‘एनिमल’ को लेकर छिड़ी बहस पर मनोज बाजपेयी ने कहा, लोग क्या देखना चाहते हैं, यह उनपर करता है निर्भर

कोलकाता, बीएनएम न्यूज। रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) की हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘एनिमल’ (Animal Movie) के हिंसक दृश्यों को लेकर छिड़ी बहस पर मंजे हुए अभिनेता मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने कहा कि लोग क्या देखना चाहते हैं और क्या नहीं, यह उनपर निर्भर करता है। 29वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में अपनी नई फिल्म ‘जोरम’ की स्क्रीनिंग के सिलसिले में आए मनोज ने कहा कि ‘लोकतांत्रिक व्यवस्था में आप किसी को यह नहीं कह सकते कि अमुक तरह की फिल्में नहीं बना सकते। यह उनका चयन है। उन फिल्मों को देखना या न देखना दर्शकों पर निर्भर करता है। यहां सभी के लिए जगह होनी चाहिए।’

हिंदी फिल्में हालीवुड की कापी नहीं हैं, वे मौलिक हैं

मनोज ओटीटी पर प्रदर्शित होने वालीं फिल्मों और वेब सीरीज की सेंसरशिप के भी पक्ष में नहीं हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने पर वे खत्म हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि ‘ओटीटी पर शुरू में काफी सेक्स और हिंसा परोसी जा रही थी लेकिन अब काफी जिम्मेदार तरीके से कहानियां बयां की जा रही हैं। मनोज हिंदी फिल्म जगत को ‘बालीवुड’ कहे जाने पर खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ‘मुझे यह हिंदी सिनेमा को नीचा दिखाने जैसा लगता है। हिंदी फिल्में हालीवुड की कापी नहीं हैं। वे मौलिक हैं। सत्यजित राय, मृणाल सेन, ऋत्विक घटक जैसे फिल्मकारों ने हालीवुड का अनुसरण नहीं किया। फिल्में बनाने का उनका अपना तरीका था। अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान कभी हालीवुड से प्रभावित नहीं हुए। हमारी कार्यशैली और मूल्य हालीवुड से मेल नहीं खाते।’

बच्चों से अपनी उम्मीदों के बारे में कम बात करें अभिभावक

मनोज बाजपेयी ने बाल अधिकारों के उल्लंघन और युवा पीढ़ी में बढ़ती हताशा जैसे गंभीर सामाजिक विषयों पर भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि ‘दिल्ली में थिएटर करने के दौरान मैंने फुटपाथी बच्चों के लिए काम किया है। आज भी जब मैं बाल अधिकारों के उल्लंघन की खबरें सुनता हूं तो काफी व्यथित व भावुक हो जाता हूं और खुद को असहाय महसूस करता हूं। युवा पीढ़ी अपनी विफलता से अधिक माता-पिता की उनकी जुड़ीं उम्मीदों को लेकर चिंतित रहती है। मैं अभिभावकों से यही अनुरोध करूंगा कि वे बच्चों से उनसे अपनी उम्मीदों के बारे में जितना कम बात करेंगे, उनपर दबाव उतना ही कम होगा।’

हर बार दर्शकों को कुछ नया देना चाहता हूं

सत्या, शूल, राजनीति, आरक्षण व गैंग्स आफ वासेपुर जैसी फिल्मों में सशक्त अभिनय की बानगी पेश कर चुके मनोज ने कहा कि ‘मैं फिल्मों का चयन करते समय सकारात्मक अथवा नाकरात्मक चरित्र नहीं देखता। मेरा किरदार चुनौतीपूर्ण होना चाहिए। मैं हर बार दर्शकों को कुछ नया देना चाहता हूं।’

You may have missed