New Antibiotic : सुपरबग से लड़ने को वैज्ञानिकों ने विकसित किया नया एंटीबायोटिक, जानें इससे क्या होगा फायदा
ओस्लो, एजेंसी। विज्ञानियों ने सुपरबग से लड़ने के लिए एक नया एंटीबायोटिक विकसित किया है। दरअसल, एंटीबायोटिक दवाओं को बेअसर करने के लिए बैक्टीरिया, वायरस व कवक अपना रूप बदल लेते हैं, जिससे एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध पैदा होता है। इसे सुपरबग कहते हैं। शोधकर्ताओं ने दावा किया कि नई विधि से यह एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से लड़ने में सक्षम होगा। इस विधि ने शोधकर्ताओं को नए एंटीबायोटिक अध्ययन के लिए एकदम नया उपकरण उपलब्ध कराया है।
एमआरएसएस को मारने में सक्षम
नार्वेजियन यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी (एनटीएनयू) के शोध दल ने दावा किया है कि उन्होंने दो नए पेप्टाइड का एक ऐसा संयोजन विकसित किया है जो मेथिसिलिन-रेसिस्टेंट स्टेफीलोकोकस एरियस (एमआरएसएस) को मारने में सक्षम हैं। ये दोनों मिलकर पूरी तरह से एक नए एंटीबायोटिक बन जाते हैं, जो अकेले उतने प्रभावशाली नहीं होते। पेप्टाइड अमीनो एसिड की ऐसी शृंखला हैं जो प्रोटीन के ब्लाक का निर्माण करते हैं। पेप्टाइड डीएनए की कापी से सुरक्षा करते हैं। इस तरह बैक्टीरिया मर जाते हैं।
बैक्टीरिया के बड़े समूह के विरुद्ध प्रभावी हैं सुपरबग
फ्रंटियर माइक्रोबायोलाजी में प्रकाशित शोध के निष्कर्ष में कहा गया है कि ये बैक्टीरिया के बड़े समूह के विरुद्ध प्रभावी हैं। एनटीएनयू में शोधरत व अध्यन की प्रमुख लेखिका एमांडा होल्सटेड सिंगलटन ने कहा कि एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध वास्तव में बड़ी समस्या हैं, हम निश्चित रूप से इसे सुलझाने में सफल हो रहे हैं। हमने देखा कि ये संक्रमित मानव कोशिकाओं से लड़ने में सक्षम हैं। उन्होंने बताया कि एक बैक्टीरियल कोशिका के अंदर 10 हजार तक प्रोटीन पाए जाते हैं। परीक्षण के दौरान हमने सभी को लक्षित करने के बजाय दो हजार प्रमुख प्रोटीन पर ध्यान केंद्रित किया। सिंगलटन ने कहा कि हमारे लिए यह भी उतना देखना उतना ही महत्वपूर्ण होगा कि ये एंटीबायोटिक बैक्टीरियल कोशिकाओं के अंदर कैसे कार्य करते हैं। हम उस तकनीक को विकसित कर रहे हैं।