कलायत नगर पालिका के अब तक हुए सात चुनाव, होने जा रहा आठवां चुनाव, जानें इस सफर के बारे में

नरेन्द्र सहारण, कलायत: नए वर्ष 2025 में कलायत नगर पालिका कार्यकारिणी का आठवां आम चुनाव होने जा रहा है। 1987 से 2024 तक कुल सात आम चुनाव आयोजित किए जा चुके हैं। इस 37 वर्षीय सफर में पांच बार सामान्य वर्ग और दो बार पिछड़ा वर्ग को प्रधान का पद हासिल करने का अवसर मिला। आगामी चुनाव में भी प्रधान पद सामान्य वर्ग के लिए खुला रहेगा। शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय द्वारा पंचकूला में प्रधान पद के लिए ड्रा प्रक्रिया संपन्न कर ली गई है। इसके बाद से नगर पालिका प्रधान पद को लेकर राजनीतिक गतिविधियों में तेजी आ गई है। वर्तमान स्थिति एक अनार सौ बीमार की सी बन गई है। प्रधान पद के लिए इच्छुक विभिन्न दलों के कार्यकर्ता हर संभव प्रयास कर रहे हैं ताकि उन्हें उचित टिकट मिल सके।
भाजपा से टिकट की उम्मीद
इस बार हाथ में ताज पहनने के लिए अधिकांश लोग भाजपा से टिकट की उम्मीद कर रहे हैं। हालाँकि, विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के प्रत्याशी कमलेश ढांडा को यहाँ भारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद 2024 के लोकसभा चुनाव में नवीन जिंदल ने शहर में भाजपा के खिलाफ माहौल को बदलने की कोशिश की है।
पहले आम चुनाव में बने बलबीर राणा
कलायत में प्रधान पद पर कार्यरत रहे कई प्रमुख चेहरे भी इतिहास में दर्ज हैं। वर्ष 1987 के पहले आम चुनाव में बलबीर राणा ने प्रधान पद हासिल किया था। उनके बाद डॉ. श्याम लाल शर्मा को उप प्रधान चुना गया। हालांकि, बलबीर राणा ने अपनी जिम्मेदारी छोड़ दी, जिसके चलते वेद प्रकाश गौतम को प्रधान बनने का अवसर मिला। दूसरे आम चुनाव में 1992 में डीडी मित्तल ने अपने कार्यकाल का सफलतापूर्वक संचालन किया। यह मार्ग 1994 में बीबी सावित्री भट्ट के लिए खुला, जब उन्हें पहली महिला प्रधान के रूप में चुना गया।
1996 में सावित्री भट्ट के निधन के बाद एमपी सिंगला और चंद्रभान धीमान को प्रधान पद का कार्यभार सौंपा गया। वर्ष 2003 में चौथे आम चुनाव में सुशीला राणा ने प्रधान पद की कमान संभाली, जबकि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया। इस स्थिति में रमेश सिंगला को कार्यवाहक प्रधान बनाया गया। इसके बाद डीडी मित्तल और जंग बहादुर राणा को भी प्रधान बनने का अवसर मिला।
वर्ष 2008 में पाचवां आम चुनाव हुआ, जिसमें ज्ञानी राम कश्यप को पिछड़ा वर्ग से प्रधान चुना गया और उन्होंने पूरा कार्यकाल सफलतापूर्वक निभाया। अगले वर्ष 2013 के चुनावों में किरण राणा प्रधान बनीं, लेकिन उनके कार्यकाल में भी अविश्वास प्रस्ताव आया, और इसके बाद सुशीला मित्तल को कार्यवाहक प्रधान बनाया गया। अंततः सुरेश रानी को भाजपा के प्रतिनिधि के तौर पर पहली बार प्रधान का पद मिला। 2018 में सातवें आम चुनाव में भाजपा समर्थित रजनी राणा, पूजा धीमान (कार्यवाहक) और शशि बाला कौशिक ने प्रधान पद का कार्यभार संभाला।
पूर्ण पंचायत का दर्जा
एक महत्वपूर्ण बदलाव यह था कि देश की आजादी के बाद कलायत को पूर्ण पंचायत का दर्जा दिया गया, और ग्राम पंचायत के माध्यम से सामान्य वर्ग से चार सरपंच चुने गए। पहले सरपंच गुलाब राणा थे, उनके बाद प्रीतम जैलदार और चौथे मुखिया के रूप में रत्ती राम निर्मल ने कार्य किया। इसके बाद ग्राम पंचायत को अपग्रेड कर नगर पालिका का दर्जा दिया गया। 1987 में इस नए गठन के तहत प्रधान पद सामान्य वर्ग के लिए खोला गया, जिसमें बलबीर राणा पहले प्रधान बने। अब 37 वर्षों के बाद, प्रधान पद फिर से सामान्य वर्ग के लिए खुला रहेगा।
राजनीतिक हलचल तेज
फिर से एक बार राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, खासकर 2014 से भाजपा विचारधारा के तहत नगर पालिका में कमल का फूल खिलता रहा है। पिछले दस वर्षों से, भाजपा ने अपनी मजबूत स्थिति को बनाए रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का चुनावी दौरा भी कलायत में सुनिश्चित किया जाएगा।
यह चुनाव भाजपा के लिए न सिर्फ स्थानीय चुनावों में हिस्सेदारी बनाए रखने का अवसर है, बल्कि यह एक सियासी परीक्षा भी बनकर उभरेगा। भाजपा जिला कार्यकारिणी, सांसद नवीन जिंदल, और अन्य कार्यकर्ताओं की नजरें इस चुनाव पर टिकी हुई हैं। इसके साथ-साथ पूर्व राज्य मंत्री कमलेश ढांडा की रुचि भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण होगी।
यह कहना गलत नहीं होगा कि पच्चीस साल पहले की तरह अब भी कलायत की राजनीतिक तस्वीर बदलने के लिए चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण है। सभी राजनीतिक दल इस चुनाव के लिए अपनी रणनीतियां बना रहे हैं, ताकि वे अपने-अपने अपने उम्मीदवारों को बेहतर तरह से प्रस्तुत कर सकें। इस चुनाव में विजेता कौन होगा, यह तो चुनाव के बाद ही स्पष्ट होगा, मगर यह बात निश्चित है कि राजनीतिक सरगर्मी और तैयारियों में कोई कमी नहीं आने वाली। भाजपा की कोशिश होगी कि वह इस बार भी स्थिति को अपने पक्ष में करने में सफल रहे।
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