RBI Repo Rate: सस्ते लोन के लिए अभी और इंतजार, RBI ने ब्याज दरों में नहीं किया बदलाव, रेपो रेट 6.5% पर बरकरार

नई दिल्ली, एजेंसी: RBI repo rate: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Reserve Bank of India governor Shaktikanta Das ) की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज मौद्रिक नीति पर अपने फैसले की घोषणा की और रेपो दर को 6.50 प्रतिशत बरकरार रखा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक बार फिर से रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला किया है। 8 दिसंबर को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक समीक्षा बैठक (monetary review meeting) के नतीजों का ऐलान किया। केंद्रीय बैंक ने एक बार फिर से रेपो रेट को यथावत रखते हुए उसमें कोई बदलाव नहीं किया है।  लोगों को उम्मीद थी कि इस बार रिजर्व बैंक रेपो रेट में कटौती कर सस्ते लोन का तोहफा देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सस्ते लोन के लिए अभी आपको और इंतजार करना होगा।

ये लगातार पांचवीं बार है जब केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट (RBI repo rate) में कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अंतिम बार इसी साल फरवरी में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया था। इसके बाद आरबीआई ने अप्रैल से लेकर अक्टूबर के बीच ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास मॉनेटरी पॉलिसी का ऐलान करते हुए कहा कि रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। दूसरी तिमाही में उम्‍मीद से बेहतर जीडीरी के आंकड़े , महंगाई दर में नरमी को देखते हुए आरबीआई ने रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का फैसला किया। वहीं आरबीआई गवर्नर ने कहा कि उनकी निगाहें महंगाई पर बनीं हुई है। आने वाले दिनों में ब्याज दरों में बदलाव हो सकता है।  पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि के बाद, दूसरी तिमाही की रीडिंग भी 7.6 प्रतिशत की वृद्धि के अनुमान से कहीं अधिक और ऊपर आई। इससे पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत हो गई है।

आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें

  •  आरबीआई ने रेपो दर को लगातार पांचवीं बार 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा।
  • अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों को भुगतान के लिए यूपीआई लेनदेन की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव।
  •  चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत किया गया।
  •  दिसंबर, मार्च तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत, छह प्रतिशत पर रहने का अनुमान।
  •  2023-24 के लिए औसत खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया।
  •  मुद्रास्फीति का अनुमान अनिश्चित खाद्य कीमतों से काफी प्रभावित।
  •  सब्जियों की कीमतों में रुक-रुक कर होने वाले झटके एक बार फिर नवंबर और दिसंबर में कुल मुद्रास्फीति को बढ़ा सकते हैं।
  •  रुपये में 2023 में अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में कम उतार-चढ़ाव।
  •  एक दिसंबर को विदेशी मुद्रा भंडार 604 अरब डॉलर था।
  •  केंद्रीय बैंक सतर्क और परिस्थितियों के अनुरूप कदम उठाने को तैयार।
  •  भारत कई अन्य देशों की तुलना में अनिश्चितताओं का सामना करने के लिए बेहतर स्थिति में।
  •  प्रस्तावित आवर्ती भुगतान के लिए कुछ श्रेणियों में स्वत: पैसा कटने की सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने का प्रस्ताव।
  •  आरबीआई डेटा सुरक्षा, निजता को वित्तीय क्षेत्र के लिए क्लाउड सुविधा स्थापित करेगा।
  •  अगली मौद्रिक नीति समिति बैठक 6-8 फरवरी, 2024 को होगी।

क्या होता है रेपो रेट (What is repo rate)

जैसे आप अपनी जरूरतों के लिए बैंकों से लोन लेते हैं, उसी तरह से पब्लिक और कमर्शियल बैंकों भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक से लोन लेते हैं। जिस तरह से आप कर्ज पर ब्याज चुकाते हैं, उसी तरह से बैंकों को भी ब्याज चुकाना होता है। यानी भारतीय रिजर्व बैंक की जिस ब्‍याज दर पर बैंकों को लोन देता है, वो रेपो रेट कहलाता है। रेपो रेट कम होने का मतलब बैंकों को सस्ता लोन मिलेगा। अगर बैंकों को लोन सस्ता मिलेगा तो वो अपने ग्राहकों को भी सस्ता लोन देंगे। यानी अगर रेपो रेट कम होता है तो इसकी सीधआ फायदा आम लोगों को मिलता है। अगर रेपो रेट बढ़ता है तो आम आदमी के लिए भी मुश्किलें बढ़ती है।

जानें- रेपो रेट से EMI का कनेक्शन

रेपो रेट बेंचमार्क की तरह होता है। आपको होम लोन और EMI भी रेपो रेट से लिंक हैष जैसे ही रेपो रेट बढ़ती ह कमर्शियल बैंकों की ब्याज दरें बढ़ा देती है। रेपो रेट में बढ़ोतरी से होम लोन की ईएमआई में बढ़ोतरी हो जाती है।

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