सुप्रीम कोर्ट ने जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन तोड़ने के बारे में गलत धारणा बनाने पर जताई नाराजगी

नरेन्द्र सहारण, नई दिल्ली/खनौरी बॉर्डर : Kisan Andolan : सुप्रीम कोर्ट ने अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के मामले में बढ़ती गलतफहमियों पर गंभीरता से नाराजगी जताई है। कोर्ट ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार के कुछ अधिकारियों और किसान नेताओं की तरफ से मीडिया में यह प्रभाव डाला जा रहा है कि डल्लेवाल का अनशन तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, जो पूरी तरह से निराधार है। अदालत ने कहा कि उसका उद्देश्य सिर्फ डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित होना है और उसने कभी भी अनशन तोड़ने का आदेश नहीं दिया। यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि डल्लेवाल पिछले एक महीने से अधिक समय से किसानों की मांगों के समर्थन में आमरण अनशन पर हैं और उनकी सेहत लगातार बिगड़ती जा रही है।
किसान नेताओं की विश्वसनीयता पर सवाल
गुरुवार को सुनवाई का संचालन कर रहे न्यायमूर्ति सूर्यकांत और उज्जवल भुइयां की पीठ ने कहा कि डल्लेवाल के प्रति कुछ किसान नेताओं की विश्वसनीयता की जांच करने की आवश्यकता है। पीठ ने पंजाब सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनका रवैया सुलह करने वाला नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि डल्लेवाल को अस्पताल भेजना यह नहीं है कि उन्हें अपना अनशन समाप्त करना चाहिए, बल्कि वह चिकित्सा सहायता के दौरान भी अपना अनशन जारी रख सकते हैं।
राज्य के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि वे अनशन पर बैठे डल्लेवाल को समझाने के प्रयास कर रहे हैं, लेकिन पीठ की नाराजगी बनी रही। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार की तरफ से एक संवाददाता समिति गठित की गई है, लेकिन पीठ ने साफ़ किया कि सरकार का दृष्टिकोण समझौते के लिए अनिच्छुक है, जो समस्या का मुख्य कारण है।
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान एक नई याचिका भी लम्बित थी, जिसमें समझौते के कुछ प्रस्ताव दिए गए थे। केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें याचिका की प्रति नहीं मिली है। इसी बीच पीठ के न्यायाधीश उज्जवल भुइयां ने केंद्र से अनुरोध किया कि वह विचार करने की इच्छा व्यक्त करे। मेहता ने समझाया कि यह मामला केवल एक व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति से संबंधित है और अन्य कारकों को ध्यान में रखना आवश्यक है।
संयुक्त किसान मोर्चा की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने अपने नेताओं की बयानबाजी को लेकर सफाई दी है। किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि मोर्चा के सभी नेता संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान करते हैं। उनका कहना था कि हाल की टिप्पणियाँ दरअसल डल्लेवाल की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। कोहाड़ ने बताया कि डल्लेवाल ने खराब सेहत के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया, जो यह दर्शाता है कि उनकी संवैधानिक संस्थाओं के प्रति सम्मान है।
उन्होंने यह भी कहा कि किसान आंदोलन का उद्देश्य केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और अन्य मांगों को पूरा करने के लिए दबाव बनाना है। डा. अवतार सिंह, जो डल्लेवाल की सेहत पर नजर रख रहे हैं, ने बताया कि उनकी स्थिति गंभीर है। उनके शरीर में कीटोन की मात्रा बहुत अधिक है और किडनी के क्रिएटिनिन लेवल में वृद्धि हो रही है। यह संकेत करता है कि तेजी से उनकी सेहत बिगड़ रही है।
किसानों की नाराजगी
इस बीच किसान नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पंजाबी गायक दिलजीत दोसांझ से मुलाकात को लेकर भी विरोध प्रकट किया है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि प्रधानमंत्री किसी कलाकार से मिल सकते हैं, लेकिन किसानों से बात नहीं कर सकते। उन्होंने दिलजीत से सवाल किया कि क्या उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ बातचीत के दौरान काले कपड़े पहनने का उद्देश्य यह संकेत देना था कि वह किसानों और मजदूरों के प्रति हो रहे अत्याचार को दिखा रहे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता तेजवीर सिंह पंजोखरा ने इस मुलाकात को फूट डालने की और राजनीतिक स्टंट बताते हुए कहा कि इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। उनका मानना है कि दिलजीत को समझना चाहिए कि उनके हीरो डल्लेवाल हैं, जो इस समय आमरण अनशन पर बैठे हैं।
स्थिति गंभीर
सुप्रीम कोर्ट की ओर से डल्लेवाल के अनशन पर चिंता व्यक्त करने के बाद और किसान नेताओं की लगातार बढ़ती आवाजों से यह स्पष्ट है कि स्थिति गंभीर है। किसानों की मांगों के प्रति संवेदनशीलता और गंभीरता की आवश्यकता है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सभी पक्षों को आगे आकर सच्चे मन से बातचीत करनी होगी। कोर्ट की टिप्पणियाँ और किसान नेताओं का बयान यह दर्शाता है कि वे सभी समझौते के लिए तैयार हैं, केवल आवश्यकता है तो सरकारी पहल की।