Ghaziabad New: शादी के आठ साल बाद पति बोला-मुझे महिला बनना है, जानें क्या हुआ आगे
गाजियाबाद,बीएनएम न्यूज : Ghaziabad New: गाजियाबाद की एक युवा महिला ने, जो कि अपने पति के साथ एक सुखद वैवाहिक जीवन बिता रही थी, कभी नहीं सोचा था कि उन्हें ऐसी कठिनाई से गुजरना पड़ेगा। उनकी शादी मई 2013 में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाले मैकेनिकल इंजीनियर से हुई थी। इस जोड़े के जीवन में खुशियों का आगाज हुआ, और चार साल बाद, 2017 में, उनके घर में एक बेटे का जन्म हुआ। यह एक खुशहाल परिवार का सपना था; लेकिन अचानक, 2021 में, जब पति का करियर बेंगलुरु में स्थानांतरित हुआ, उनके जीवन में एक नया मोड़ आया।
पहचान में बड़ा बदलाव
जब वह पति वापस लौटे, तो उनकी पहचान में एक बड़ी तब्दीली आ गई थी। पति ने ना केवल अपने कपड़े बदल लिए थे, बल्कि उनकी मानसिकता और व्यवहार भी पूरी तरह से बदल गया था। उन्होंने पत्नी की तरह कपड़े पहनने शुरू किए और महिलाओं की तरह बातें करने लगे। शुरुआत में पत्नी ने इसे एक मजाक समझा, लेकिन जब यह व्यवहार लगातार जारी रहा, तो उन्हें चिंता होने लगी। उन्होंने पति को समझाने का प्रयास किया लेकिन उसका पति मानने को तैयार नहीं था। यह स्थिति न केवल उन्हें व्यक्तिगत रूप से प्रभावित कर रही थी, बल्कि उनके बेटे की परवरिश पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ रहा था।
अलग रहने का निर्णय
इस बीच, महिला के परिवार ने भी पति को समझाने की कोशिश की। लेकिन वे सभी प्रयास असफल रहे। बेटे की भलाई के लिए महिला ने अपने पति के साथ अलग रहने का निर्णय लिया। 2021 से दोनों अपनी-अपनी जिंदगी जीने लगे, लेकिन पति की पहचान परिवर्तन की इच्छा ने महिला को गहरे मानसिक दबाव में डाल दिया।
आधार कार्ड में लिंग परिवर्तन
महिला के लिए यह स्वीकार करना कठिन हो रहा था कि उसके पति ने न केवल अपने कपड़े और नेत्रिकाओं को बदल दिया था, बल्कि उन्होंने अपना नाम भी बदलकर आधार कार्ड में लिंग परिवर्तन करवा लिया था। वह हर दिन अपनी पत्नी की तरह कपड़े पहनने और महिलाओं की तरह मेकअप करने की जिद करते रहे। जैसे-जैसे समय बीतता गया, महिला ने महसूस किया कि उनकी वैवाहिक जीवन में सामंजस्य स्थापित करना और भी कठिन होता जा रहा है।
अलग होना ही बेहतर विकल्प
अंततः महिला ने अपने पति को तलाक के लिए राजी किया। पति की शुरूआत में तलाक के लिए मना करने के बावजूद इस स्थिति के आगे उन्हें भी झुकना पड़ा। वह स्वीकार करने लगे कि दोनों के लिए अलग होना ही बेहतर विकल्प होगा। अपनी अगली नई पहचान की खोज में भले ही पति ने अपनी नौकरी को बेंगलुरु में स्थानांतरित किया हो, लेकिन महिला ने अपने बेटे की भलाई के लिए अपने फैसले को अंतिम रूप देने का निर्णय लिया।
महिला ने कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी डाली और फैमिली कोर्ट ने इस मामले पर विचार करने की प्रक्रिया शुरू की। महिला ने अपने पति के मानसिक स्वास्थ्य के लिए उचित उपचार की जरूरत को भी महसूस किया, लेकिन अब वह अपने और अपने बेटे के भविष्य के लिए चिंतित थी। वह जानती थी कि एक तलाक का निर्णय जीवन में कभी आसान नहीं होता, लेकिन अपने परिवार की खुशियों के लिए उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
महिला के मन में कई सवाल
इस मुश्किल घड़ी में महिला के मन में कई सवाल थे। क्या उन्होंने सही निर्णय लिया? क्या उनके बेटे पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा? लेकिन वह यह भी जानती थी कि अपने खुद की मानसिक और भावनात्मक स्थिति को प्राथमिकता देना जरूरी है। पति की पहचान रूपांतरण की यह पूरी प्रक्रिया केवल उन्हें ही नहीं, बल्कि उनकी पत्नी को भी एक नया जीवन देने का प्रयास थी, जो उनके संदर्भ में काफी जटिल बताई जा सकती थी। महिला का यह मानना है कि वह अपनी पहचान को स्वीकार करने का अधिकार रखता है, लेकिन यह उसके जीवन के अन्य पहलुओं पर भी असर डालता है, विशेष रूप से उनके बेटे की परवरिश पर।
कानूनी प्रक्रिया के तहत दोनों ने सहमति से अपने अलगाव की इच्छा का इजहार किया और अब उनका मामला आगामी सुनवाई का इंतजार कर रहा है। फैमिली कोर्ट इस महीने तलाक के मामले में निर्णय करेगी।