Kisan Andolan: जबरन अस्पताल में दाखिल करवाए जा सकते हैं डल्लेवाल, SC में पंजाब सरकार को देना है जवाब

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: Kisan Andolan: पंजाब सरकार को बुधवार को केंद्र सरकार से किसानों की वार्ता फिर से शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन केंद्रीय कैबिनेट मंत्री अश्वनी वैष्णव के बयान ने इस आशा पर पानी फेर दिया। उन्होंने कहा कि देश के किसान संगठनों से उनकी बातचीत लगातार चल रही है और वर्तमान आंदोलन से संबंधित किसी भी निर्देश का पालन किया जाएगा, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया जाएगा। सरकार को उन घटनाक्रमों की उम्मीद थी जिनसे आमरण अनशन पर बैठे जगजीत सिंह डल्लेवाल चिकित्सा सुविधाएं लेने के लिए तैयार हो जाएं, लेकिन बात बनती नहीं दिख रही है।
इस बीच, पंजाब पुलिस ने एक बार फिर डल्लेवाल को स्वास्थ्य सुविधा के लिए मनाने की कोशिश की, जो अपने अनशन के कारण अधिक कमजोर होते जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट की अवमानना से बचने के लिए पंजाब सरकार डल्लेवाल को जबरन अस्पताल में भर्ती करने का विचार कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार की स्थिति
पंजाब सरकार ने 31 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट पेश किया था, जिसमें तीन दिन का समय मांगा गया था। सरकार का कहना है कि बातचीत केंद्र सरकार से हो रही है, और इसी संबंध में तीन दिन की मोहलत का वीरवार को अंतिम दिन है, जब इस मामले पर सुनवाई होनी है। इस अनिश्चितता के चलते पंजाब सरकार का तनाव बढ़ गया है, क्योंकि डल्लेवाल का स्वास्थ्य लगातार deteriorate हो रहा है।
SKM का सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से दूरी बनाने का निर्णय
इन सबके बीच, संयुक्त किसान मोर्चा (राजनीतिक) ने बुधवार को यह निर्णय लिया है कि उनके नेता तीन जनवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी के साथ बैठक नहीं करेंगे। बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को सिर्फ यह काम सौंपा है कि शंभू में नेशनल हाईवे पर बैठे किसानों को बातचीत कर alternative स्थान पर शिफ्ट किया जाए। यह निर्णय दूसरे गुट के आंदोलन को नुकसान से बचाने के लिए लिया गया है, जिससे एकजुटता बनी रहे।
पंजाब सरकार से विधायकों की मांगें
पटियाला के शंभू बैरियर पर संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) की एक बैठक हुई। इस बैठक में सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि किसान नेता डल्लेवाल का आमरण अनशन अब 37 दिनों से जारी है और उनकी मांग है कि पंजाब सरकार विधानसभा में केंद्र सरकार की कृषि विपणन नीति को रद्द करने का एक प्रस्ताव पास करे। इसके साथ ही, उन्होंने किसानों की 12 मांगों के पक्ष में भी प्रस्ताव पास करने की बात की। किसान महापंचायत जो चार जनवरी को खनौरी में होनी है, उसकी तैयारियों को लेकर भी चर्चा की गई।
बब्बू मान का समर्थन
इस विवाद के बीच, जानेमाने गायक बब्बू मान ने बुधवार को खनौरी पहुंचकर किसान नेता डल्लेवाल से मुलाकात की। बब्बू मान के साथ जननायक जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह चौटाला और समाजवादी पार्टी के लखीमपुर खीरी से सांसद उत्कर्ष वर्मा भी डल्लेवाल से मिलने पहुंचे। दिग्विजय चौटाला ने कहा कि उनकी पार्टी किसानों के आंदोलन के साथ है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर केंद्र सरकार किसानों की मांग नहीं सुनती है, तो यह आंदोलन और भी उग्र हो सकता है।
तनाव में बढ़ती स्थिति
इस स्थिति के बीच, पंजाब में किसान दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर लड़ाई लड़ रहे हैं: न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और केंद्र सरकार की कृषि विपणन नीति का विरोध। जिन किसानों ने पिछले कुछ महीनों से आंदोलन किया है, वे मानते हैं कि आरक्षित मूल्य का न होना उनके भविष्य के लिए खतरा है। उन्हें यह विश्वास है कि सरकार उनकी मांगों का सम्मान करेगी।
भविष्य की दिशा
आने वाले दिनों में, किसान संगठनों को यह तय करना होगा कि वे आत्मनिर्णय और एकता के साथ अपनी रणनीति कैसे विकसित करते हैं। इससे न केवल उनकी मांगों को प्रभावी ढंग से उठाने में मदद मिलेगी, बल्कि आंदोलन को भी एक सशक्त दिशा देने का काम करेगा। पंजाब सरकार और केंद्रीय सरकार के बीच वार्तालाप की स्थिति तय करेगी कि आने वाले समय में किसानों की स्थिति क्या होगी।
किसान आंदोलन की इस कड़ी में न केवल पंजाब, बल्कि पूरे देश के किसानों की आवाज बन गई है। अगर किसानों की शिकायतें और मांगें न्यायोचित साबित होती हैं, तो यह आंदोलन न केवल पंजाब में, बल्कि पूरे देश में एक नई चेतना पैदा कर सकता है।
समाप्ति पर, यह स्पष्ट है कि किसान जनहित के मुद्दों पर लगातार संगठित होकर अपनी आवाज उठाते रहेंगे। उनके संघर्ष का न केवल पंजाब के किसानों पर, बल्कि देश के पूरे कृषि क्षेत्र पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
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