Smoking Horm: सिर्फ दिल और फेफड़े को नुकसान नहीं पहुंचता, धूमपान से सिकुड़ने लगता है मस्तिष्क, जानें इस खतरे के बारे में
वाशिंगटन, एजेंसी। एक नए शोध में पाया गया है कि धूमपान (Smoking) से केवल दिल और फेफड़े को नुकसान नहीं पहुंचता, बल्कि मस्तिष्क भी सिकुड़ने लगता है। कहा, धूमपान छोड़ने से आगे की हानि जरूर रुक सकती है लेकिन जो हो चुकी है उसकी क्षतिपूर्ति नहीं हो पाती। दिमाग अपने मूल आकार में वापस नहीं आता। शोधकर्ताओं ने बताया कि इसमें आनुवंशिकी की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि धूमपान का आधा जोखिम जीन से आता है।
धूमपान करने वालों में उम्र के साथ सोचने-समझने की शक्ति में होता है ह्रास
अमेरिका के वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने कहा कि मस्तिष्क का आकार उम्र के साथ स्वाभाविक रूप से कम होने लगता है। लेकिन धूमपान से यह समय से पहले शुरू हो जाता है। इस अध्ययन से शोधकर्ताओं को यह व्याख्या करने में भी मदद मिलेगी कि धूमपान करने वालों में उम्र के साथ सोचने-समझने की शक्ति में ह्रास और अल्जाइमर का उच्च जोखिम क्यों हो सकता है।
धूमपान वास्तव में मस्तिष्क के लिए हानिकारक
शोध का निष्कर्ष बायोलाजिकल साइकिएट्री: ग्लोबल ओपन साइंस में प्रकाशित हुआ है। शोध की वरिष्ठ लेखिका और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन में मनोचिकित्सा की प्रोफेसर लौरा जे. बेरुत ने कहा कि हाल तक विज्ञानी मस्तिष्क पर धूमपान के आंशिक प्रभावों को नजरअंदाज करते रहे हैं, क्योंकि हम फेफड़ों और हृदय पर धूमपान के सभी भयानक प्रभावों पर ध्यान केंद्रित कर रह थे। लेकिन जैसे ही हमने दिमाग पर इसके प्रभाव को देखना शुरू किया सामने आया कि धूमपान वास्तव में मस्तिष्क के लिए हानिकारक है। पूर्व के अध्ययन में हमने पाया है कि दिमाग का आकार और धूमपान की आदत दोनों वंशानुगत हो सकती है। शोध दल ने अध्ययन के लिए ब्रिटेन के बायोबैंक के 32,094 लोगों के धूमपान के इतिहास और आनुवंशिक धूमपान के जोखिम का विश्लेषण किया।