में, इन निर्णयों का प्रमुख उद्देश्य भारतीय किसानों को सशक्त बनाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थिर करना है, ताकि वे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। हमारी कृषि नीतियों में स्पष्टता, पारदर्शिता और तकनीकी नवाचार से ही हम अपने किसान भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं।

इस प्रकार, केंद्र सरकार का यह निर्णय साबित करता है कि वे किसानों की भलाई को सर्वोपरि मानते हैं और निरंतर उनके हित में काम करते रहेंगे। ऐसे समय में जब कृषि एक महत्वपूर्ण आर्थिक आधार है, तब सरकार के इस प्रयास से किसान समुदाय को एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास मिलेगा।

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