Haryana Political Crisis: हरियाणा में महाराष्ट्र जैसे बन सकते हैं हालात, दुष्यंत चौटाला की जजपा पर कब्जे की तैयारी

दुष्यंत चौटाला और देवेंद्र बबली।

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ : Haryana Political Crisis: लोकसभा चुनावों के बीच हरियाणा की राजनीति में काफी उथल- पुथल चल रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि हरियाणा में जननायक जनता पार्टी का वही हाल हो सकता है, जो महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी का हुआ था। लंबी जिद्दोजहद और राजनीतिक उठापटक के बाद चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट और अजित पवार गुट की अगुवाई वाली शिवसेना और एनसीपी को ही मूल संगठन माना गया था। लगभग वैसी ही स्थिति हरियाणा में बन रही है। भाजपा के साथ करीब साढ़े चार साल तक सत्ता में रही जननायक जनता पार्टी (जजपा) पर कब्जा करने के लिए पूर्व पंचायत एवं विकास मंत्री देवेंद्र बबली प्रयास करते दिखाई दे रहे हैं। इसके लिए वह गुरुवार को दिल्ली में रणनीति बनाते रहे। सूत्रों की मानें तो यहां जजपा के बागी विधायक इकट्‌ठा होकर विधायक दल का नेता चुन सकते हैं और उसके बाद चुनाव आयोग के आगे जजपा पर दावा ठोक सकते हैं। अब इन बागी विधायकों में से टोहाना से विधायक देवेंद्र बबली ने 11 से 13 मई तक अपने घर पर समर्थकों की मीटिंग बुला ली है।

पूर्व सीएम मनोहर लाल खेल रहे पूरा खेल

 

सूत्रों के मुताबिक, इस खेल में परदे के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल हैं। मनोहर लाल तब से सक्रिय हैं, जब तीन निर्दलीय विधायकों रणधीर गोलन, धर्मवीर गोंदर और सोमवीर सांगवान ने नायब सिंह सैनी की सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस के साथ जाने की घोषणा की है। निर्दलीय विधायकों के इस कदम से भाजपा सरकार अल्पमत में आ गई थी। रही-सही कसर जजपा के वरिष्ठ उप प्रधान एवं पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल को पत्र लिखकर पूरी कर दी, जिसमें उन्होंने कहा कि नायब सिंह सैनी की अल्पमत वाली सरकार को या तो बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया जाए अथवा सरकार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट देने के निर्देश दिए जाएं।

जजपा के 6 विधायकों के बगावती तेवर

 

जजपा के प्रदेश में 10 विधायक हैं, जिनमें से छह बगावत पर उतरे हुए हैं। देवेंद्र बबली इन बगावती विधायकों में एक हैं, जो मनोहर लाल के बेहद प्रिय माने जाते हैं। देवेंद्र बबली की टोहाना विधानसभा सीट को सुरक्षित रखने के लिए मनोहर लाल ने अपने अजीज टोहाना के ही पूर्व भाजपा विधायक सुभाष बराला को राज्यसभा भिजवा दिया था। जजपा के जिन छह विधायकों ने बगावती तेवर अपनाए हुए हैं, उनमें देवेंद्र बबली, रामकुमार गौतम, ईश्वर सिंह, रामनिवास सुरजाखेड़ा, जोगी राम सिहाग और राम करण काला शामिल हैं। ईश्वर सिंह और राम करण काला की आस्था कांग्रेस में बताई जाती है, जबकि अन्य चार भाजपा के साथ हैं।

दुष्यंत चौटाला को नेता के पद से हटाने की तैयारी

जजपा के इन छह विधायकों की बागडोर देवेंद्र बबली ने संभाली हुई है। दुष्यंत चौटाला को नेता के पद से हटाने के लिए एक और विधायक की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि नेता बदलने के लिए 10 में सात विधायकों का समर्थन होना चाहिए। जजपा में स्वयं दुष्यंत चौटाला, उनकी मां नैना चौटाला, पूर्व राज्य मंत्री अनूप धानक के अलावा अमरजीत ढांडा बचे हैं। सरकार और बबली की कोशिश है कि किसी तरह अमरजीत ढांडा व अनूप धानक को तोड़ लिया जाए। देवेंद्र बबली कानूनी राय लेने में जुटे हैं, ताकि दुष्यंत को अपने नेता के पद से हटाकर स्वयं पार्टी पर काबिज हो जाएं। यदि ऐसा होता है तो विधानसभा में फ्लोर टेस्ट में भाजपा फिर बहुमत साबित करने में कामयाब हो जाएगी।

देवेंद्र बबली बोले, जजपा को घर की पार्टी न समझे दुष्यंत

विधायक दल से चर्चा के बगैर कांग्रेस को समर्थन की बात कहने पर बागी विधायक देवेंद्र बबली भड़क उठे। उन्होंने कहा कि दुष्यंत चौटाला को विधायक दल का नेता हमने चुना था। इसलिए वह जजपा को घर की पार्टी ना समझें। नैना और दुष्यंत चौटाला के अलावा 8 विधायक और भी चुनकर आए थे। दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम हमने बनाया था और हम अपने वजूद से विधायक बने थे।

उन्होंने कहा कि बार-बार व्हिप जारी करने के बयान देने से पहले अपने विधायकों को एकजुट करने की जरूरत है। दुष्यंत चौटाला ने करीब एक साल से विधायकों को फोन तक नहीं किया। दुष्यंत याद रखें कि ऐसे सड़क पर चलते व्हिप जारी नहीं होते। सात विधायक इकट्ठे होकर नेता ही बदल देंगे तो चौटाला परिवार क्या करेगा। विधायकों ने नेता ही बदल दिया तो मां-बेटा एक दूसरे को ही व्हिप जारी करेंगे। जेजेपी के जितने भी विधायक हैं, वह अपने वजूद पर जीत कर आए थे पार्टी के सिंबल पर नहीं।

किस स्थिति में टूट सकती है जजपा

बदलते घटनाक्रम पर हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा का कहना है कि किसी भी दल से बाहर आने के लिए विधायकों को दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ती है। इसके बाद वह अपने में से किसी एक को विधायक दल का नेता चुन सकते हैं और किसी भी पार्टी को समर्थन या शामिल दोनों हो सकते हैं। जजपा के मामले में अगर 7 बागी विधायक एक तरफ हो जाएं तो फिर नया विधायक दल का नेता चुनकर जजपा के बारे में फैसला ले सकते हैं। अभी 6 विधायक बागी हैं। सूत्रों के मुताबिक बागी विधायक महिपाल ढांडा को साथ मिलने की कोशिश में हैं। उस सूरत में वे ऐसा फैसला ले सकते हैं और दो तिहाई सदस्य होने की वजह से उन पर दलबदल कानून लागू नहीं होगा।

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