Kisan Andolan: किसान संगठनों में एकता का प्रस्ताव लेकर राजेवाल खनौरी जाएंगे, पंधेर बोले-एकजुटता जरूरी
नरेन्द्र सहारण, मोगा :Kisan Andolan: पंजाब में किसान आंदोलन की कहानी एक नई दिशा में बढ़ रही है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और एसकेएम गैर राजनीतिक के बीच एकता के संकेत स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। हाल ही में मोगा में हुई किसान महापंचायत ने इस एकता को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस महापंचायत में किसान नेताओं ने एकजुटता के लिए अपने विचारों को साझा किया और किसानों की मांगों को लेकर नए सिरे से एक साथ आने का आह्वान किया।
एकता का प्रस्ताव
महापंचायत में यह निर्णय लिया गया कि बलवीर सिंह राजेवाल की नेतृत्व में एक 6 सदस्यीय दल खनौरी जाएगा और दूसरे गुट के सामने एकता का प्रस्ताव रखेगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि किसान आंदोलन के दौरान विभाजित धारणाओं के बीच यह एकजुटता की ओर एक नई आशा की किरण है।
सरवन सिंह पंधेर, जो एसकेएम गैर राजनीतिक के नेताओं में से एक हैं, ने कहा कि उन्होंने पहले से ही एकजुटता के लिए आह्वान किया था। यदि दूसरे गुट के नेता उनके साथ मिलकर कोई प्रस्ताव लाते हैं, तो उस पर विचार किया जाएगा। यह उनकी सहयोग की इच्छाशक्ति को दर्शाता है।
इसके अतिरिक्त, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव कुमार राहुल की टीम भी खनौरी पहुंची, जहां उन्होंने 45 दिनों से आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य की स्थिति की जानकारी ली। यह बात चिंताजनक है कि इस दौरान शंभू में एक और किसान ने तनाव के चलते आत्महत्या कर ली। यह घटनाएं किसानों के संघर्ष की जटिलता और गहराई को दर्शाती हैं।
महापंचायत में बलवीर सिंह राजेवाल, रमिंदर पटियाला, जोगिंदर उगराहां और राकेश टिकैत जैसे प्रमुख नेताओं ने किसानों को संबोधित किया। वक्ताओं ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि डल्लेवाल को कुछ हुआ, तो उसके गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने किसानों को एकजुट होकर खड़े रहने की अपील की।
मिलकर संघर्ष करने की आवश्यकता
जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि किसान आंदोलन ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया है। उन्होंने कहा, “अब हमें मिलकर संघर्ष करने की आवश्यकता है। हम एक प्रस्ताव लेकर जाएंगे, इसे मानना या न मानना, यह उनकी मर्जी होगी।” उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी को अपने संघर्ष करने का अधिकार रहेगा, लेकिन एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी नहीं की जाएगी।
गठबंधन की अहमियत पर जोर
सरवन सिंह पंधेर ने भी इस गठबंधन की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि हर कदम किसानों के हित में उठाया जाएगा। उन्हें उम्मीद है कि यदि तीनों मंच एकजुट होकर काम करेंगे, तो इससे सरकार पर प्रभाव पड़ेगा और किसानों की मांगों को नजरअंदाज करना उनके लिए संभव नहीं होगा।
सभी किसान संगठनों को इस एकता की दिशा में आगे बढ़ते हुए विचार करना होगा कि कैसे वे अपने संघर्ष को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। खेती और किसान संबंधी मुद्दों पर व्यापक चर्चा की आवश्यकता है, ताकि सभी पक्षों की चिंताओं को समझा जा सके।
एकजुट होना अनिवार्य
किसान नेतागण भी यह समझते हैं कि आगे की चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होना अनिवार्य है। यह नया प्रस्ताव और संवाद की पहल न केवल किसानों के संघर्ष को मजबूत करेगी, बल्कि आने वाले समय में सरकार द्वारा की जा रही नीतियों को चुनौती देने के लिए एक सशक्त आधार भी प्रदान करेगी।
किसानों के लिए यह समय केवल संघर्ष का नहीं, बल्कि समझौते और सहयोग का भी है। अगर सभी संगठनों की सोच और रणनीति में तालमेल बिठाया जाता है, तो यह आंदोलन सफलता की नई ऊंचाइयों को छू सकता है।
अतः मोगा की महापंचायत ने जो दिशा दिखाई है, वह किसानों के एकजुटता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। इस एकता के माध्यम से किसान नेता नहीं केवल अपनी आवाज को मजबूती देंगे, बल्कि अपने अधिकारों के लिए एक नई लड़ाई का भी आगाज़ करेंगे। किसानों की एकजुटता के लिए उठाए गए कदम अत्यंत आवश्यक हैं, ताकि वे अपनी मांगों को मजबूती से सरकार तक पहुंचा सकें और अपनी आवाज को सही मायनों में प्रभावी बना सकें।
किसान संगठनों की यह एकजुटता न केवल वर्तमान संकट के समाधान के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि आने वाले समय में कृषि नीति और व्यवस्था में सुधार की दिशा में भी एक स्थायी बदलाव लाने की ओर इशारा करती है। अब आवश्यकता है कि सभी किसान एकजुट होकर, संवाद बनाए रखें और आपस में सहयोग करें, ताकि वे अपनी समस्याओं का सामूहिक समाधान खोज सकें।