खाद्य पदार्थों में मौजूद प्रिजर्वेटिव आंतों के स्वस्थ बैक्टीरिया को कर सकते हैं प्रभावित

खाद्य निर्माता अक्सर पैकेज्ड फूड को ताजा रखने के लिए उनमें प्रिजर्वेटिव मिलाते हैं। इनका उद्देश्य उन रोगाणुओं को मारना है, जो भोजन को खराब कर सकते हैं। एक अध्ययन में सामने आया है कि इन प्रिजर्वेटिव का आंत के माइक्रोबायोम पर भी प्रभाव पड़ता है। इस शोध में पैकेज्ड फूड में रोगजनकों को मारने के लिए उपयोग किए जाने वाले सामान्य प्रिजर्वेटिव की जांच की गई तो पता चला कि यह लाभकारी बैक्टीरिया पर भी असर डालता है, जिससे पेट का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। यह अध्ययन एसीएस केमिकल बायोलाजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
लैंटीबायोटिक्स के सबसे आम वर्गों में से एक
अध्ययन में कहा गया है कि लैंथिपेप्टाइड्स का उपयोग खाद्य उद्योग द्वारा व्यापक रूप से किया जाता है। इसे लैंटीबायोटिक्स के रूप में भी जाना जाता है। शिकागो विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने पाया कि लैंटीबायोटिक्स के सबसे आम वर्गों में से एक में रोगजनकों और स्वस्थ रखने वाले आंत के बैक्टीरिया दोनों को खत्म करने की शक्ति होती है। विज्ञानियों का कहना है कि निसिन एक लोकप्रिय लैंटीबायोटिक है जो बीयर से लेकर सास, पनीर आदि खाद्य पदार्थों में मिला होता है।
मानव आंत के रोगाणुओं पर भी प्रभाव डाल सकता है
रिसर्च से जुड़े जेनरुन जेरी ने कहा कि निसिन हमारे आंत के रोगाणुओं को कैसे प्रभावित कर सकता है इसका अच्छी तरह से अध्ययन नहीं किया गया है। भले ही यह खाद्य पदार्थों में रोगाणुओं को रोकने में प्रभावी हो सकता है, पर यह मानव आंत के रोगाणुओं पर भी प्रभाव डाल सकता है। शोधकर्ताओं ने जब जांच की तो पता चला कि विभिन्न लैंटीबायोटिक्स के विविध प्रभाव थे, वे सभी रोगजनकों और अच्छे बैक्टीरिया को मार देते थे। यह अध्ययन यह दिखाने वाले पहले अध्ययनों में से एक है कि आंत में मौजूद फायदा पहुंचाने वाले बैक्टीरिया लैंटीबायोटिक्स के प्रति संवेदनशील होते हैं, और कभी-कभी रोगजनकों की तुलना में अधिक संवेदनशील होते हैं। वर्तमान में भोजन में मौजूद लैंटीबायोटिक्स के स्तर को देखते हुए यह संभव है कि वे हमारे पेट के स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकते हैं।
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