Haryana Politics: हरियाणा में जजपा लोकसभा उम्मीदवार भाजपा में शामिल, चुनाव में जमानत हो गई थी जब्त, पूर्व चेयरमैन ने भी पार्टी छोड़ी

भूपेंद्र मलिक

नरेन्द्र सहारण, गोहाना : Haryana Politics: हरियाणा में जननायक जनता पार्टी (JJP) को चुनावी नतीजे आने के एक सप्ताह के अंदर दोहरा झटका लगा है। जजपा के लोकसभा प्रत्याशी रहे भूपेंद्र मलिक और जजपा नेता पवन खरखौदा भाजपा में शामिल हो गए। दोनों नेताओं ने मतगणना के अगले ही दिन जजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। चंडीगढ़ में आयोजित कार्यक्रम में दोनों को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पटका पहनाकर पार्टी में शामिल करवाया। दूसरी तरफ जजपा के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के पूर्व जिला अध्यक्ष डा. राममेहर राठी ने पार्टी छोड़ दी। पूर्व सांसद रमेश कौशिक के भाई भाजपा नेता देवेंद्र कौशिक ने दोनों को पार्टी ज्वाइन कराई।

लोकसभा चुनाव में हो गई थी जमानत जब्त

जजपा के टिकट पर भूपेंद्र मलिक ने इस बार लोकसभा चुनाव लड़ा था और जमानत जब्त हो गई। भूपेंद्र सिंह मलिक ने सोनीपत से हाल में लोकसभा का चुनाव लड़ा था और उनकी जमानत जब्त हो गई थी। भूपेंद्र मलिक को कुल 7820 वोट मिले थे। वह चुनाव में पांचवें नंबर पर रहे। उन्होंने पार्टी के नेताओं पर भितरघात करने का आरोप लगाकर सात जून को जजपा को छोड़ दिया था। भूपेंद्र मलिक पहले कांग्रेस में थे। भूपेंद्र मलिक का पैतृक गांव भैंसवाल कलां ​​​​बरोदा विधानसभा में हैं। वर्तमान में वह परिवार के साथ गोहाना में पार्क रोड पर रहते हैं। कांग्रेस में रहते हुए उनके व उनके परिवार के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ नजदीकी संबंध थे। हुड्डा ने उनको गोहाना मार्केट कमेटी का चेयरमैन बनाया था। 2019 के विधानसभा चुनाव में बरोदा विधानसभा क्षेत्र से टिकट न मिलने पर कांग्रेस छोड़कर जजपा में शामिल हुए थे। जजपा से विधानसभा चुनाव लड़ा था और तीसरे स्थान पर रहे थे।

पवन खरखौदा ने 5 जून को पार्टी से इस्तीफा दिया था।

कई दलों में शामिल रहे हैं पवन खरखौदा

 

पवन खरखौदा शुरुआत में कांग्रेस में थे। 2014 के विधानसभा चुनाव में खरखौदा विधानसभा क्षेत्र से टिकट न मिलने पर कांग्रेस को छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। चुनाव हार गए थे। उसके बाद वापस कांग्रेस में आए। बाद में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। 2019 में भाजपा से टिकट न मिलने पर जजपा में शामिल हो गए थे और विधानसभा चुनाव लड़ा था। यह चुनाव भी हार गए थे। भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार में पवन को हरियाणा अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम का चेयरमैन बनाया गया था। दूसरी तरफ मंगलवार को जजपा के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के पूर्व जिला अध्यक्ष डा. राममेहर राठी ने पार्टी छोड़ दी। राठी ने कहा कि उन्हें पार्टी में पूरा मान-सम्मान मिला लेकिन वह अनुशासनहीनता से आहत थे। इंटरनेट मीडिया पर पार्टी के नेता एक-दूसरे पर गलत टिप्पणी कर रहे हैं। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व मूकदर्शक बना हुआ है।

हरियाणा की सभी सीटों पर जमानत नहीं बचा पाई जजपा

 

आपको बता दें कि हरियाणा में जननायक जनता पार्टी (JJP) इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है। 2019 के विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीतने वाली जजपा को लोकसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी। 10 की 10 लोकसभा सीटों पर ना केवल हार हुई बल्कि जमानत भी जब्त हो गई। जजपा का वोट शेयर पूरे हरियाणा में 0.87% रहा, जो बसपा और इनेलो से भी कम है। पूरे हरियाणा में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा।

 

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