Haryana Electricity Hike : हरियाणा में बिजली हो सकती है महंगी, 1 अप्रैल से लागू होंगी नई दरें

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़ : Haryana Electricity Hike : हरियाणा में बिजली दरों में वृद्धि का मामला एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन चुका है, जिसमें हाल ही में फ्यूल सरचार्ज एडजस्टमेंट (एफएसए) को बढ़ाए जाने के बाद बिजली दरों में भी मामूली वृद्धि की संभावना जताई जा रही है। उत्तर और दक्षिण हरियाणा विद्युत वितरण निगमों ने एक वित्तीय संकट का सामना करते हुए, हरियाणा बिजली विनियामक आयोग (एचईआरसी) से नए वित्तीय वर्ष में बिजली चार्ज में वृद्धि की अनुमति मांगी है। इस लेख में, हम इस वृद्धि के पीछे के कारणों, संभावित प्रभावों और उपभोक्ताओं की जानकारी का विश्लेषण करेंगे।

बिजली वितरण निगमों की वित्तीय स्थिति

हरियाणा विद्युत वितरण निगमों के लिए वर्तमान में 4,520 करोड़ रुपये का घाटा एक गहरी चिंता का विषय है। प्रबंधन ने अपनी कार्यकुशलता में सुधार लाने की दिशा में कई प्रयास किए हैं लेकिन घाटे का यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि मौजूदा टैरिफ संरचना में सुधार की आवश्यकता है। पिछले दो वर्षों में बिजली दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जो इस स्थिति को और भी गंभीर बनाता है।

एफएसए की बढ़ोतरी: क्या है इसका प्रभाव?

 

फ्यूल सरचार्ज एडजस्टमेंट (एफएसए) की बढ़ती दरें उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में प्रत्यक्ष रूप से जुड़ती हैं। प्रदेश सरकार ने पहले ही एफएसए को 2026 तक बढ़ा दिया है। इस निर्णय के परिणामस्वरूप, 200 यूनिट से अधिक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं को अब प्रति यूनिट बिजली बिल पर 47 पैसे का अतिरिक्त भुगतान करना होगा। इसके साथ ही, 200 यूनिट से अधिक की खपत पर अतिरिक्त 94.47 रुपये देने होंगे।

200 यूनिट से कम उपभोक्ताओं के लिए राहत

 

हालांकि, 200 यूनिट से कम बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं को एफएसए का भुगतान नहीं करना होगा, जो निश्चित रूप से छोटे उपभोक्ताओं के लिए कुछ राहत प्रदान करता है। यह सुनिश्चित करता है कि निम्न-आय वाले परिवार इस बढ़ोतरी से प्रभावित नहीं होंगे।

बिजली दरों में संभावित वृद्धि का कारण

 

बिजली वितरण निगमों के संचालन में चालक तत्व न केवल राजस्व में कमी है, बल्कि लाइन लॉस भी एक महत्वपूर्ण समस्या है। वर्तमान में दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम में 12.37 प्रतिशत और उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम में 9.15 प्रतिशत लाइन लॉस है। एचईआरसी के चेयरमैन नंद लाल शर्मा ने पहले ही निर्देशित किया है कि ऑपरेशनल दक्षता को बढ़ाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाएं।

औसत आपूर्ति लागत और औसत राजस्व वसूली के बीच का अंतर

 

बिजली वितरण का यह अंतर औसत आपूर्ति लागत (एसीसी) और औसत राजस्व वसूली (एआरआर) के बीच का है। अगर इस अंतर को कम नहीं किया गया तो निगमों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में मामूली बढ़ोतरी के लिए एचईआरसी से अनुमति की मांग की गई है, जो उपभोक्ताओं की पीड़ा को समझने की दिशा में एक कदम कही जा रही है।

उपभोक्ताओं की अपेक्षाएं और चिंताएं

बिजली दरों की बढ़ोतरी के संदर्भ में उपभोक्ताओं के मन में कई चिंताएं हैं। पहला सवाल यह उठता है कि क्यों लगातार उपभोक्ताओं को ही इस तरह की वृद्धि का सामना करना पड़ता है। दूसरी ओर, उपभोक्ता यह भी जानना चाहते हैं कि क्या बिजली वितरण निगम अपने संचालन में सुधार के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं।

सूचना का अधिकार

उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए यह जरूरी है कि निगम इस बढ़ोतरी के कारणों के बारे में स्पष्टता प्रदान करें। नियमित रूप से सूचना का अधिकार (RTI) के माध्यम से उपभोक्ता जानने के हकदार हैं कि उनके द्वारा दिए गए पैसे का उपयोग कैसे किया जा रहा है और क्या निगम अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए सही कदम उठा रहे हैं।

विद्युत क्षेत्र के सुधार की दिशा में कदम

बिजली क्षेत्र में सुधार केवल दरों में वृद्धि तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि इसके साथ ही कार्यकुशलता में सुधार, ऊर्जा संरक्षण और नवीनीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा देना होगा।

नवीनीकरणीय ऊर्जा का महत्व

आजकल बिजली उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा नवीनीकरणीय स्रोतों से आ रहा है। अगर हरियाणा सरकार इसे प्राथमिकता देती है, तो इससे न केवल पर्यावरण को लाभ होगा बल्कि लंबी अवधि में बिजली के खर्च में भी कमी आएगी।

मामूली वृद्धि

 

हरियाणा में बिजली दरों की मामूली वृद्धि की तैयारी एक महत्वपूर्ण विकास है, जो उपभोक्ताओं की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव डाल सकती है। हालांकि, यह आवश्यक है कि बिजली वितरण निगम इस वृद्धि के पीछे के कारणों की स्पष्टता के साथ-साथ अपनी कार्यकुशलता में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाएं। उपभोक्ताओं को भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठानी चाहिए और सरकार से अपेक्षाएं रखनी चाहिए कि वे उनके हितों का ध्यान रखें। उम्मीद है कि आने वाला समय बिजली क्षेत्र के लिए सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा, और उपभोक्ताओं को सक्षम बनाएगा ताकि वे अपने बिजली उपयोग के मुद्दों को समझ सकें और सही निर्णय ले सकें।

वर्तमान में घरेलू उपभोक्ताओं से इस तरह लिया जाता बिजली शुल्क

खपत खर्च प्रति यूनिट

 

0-50 यूनिट 2.00 रुपये
51-100 यूनिट 2.50 रुपये
0-150 यूनिट 2.75 रुपये
151-250 यूनिट 5.25 रुपये
251-500 यूनिट 6.30 रुपये
501-800 यूनिट 7.10 रुपये
801 से अधिक यूनिट 7.10 रुपये फ्लैट

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