Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली के चुनावी रण में ताल ठोंक रहे हरियाणा के ये सात उम्मीदवार, जानें उनके बारे में

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़: Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा के चुनाव 5 फरवरी को होने जा रहे हैं, जिसमें हरियाणा के नेताओं की प्रतिष्ठा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। बाहरी दिल्ली के कुछ क्षेत्रों सहित लगभग तीन दर्जन सीटों पर हरियाणा के मतदाता और नेता एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। इस प्रभाव का लाभ उठाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 18 नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) के हरियाणा से जुड़े कार्यकर्ता भी दिल्ली में पार्टी के प्रचार की दिशा में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

दिल्ली राज्य की 70 विधानसभा सीटों पर कुल मिलाकर 5 फरवरी को चुनाव आयोजित होंगे, और परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हरियाणा के फरीदाबाद, गुरुग्राम, पलवल, सोनीपत, मानेसर, झज्जर, बहादुरगढ़, रेवाड़ी, और नूंह जैसे जिलों के लाखों नागरिक हर रोज़ दिल्ली आते-जाते हैं। इनमें से कई लोग काम करने और व्यापार करने के लिए दिल्ली में निवास करते हैं, जबकि कई अन्य के रिश्तेदार दिल्ली में हैं। यही कारण है कि बाहरी दिल्ली की अधिकांश सीटों पर हरियाणा का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।

सात उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे

 

दिल्ली चुनाव में हरियाणा की पृष्ठभूमि के करीब सात उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में एक दर्जन से अधिक नेताओं ने चुनावी मैदान में अपनी दावेदारी पेश की थी। इस बार आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, और भाजपा ने अधिकांश उम्मीदवारों के टिकटों में बदलाव किया है, जिससे हरियाणा की पृष्ठभूमि से जुड़े नेताओं को कम ही अवसर मिल पाए हैं।

कांग्रेस ने फरीदाबाद के पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना के पुत्र अर्जुन भड़ाना को बदरपुर विधानसभा सीट से टिकट प्रदान किया है। अवतार भड़ाना के भाई, करतार सिंह भड़ाना के पुत्र मनमोहन भड़ाना भाजपा के टिकट पर पानीपत जिले की समालखा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। अवतार और करतार भड़ाना दोनों भाई अपने परिवार की अगली पीढ़ी को राजनीतिक लाइमलाइट में लाने में सफल रहे हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा राजौरी गार्डन विधानसभा सीट पर चुनावी परिदृश्य में हैं। सिरसा से आने वाले मनजिंदर सिंह का भाजपा में एक प्रतिष्ठित नाम है। वहीं, कैथल से संबंधित महेंद्र गोयल आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में नई दिल्ली की रिठाला विधानसभा सीट से चुनावी दौड़ में शामिल हैं। महेंद्र गोयल आम आदमी पार्टी में दिल्ली प्रदेश के व्यापार विंग के अध्यक्ष भी हैं और उन्होंने पहले भी रिठाला सीट से सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा है।

झज्जर जिले के वीरेंद्र सिंह कादियान को आम आदमी पार्टी ने दिल्ली छावनी विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। वीरेंद्र ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है और चुनावी रण में उनकी उम्मीदवारी भी महत्वपूर्ण बिंदु है। इसी तरह, छारा गाँव की रहने वाली राखी बिरला आम आदमी पार्टी के टिकट पर मादीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं।

हिसार के उकलाना के दीपक सिंगला को आम आदमी पार्टी ने विश्वास नगर विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है। उन्होंने पहले भी इसी सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन सफलता नहीं मिली थी। हालांकि उनके परिवार का कोई सदस्य अब उकलाना में नहीं रहता, लेकिन उनका मकान अभी भी वहीं है। जींद जिले के नरवाना से पूर्व विधायक पवन शर्मा को भारतीय जनता पार्टी ने उत्तम नगर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है।

हरियाणा के नेताओं और मतदाताओं की सक्रियता

 

दिल्ली विधानसभा चुनाव में हरियाणा के नेताओं और मतदाताओं की सक्रियता कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। बाहरी दिल्ली के कई क्षेत्रों में हरियाणा के मतदाता, जिनमें युवाओं की बड़ी हिस्सेदारी है, चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं। इस बार चुनावी गतिविधियाँ हरियाणा की राजनीतिक शक्ति और उसका दिल्ली चुनावों में संभावित प्रभाव दिखाती हैं।

हरियाणा की पृष्ठभूमि से जुड़े नेताओं की भागीदारी और मतदाता प्रभाव यह संकेत देते हैं कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में सिर्फ दिल्ली के निवासी ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्य के लोग भी इस चुनावी रण में सक्रिय रूप से शामिल हैं। भले ही हरियाणा कांग्रेस का प्रभाव सीमित दिख रहा हो, लेकिन भाजपा और आम आदमी पार्टी ने अपने-अपने नेताओं की प्रतिष्ठा बचाने के लिए पूरी ताकत झोंकी है।

 

इस चुनाव के परिणाम न केवल दिल्ली की राजनीतिक दिशा को प्रभावित करेंगे, बल्कि हरियाणा की राजनीति को भी एक नया आयाम देने में सहायक होंगे। विशेषकर यह देखना रोमांचक होगा कि क्या हरियाणा के युवा मतदाता दिल्ली की राजनीतिक गठजोड़ को समझते हुए अपना मत डालेंगे या फिर दीर्घकालिक नीतियों की पैरवी करेंगे।

इन सभी पहलुओं के बीच, हरियाणा का दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रतिनिधित्व यह दर्शाता है कि क्षेत्रीय राजनीति का दायरा कैसे व्यापक हो सकता है। यदि हरियाणा के नेता और मतदाता सक्रिय रूप से आगे आते हैं, तो वे निश्चित रूप से भाजपा या आम आदमी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए, 5 फरवरी को होने वाला चुनाव केवल एतिहासिक नहीं, बल्कि भविष्य की राजनीति के लिए भी मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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