Haryana News: डाक्टर की घोर लापरवाही… युवक के पैर में थी परेशानी, कर दिया दिमाग का आपरेशन, मौत

नरेन्द्र सहारण, पानीपत : Haryana News: हाल ही में पानीपत के आस्कर अस्पताल में एक हादसा सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 22 वर्षीय प्रवीण की जीवन लीला मंगलवार को खत्म हो गई, और परिवार के सदस्यों का कहना है कि यह सब डॉक्टर की लापरवाही के कारण हुआ। घटना के बारे में जानने से पहले, यह जान लेना जरूरी है कि प्रवीण, जो गढ़ी सिकंदर के निवासी थे, अपने छोटे भाई नवीन के साथ जीटी रोड स्थित आस्कर अस्पताल पहुंचे थे।
स्थिति चिंताजनक
प्रवीण को अस्पताल लाने का कारण उसके एक हाथ और पैर में आने वाली दिक्कत थी, जिसके कारण वह सुन्न हो जाते थे। यहाँ डाक्टर सुशांत दत्ता ने प्रवीण की स्थिति का आकलन किया और उसके सिर में पस का होना बताया। उन्होंने यह सुझाव दिया कि प्रवीण का ऑपरेशन किया जाए और यह भी कहा कि तीन दिन में वह पूरी तरह स्वस्थ हो जाएगा। प्रवीण के परिजनों ने ऑपरेशन कराने के लिए आयुष्मान कार्ड का इस्तेमाल करने पर सहमति जताई और सर्दी से बचने के लिए एक लाख रुपये का खर्च उठाने के लिए तैयार हो गए। ऑपरेशन 17 जनवरी को सफलतापूर्वक किया गया, लेकिन इसके बाद की स्थिति चिंताजनक हो गई।
हालत बिगड़ती चली गई
ऑपरेशन के बाद प्रवीण को वेंटिलेटर पर रखा गया। परिजनों को बताया गया कि पेसेंट की स्थिति गंभीर है। अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक, 19 जनवरी को डॉक्टरों ने परिवार को सूचित किया कि आयुष्मान कार्ड का उपयोग समाप्त हो चुका है और अब वेंटिलेटर का खर्च 40 हजार रुपये प्रतिदिन होगा। इस मुश्किल हालात में भी परिवार ने आगे बढ़कर खर्च उठाने का फैसला किया। लेकिन, प्रवीण की हालत बिगड़ती चली गई और डॉक्टर ने शनिवार को सुबह करीब पांच बजे उसे मृत घोषित कर दिया।
प्रवीण कोमा में चला गया
प्रवीण के बड़े भाई नवीन ने अस्पताल के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जब वे अस्पताल पहुंचे थे, तब डॉक्टर ने उन्हें यह आश्वासन दिया था कि प्रवीण पूरी तरह ठीक हो जाएगा। हालांकि, ऑपरेशन के बाद से ही उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। नवीन के अनुसार, डॉक्टरों ने उन्हें यह भी बताया कि प्रवीण अब कोमा में चला गया है और उसके होश में आने की कोई निश्चितता नहीं है।
शव के अंगूठे पर नीली स्याही
इस मामले में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई। नवीन ने यह भी बताया कि प्रवीण के शव के अंगूठे पर नीली स्याही देखी गई, जिससे परिवार के लोग पूरी तरह से भड़क गए। वे तुरंत पुलिस को सूचित करते हैं, जिससे स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए मेडिकल जांच करवाई गई।
लापरवाही के आरोप
पानीपत में पहले भी आस्कर अस्पताल पर कई बार लापरवाही के आरोप लग चुके हैं। एक घटना के साथ ही, सात महीने पहले मतलौडा के वैसर गांव के राजमिस्त्री रणबीर ने भी डॉक्टरों पर गलत ऑपरेशन करने का आरोप लगाया। रणबीर का मामला भी अस्पताल की चिकित्सा सेवाओं पर सवाल उठाता है।
वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
घटना के समय प्रवीण की मां का एक भावुक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह डॉक्टरों से अपने बेटे को वापस जीवित करने की गुहार लगाते हुए दिखाई दे रही है। उनका आक्रोश स्पष्ट था, वह कह रही थीं कि उनका बेटा खुद अस्पताल आया था, लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही के कारण उसने अपनी जान गंवा दी।
ऑपरेशन के बाद हालत बिगड़ गई
आस्कर अस्पताल के प्रबंध निदेशक हर्ष गिरधर ने इस घटना पर अपनी ओर से प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि प्रवीण की तबीयत पहले से ही खराब थी और ऑपरेशन के बाद उसकी हालत बिगड़ गई थी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि डॉक्टरों की कोई लापरवाही नहीं थी और वे अपनी सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सुविधा प्रदान करने की कोशिश कर रहे थे।
हालांकि, अस्पताल की तरफ से दी गई सफाई ने परिजनों के आक्रोश को शांत नहीं किया है। परिवार के सदस्यों का मानना है कि उन्हें सही जानकारी नहीं दी गई थी और उन्हें उचित तरीके से ऑपरेशन के बाद की स्थिति से अवगत नहीं कराया गया।
डॉक्टरों की लापरवाही
इस तरह की घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या वास्तव में हमारे अस्पतालों में इलाज की गुणवत्ता और डॉक्टरों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। क्या डॉक्टरों की लापरवाही का उत्तरदाता किसी और को बनाया जा सकता है, या सतही नियमों के पालन मात्र से इसे छुपाया जा सकता है?
इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि अस्पतालों के भीतर काम करने वाले पेशेवरों के लिए एक नैतिक दायित्व होना चाहिए, ताकि ऐसी दुखद घटनाएँ भविष्य में न हों। अब यह देखना होगा कि परिवार के सदस्यों द्वारा उठाए गए इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और क्या अस्पताल पर कोई प्रभावी कदम उठाया जाएगा।
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