56 वर्ष बाद मिला रेवाड़ी के जवान मुंशीराम का पार्थिव शरीर, गांव गुर्जर माजरी में आज पहुंचेगा

सिपाही स्वर्गीय मुंशीराम

नरेन्द्र सहारण, रेवाड़ी: 56 साल पहले देश की सेवा में प्राणों को न्योछावार करने वाले जवान के पार्थिव शरीर को देखने के लिए गांव गुर्जर माजरी के ग्रामीण बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। भाई के अंतिम संस्कार नहीं करने की टीस को सीने में छिपाए उनके भाई कैलाश चंद ने बताया कि अब वह भाई का अंतिम संस्कार कर सकेंगे।

1968 को हुआ था हादसा

 

रेवाड़ी जिले की बावल तहसील के गांव गुर्जर माजरी के सिपाही स्वर्गीय मुंशीराम भी इसी विमान में सवार थे। स्वर्गीय मुंशीराम के पिता का नाम भज्जूराम, माता का नाम रामप्यारी व पत्नी का नाम पार्वती देवी है। यह विमान हादसा सात फरवरी वर्ष 1968 को हुआ था। चंडीगढ़ से 102 यात्रियों को ले जा रहा भारतीय वायु सेना का एएन-12 विमान खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। कई दशकों तक विमान का मलबा और विमान सवारों के अवशेष बर्फीले इलाके में खोए रहे। वर्ष 2003 में अटल बिहारी बाजपेयी इंस्टीट्यूट आफ माउंटेनियरिंग के पर्वतारोहियों ने विमान के मलबे को खोज निकाला। इसके बाद सेना, खासकर डोगरा स्काउट्स ने कई अभियान चलाए। वर्ष 2005, 2006, 2013 व 2019 में चलाए गए सर्च आपरेशन में डोगरा स्काउट्स सबसे आगे रहे।

केवल पांच शव ही बरामद हो पाए

 

वर्ष 2019 तक केवल पांच शव ही बरामद हो पाए थे। चंद्र भागा आपरेशन ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सेना अपने जवानों के परिवारों को सांत्वना देने के लिए कितनी दृढ़ है। ऊंचाई वाले अभियानों में विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध डोगरा स्काउट्स ने इस अभियान का नेतृत्व किया है। रेवाड़ी के उपायुक्त अभिषेक मीणा ने बताया कि सैन्य अभियान दल ने बर्फ से ढके पहाड़ों से जो चार शव बरामद किए हैं, उनमें स्वर्गीय मुंशीराम का भी है। उनके पार्थिव शरीर को जल्द ही गांव में लाया जाएगा। स्वर्गीय मुंशीराम के स्वजन को इस सम्बन्ध में सूचना मिल गई है।

गांव लाएंगे बलिदानी मलखान सिंह के पार्थिव शरीर के अवशेष

सहारनपुर : बलिदानी मलखान सिंह के पार्थिव शरीर के अवशेष 56 वर्ष बाद गुरुवार को उनके गांव लाए जाएंगे। मंगलवार को एयरफोर्स के जवानों ने गांव पहुंचकर बलिदानी के भाई को पार्थिव शरीर के अवशेष मिलने की जानकारी दी। पार्थिव शरीर के पास मिले बैज से उनकी पहचान हुई है। बलिदानी के स्वजन ने बताया कि वायु सेना की तरफ से उन्हें कोई आर्थिक मदद नहीं मिली थी।

भाई के बारे में सुनकर इसमपाल सिंह हैरान

 

फतेहपुर के मलखान सिंह वायु सेना में तैनात थे। सात फरवरी 1968 को वायुसेना का विमान सेना के 92 और छह एअरफोर्स के जवानों को लेकर चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ा था। इसमें 23 वर्षीय मलखान सिंह भी थे। डबल इंजन वाला विमान रोहतांग दर्रे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। दशकों तक विमान का मलबा और पीड़ित बर्फ में दबे रहे। हादसे के करीब 56 वर्ष बाद सरसावा से एयरफोर्स के जवान मलखान सिंह के घर पहुंचे और उनके भाई इसमपाल सिंह को तलाशी अभियान के दौरान बलिदानी मलखान सिंह के पार्थिव शरीर के अवशेष मिलने की जानकारी दी। इतने वर्ष बाद भाई के बारे में सुनकर इसमपाल सिंह हैरान रह गए।

पत्नी को देवर के साथ करना पड़ा था विवाह

मलखान सिंह के बलिदान होने के बाद उनका परिवार टूट गया था। हादसे से तीन वर्ष पहले ही मलखान सिंह की शादी हुई थी। पत्नी शीला देवी की गोद में डेढ़ वर्ष के बेटे राम प्रसाद थे। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी। ऐसे में बेटे की परवरिश के लिए परिवार और समाज के लोगों के कहने पर शीला देवी को देवर चंद्रपाल के साथ विवाह करना पड़ा था। बाद में चंद्रपाल से शीला देवी को दो बेटे सतीश और सोमप्रसाद व बेटी शर्मिला हुई। शीला देवी और बेटे रामप्रसाद की मौत हो चुकी है। अब परिवार में पौत्र गौतम व मनीष और पोती सोनिया, सीमा व मोनिका हैं। मलखान के भाई सुल्तान सिंह और चंद्रपाल सिंह की भी मौत हो चुकी है। अब उनके भाई इसमपाल सिंह और बहन चंद्रपाली ही हैं।

 

VIEW WHATSAAP CHANNEL

भारत न्यू मीडिया पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट , धर्म-अध्यात्म और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi  के लिए क्लिक करें इंडिया सेक्‍शन

 

You may have missed