Alzheimers Disease: फास्ट फूड और रेड मीट खाने वाले हो जाए सावधान, हो सकता है ये गंभीर खतरा

नई दिल्ली, एजेंसी: शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया है कि भारत, जापान जैसे देशों में पाए जाने वाले पृथ्वी के पर्यावरण के अनुकूल शाकाहारी और पारंपरिक आहार अल्जाइमर के खतरे को कम कर सकते हैं। जबकि पश्चिमी देशों के आहार फास्ट फूड, रेड मीट और कम शारीरिक गतिविधि को अल्जाइमर के जोखिम को बढ़ाने वाला पाया गया।
अमेरिका के सनलाइट, न्यूट्रिशन एंड हेल्थ रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने पाया कि उन लोगों में अल्जाइमर की दर अधिक पाई गई जिन्होंने पश्चिमी देशों की आहार शैली का अनुकरण किया। अध्ययन का निष्कर्ष अल्जाइमर डिजीज जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने भूलने की बीमारी अल्जाइमर में वसा, मांस, खासतौर से रेड मीट, प्रशंस्कृत मांस के साथ ही अत्यधिक प्रसंस्कृत आहार जिनमें शुगर और रिफाइंड अनाज का बहुत इस्तेमाल होता है, को जोखिम कारकों में पाया है। समीक्षा में यह भी देखा गया कि कौन से आहार अल्जाइमर रोग को कम और कौन से आहार उसके जोखिम को बढ़ाने वाले हो सकते हैं। उदाहरण के लिए मांस को सबसे अधिक जोखिम कारकों में पाया गया है। यह सूजन, इंसुलिन प्रतिरोध, संतृप्त वसा को बढ़ाने वाला होता है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में न्यूट्रिशन एंड एपिडमियोलाजी के प्रोफेसर एडवर्ड जियोवैनुसी ने कहा कि हमने उन विभन्न आहारों पर भी प्रकाश डाला जो अल्जाइमर से सुरक्षा में सहायक होते हैं। इसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, बींस, नट्स और साबुत अनाज शामिल हैं। जबकि अल्ट्रा प्रोसेस्ड आहार अल्जाइमर के साथ ही मोटापा और डायबिटीज को भी बढ़ाते हैँ। इनमें शाकाहार की अपेक्षा कई पोषक तत्वों की कमी होती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि शारीरिक गतिविधियों की कमी से भी अल्जाइमर का खतरा बढ़ता है।

क्या है अल्जाइमर

अल्जाइमर रोग एक मस्तिष्क की स्थिति है जो स्मृति, सोच, सीखने और संगठन कौशल में प्रगतिशील गिरावट का कारण बनती है। यह अंततः किसी व्यक्ति की बुनियादी दैनिक गतिविधियों को पूरा करने की क्षमता को प्रभावित करता है। अल्जाइमर रोग (एडी) मनोभ्रम का सबसे आम कारण है । अल्जाइमर के लक्षण समय के साथ बिगड़ते जाते हैं। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि बीमारी की प्रक्रिया पहले लक्षण प्रकट होने से 10 साल या उससे अधिक समय पहले शुरू हो सकती है। एडी आमतौर पर 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है।

  • हाल की घटनाओं को भूल जाना इसका एक प्रारंभिक संकेत है, इसके बाद बढ़ता भ्रम, अन्य मानसिक कार्यों में हानि, और भाषा का उपयोग करने और समझने और दैनिक कार्यों को करने में समस्या होती है।

  • ये लक्षण इस कदर बढ़ जाते हैं कि लोग काम नहीं कर पाते हैं, जिससे वे दूसरों पर पूरी तरह से आश्रित हो जाते हैं।

  • डॉक्टरों का निदान लक्षणों और शारीरिक जांच, मानसिक स्थिति की जांच, ब्लड टेस्ट और इमेजिंग टेस्ट के परिणामों पर आधारित होता है।

  • इलाज में जहां तक संभव हो लंबे समय तक कार्य करने की रणनीति शामिल होती है और इसमें ऐसी दवाएँ शामिल हों, जो बीमारी में होने वाली प्रगति को धीमा कर सकती हैं।

  • लोग की ज़िंदगी कितनी होती है, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन मृत्यु, औसतन निदान किए जाने के लगभग 7 वर्षों के बाद होती है।

  • अल्जाइमर की बीमारी एक प्रकार की डिमेंसिया है, जो याददाश्त, सोच, निर्णय और सीखने की क्षमता सहित मानसिक कार्यकलाप में धीमी, उत्तरोतर गिरावट है।

अल्जाइमर बीमारी से बचाव

कुछ शोध अस्थायी रूप से कुछ उपायों का सुझाव देते हैं जो अल्जाइमर बीमारी को रोकने में मदद कर सकते हैं:

  • कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करना: कुछ साक्ष्य बताते हैं कि हाइ कोलेस्ट्रॉल का स्तर अल्जाइमर बीमारी के विकास से संबंधित हो सकता है। इस प्रकार, लोगों को संतृप्त वसा में कम मात्रा में आहार से लाभ हो सकता है और यदि ज़रूरी हो, तो कोलेस्ट्रॉल और अन्य वसा (लिपिड) को कम करने के लिए दवाओं (जैसे स्टेटिन) से भी लाभ होता है।

  • हाइ ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना: हाइ ब्लड प्रेशर मस्तिष्क में रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिकाओं को हो सकता है नुकसान पहुंचाए और इस प्रकार मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाए, इससे संभवतः तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संबंध टूट जाते हैं।

  • व्यायाम करना: एक्सरसाइज़ करने से हृदय बेहतर तरीके से काम करता है और कुछ अस्पष्ट कारणों से मस्तिष्क का कार्यकलाप भी बेहतर होता है।

  • मानसिक रूप से सक्रिय रहना: मन को चुनौती देने वाली गतिविधियों जैसे नए कौशल सीखने, क्रॉसवर्ड बनाने और अखबार पढ़ने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है। ये गतिविधियां तंत्रिका कोशिकाओं के बीच नए कनेक्शन (साइनेप्स) को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं और इस तरह हो सकता है डेमेंशिया को टालने में मदद हो।

  • बहुत मामूली मात्रा में अल्कोहल का सेवन करना: हो सकता है थोड़ी मात्रा में (दिन में 3 से ज़्यादा ड्रिंक नहीं) अल्कोहल कोलेस्ट्रॉल को कम करने और रक्त प्रवाह बनाए रखने में मददगार हो। हो सकता है अल्कोहल मस्तिष्क में एसिटिलकोलिन के रिलीज़ को उत्तेजित करके और मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं में अन्य परिवर्तनों का कारण बनकर सोच और याददाश्त में भी मदद करें। हालांकि, इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि अल्जाइमर बीमारी रोकने के लिए जो लोग अल्कोहल का सेवन नहीं करते हैं, उन्हें इसका सेवन शुरू कर देना चाहिए। डेमेंशिया होने के बाद अल्कोहल से परहेज करना बहुत अच्छा होता है, क्योंकि हो सकते है इससे डेमेंशिया के लक्षण और भी बदतर हो जाएं।

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